AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने CAA संबंधी बयान को लेकर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी पर निशाना साधा

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां बसे हिंदुओं एवं सिखों के युद्धग्रस्त देश छोड़ने के मद्देनजर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सीएए की आवश्यकता को रेखांकित किया था.

AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने CAA संबंधी बयान को लेकर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी पर निशाना साधा

ओवैसी ने ट्वीट किया, ‘‘सीएए केवल अघोषित अप्रवासियों पर लागू होता है.

नई दिल्ली:

हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने तालिबान के नियंत्रण वाले अफगानिस्तान से भाग रहे सिखों और हिंदुओं के मामले को संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) से जोड़ने के लिए केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी (Union Minister Hardi Singh Puri) पर निशाना साधते हुए सोमवार को सवाल किया कि क्या वह इस मुद्दे पर “गुमराह” कर रहे हैं. अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां बसे हिंदुओं एवं सिखों के युद्धग्रस्त देश छोड़ने के मद्देनजर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सीएए की आवश्यकता को रेखांकित किया था. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता ने ट्वीट किया था, ‘‘हमारे अस्थिर पड़ोसी देश में हालिया घटनाक्रम को देखते हुए, और सिख एवं हिंदू जिस तरह वहां कष्टप्रद समय से गुजर रहे हैं, उसे देखते हुए संशोधित नागरिकता कानून को लागू करना आवश्यक है.''ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष ओवैसी ने ट्वीट कर पुरी के बयान पर सवाल उठाया.

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ओवैसी ने ट्वीट किया, ‘‘सीएए केवल अघोषित अप्रवासियों पर लागू होता है. यह 2014 के बाद भी लागू नहीं होता है. यह उन लोगों की मदद कैसे करता है जो अब उचित वीजा के साथ भारत आ रहे हैं. क्या आपने उस कानून को नहीं पढ़ा जो आपकी सरकार ने इतनी बहादुरी के साथ बनाया है. या आप जानबूझकर गुमराह कर रहे हैं ?'' उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘मैंने एक धर्म-तटस्थ कानून की मांग की थी जो वास्तव में इन शरणार्थियों की मदद कर सकता था. इस तरह के कानून से न केवल इन अल्पसंख्यकों, बल्कि उन अफगान लोगों को भी मदद मिलती जो हमारे साथ हमारे चार वाणिज्य दूतावासों और दूतावास में काम कर रहे थे.'' भारत सरकार ने पड़ोसी देश से भारतीयों, हिंदुओं और सिखों को विमान के जरिए बाहर निकालने के लिए एक बड़ा अभियान चलाया है. संशोधित नागरिकता कानून, 2019 को 10 जनवरी, 2020 को लागू किया गया था, जिसके खिलाफ देशभर में प्रदर्शन हुए थे. अधिकतर विपक्षी दलों ने मोदी सरकार द्वारा संसद में पेश किए गए इस विधेयक का विरोध किया था और इसके ‘‘साम्प्रदायिक'' प्रकृति के होने का आरोप लगाया था.

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सीएए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को उनके मूल देश में धार्मिक उत्पीड़न का शिकार होने के आधार पर नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान करता है. भारत ने 17 अगस्त को घोषणा की थी कि वह उन अफगान नागरिकों को आपातकालीन ई-वीजा जारी करेगा जो अफगानिस्तान में मौजूदा स्थिति को देखते हुए देश में आना चाहते हैं.सभी अफगान नागरिक, चाहे वे किसी भी धर्म के हों, ‘ई-आपातकालीन एवं अन्य वीजा' के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं और नयी दिल्ली में उनकी अर्जियों पर कार्रवाई होगी.गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘गृह मंत्रालय ने अफगानिस्तान में मौजूदा हालात को देखते हुए वीजा प्रावधानों की समीक्षा की है. भारत में प्रवेश के लिए वीजा अर्जियों पर जल्द फैसला लेने के लिए ‘ई-आपातकालीन एवं अन्य वीजा' की नयी श्रेणी बनायी गयी है.'अधिकारियों ने बताया कि शुरुआत में वीजा छह महीने की अवधि के लिए दिया जाएगा.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)