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This Article is From Jul 22, 2015

कोर्ट में चट मंगनी पट ब्याह और पुलिस को मिली तनख्वाह

कोर्ट में चट मंगनी पट ब्याह और पुलिस को मिली तनख्वाह
प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर
अहमदाबाद: तीस्ता सीतलवाड़ से जुड़े मुकदमे की सुनवाई की रिपोर्टिंग के लिये गुजरात हाई कोर्ट गया था। वो केस आने के इंतज़ार में बैठा था तो उससे पहले जिन केसों की सुनवाई हो रही थी बड़ी दिलचस्प थी। बड़ी देर से अंतिम कतार में एक पुलिसकर्मी अपने ड्रेस में चिंता में बैठा हुआ था। हर थोड़ी देर में उठकर कोर्टरूम से बाहर जाता, किसी को फोन करता और फिर वापस आ जाता। पुलिसवाला और टेंशन में, बात कुछ अजीब लगी। पूछा भैया क्या हुआ, क्यों टेंशन में हो, तो बताया कि पिछले एक महीने से तनख्वाह रुकी पड़ी है। कोर्ट का आदेश है कि मेरी तनख्वाह एसपी ओफिस में जमा रखी जाय और मुझे न दी जाय।

मामला कुछ यूं था कि सूरत शहर के पांडेसरा इलाके की एक लड़की कुछ महिने पहले गुम हो गई थी। उसके पिता ने हाईकोर्ट में हेबियस कोर्पस मामला दाखिल कर दिया था। लिहाज़ा हाई कोर्ट ने पुलिस को कहा था कि लड़की को ढूंढकर लाओ क्योंकि पिता का कहना है कि लड़की नाबालिग है। पिता को शक था कि एक लड़का उसकी बेटी को भगाकर ले गया है। अगर लड़की नाबालिग हो तो अपहरण का मामला बन सकता है।

पुलिस ने कोशिश की होगी या नहीं वो तो पता नहीं लेकिन अगली तारीख तक पुलिस लड़की को लेकर नहीं आई। कोर्ट को लगा की पुलिस गंभीर नहीं है इस मामले में, लिहाज़ा कोर्ट ने पुलिस इंस्पेक्टर पर सख्ती करते हुए उसकी तनख्वाह रोक दी और कहा कि जब तक लड़की को ढूंढकर नहीं लाओगे तुम्हारी तनख्वाह एसपी ओफिस में जमा रहेगी, तुम्हें नहीं दी जायेगी।

अब पुलिसवाले का गुज़ारा बिना तनख्वाह के चलना मुश्किल था तो पूरी जी जान लगाकर लड़की को ढूंढ लिया गया। लड़की कहीं भुवनेश्वर में रह रही थी। और महिला पुलिसकर्मी उस लड़की को भुवनेश्वर से हवाई जहाज से लेने गई हुई थी जिसे सुनवाई से पहले पहुंच जाना चाहिए वरना कोर्ट फिर फटकार लगा सकती है।

सुनवाई से ठीक 5 मिनिट पहले, महिला पुलिसकर्मी लड़की को लेकर कोर्टरूम में दाखिल हुई और पुलिस इन्स्पेक्टर की जान में जान आई। वकील ने जज से गुज़ारीश की कि इनकी सुनवाई थोड़ी जल्दी कर दीजिये, ये लोग बड़ी दूर से आये हैं और रुककर चायपानी का वक्त भी नहीं मिला है तो थके होंगे। जज ने भी कहा कि सही है, लड़की को बुलाओ। उन्होंने पूछा लड़की से कहा गई थी, लड़की ने जवाब दिया, सर अपने पति के रिश्तेदार के यहां रह रही थी।
जज साहब ने पूछा, तुम्हारी उम्र क्या है, लड़की ने बताया सर 18 साल और कुछ महीने।

फिर पूछा गया कि क्या तुम्हें कोई भगाकर ले गया था, तुमसे जाने के लिये जबरदस्ती की गई थी क्या? लड़की ने कहा, नहीं, मैं अपनी मर्जी से गई थी। तुम कहां जाना चाहोगी, अपने पिता के घर या पति के घर, फिर लड़की ने कहा कि अपने पति के साथ जाना चाहूंगी सर।

अब जज साहब ने लड़की के पिता को बुलाया, पूछा इसकी शादी हो गई है, शगुन में क्या दोगे। पिता भी थोड़े सकपकाये तो जज साहब ने कहा कि देखो लड़की बालिग हो चुकी है, तुम तो क्या हम भी उसे कुछ भी करने से रोक नहीं सकते। उसकी मर्जी है जिससे चाहे शादी करे। पिता ने कहा कि मैं शादी नहीं मानूंगा तो जज साहब ने फिर सुनाया कि फिर तुम पर मैं सबकी प्लेन टिकट का खर्चा देने का जुर्माना लगा सकता हूं क्योंकि तुम्हारी अपील के चलते ये सब खर्चा हुआ जो नहीं होना चाहिए था। और ऊपर से एक बिचारे पुलिसवाले को एक महिने से तनख्वाह रुकी हुई है सो अलग।

जज साहब ने फैसला सुना दिया कि लड़की बालिग है, उसकी शादी मानी जाती है। पिता को भी माननी पड़ेगी और बिचारे पुलिसवाले की तनख्वाह भी जल्द से जल्द दे दी जाय।

फैसले से सबसे ज्यादा खुश लड़की और पुलिसकर्मी दिखे कि चलो प्यार की जीत भी हो गई और रुकी हुई तनख्वाह भी मिल गई। पिता को सबक भी मिल गया कि बालिग बच्चों पर जार जबरदस्ती संभव नहीं।

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