क्रिश्चियन मिशेल को दिल्ली लाया गया.
नई दिल्ली:
अगस्ता वेस्टलैंड मामले के बिचौलिये क्रिश्चियन मिशेल को गल्फस्ट्रीम जेट से भारत ले आया गया है. ऐसा माना जा रहा है कि क्रिश्चियन मिशेल के आने से कई सारे राज खुल सकते हैं. मिशेल के आने पर भारतीय जांच एजेंसियों की पूछताछ में वह उन नेताओं और नौकरशाहों के नाम उगल सकता है जिन्हें 3600 करोड़ रुपए के वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे के लिए कथित रूप से रिश्वत दी गई थी. इससे रफाल डील पर कांग्रेस के आरोपों का सामना कर रही है मोदी सरकार नये सिरे से कांग्रेस पर आक्रामक हो सकती है. ऐसा हो सकता है कि मोदी सरकार कांग्रेस सरकार के दौरान हुए भ्रष्टाचार का पता लगाएगी और चुनाव में इसे भुनाने की कोशिश भी करेगी.
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दरअसल ऐसी संभवाना इसलिए भी व्यक्त की जा रही हैं क्योंकि बीते कुछ समय से राफेल सौदे को लेकर मोदी सरकार जहां बैकफुट पर नजर आ रही है, वहीं कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष सरकार पर हमलावर है. यही वजह है कि मिशेल को भारत लाया जाना मोदी सरकार के लिए किसी अच्छे संकेत से कम नहीं है. हो सकता है कि मोदी सरकार 2019 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इसे अपना चुनावी हथियार बना ले और कांग्रेस के खिलाफ इसे एक अस्त्र के रूप में इस्तेमाल करे. क्योंकि अगस्ता वेस्टलैंड मामले में इस बिचौलिये की मदद से कई खुलासे हो सकते हैं.
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जानकारी के मुताबिक, मिशेल ने कुछ लोगो इस डील के दौरान घूस दी थी जिसके नाम उसने कोड वर्ड में लिखे थे उसका खुलासा यही कर सकता है. यूएई की सुरक्षा एजेंसियों ने फरवरी 2017 में मिशेल को गिरफ्तार किया था और इसके बाद से ही उसके प्रत्यर्पण की कोशिशें चल रही थीं. मिशेल को भारत प्रत्यर्पित कराने के लिए भारतीय एजेंसियों सीबीआई एवं प्रवर्तन निदेशालय ने यूएई का कई बार दौरा किया. इस दौरान एजेंसियों ने यूएई के अधिकारियों एवं न्यायालय के साथ घोटाले से जुड़े आरोपपत्र, गवाहों के बयान और अन्य साक्ष्य एवं दस्तावेज साझा किए थे.
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ईडी के दस्तावेज के मुताबिक, मिशेल को 12 हेलिकॉप्टर के समझौते को अपने पक्ष में कराने के लिए 225 करोड़ दिये गए. आरोप है कि यूपीए सरकार के दौरान 2010 में हुए इस डील का करार पाने के लिए एंग्लो-इटैलियन कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड ने भारतीय राजनेताओं, रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों, नौकरशाहों समेत वायुसेना के दूसरे अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए मिशेल को करीब 350 करोड़ रुपए दिए. इस सौदे में 2013 में घूसखोरी की बात सामने आने पर तत्कालीन रक्षा मंत्री ए के एंटोनी ने ना केवल सौदा रद्द किया बल्कि सीबीआई जांच के आदेश भी दिए.
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