नई दिल्ली:
सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह की उम्र को लेकर चल रहे विवाद की लड़ाई अब अदालत में लड़ी जाएगी। इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय में जनरल की तरफ से अपील दायर करने के एक दिन बाद सरकारी हलचल तेज हो गई और उसने अदालत से जनरल की याचिका पर कोई फैसला देने से पहले उसका पक्ष भी सुनने का अनुरोध किया।
इस बीच, रक्षा मंत्री एके एंटनी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की और रक्षा सचिव शशिकांत शर्मा को मलेशिया से वापस बुला लिया।
जानकार सूत्रों ने बताया कि महान्यायवादी जीई वाहनवती से मिलने के बाद एंटनी ने दोपहर बाद प्रधानमंत्री से मुलाकात की। उम्र विवाद मसले पर रक्षा मंत्रालय की योजना क्या है, इस बारे में सरकार ने हालांकि कोई ब्योरा देने से इनकार किया है।
जनरल सिंह ने अपने जन्म सम्बंधी दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा है कि उनका जन्म 1951 में हुआ था और इस तरह उन्हें मार्च 2013 में सेवानिवृत्त होना है।
रक्षा मंत्रालय में मौजूद दस्तावेज बताते हैं कि जनरल सिंह वर्ष 1950 में पैदा हुए और इस हिसाब से मार्च 2010 में सेना प्रमुख बनने वाले सिंह को इस वर्ष के मई महीने में सेवानिवृत्त होना है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष नितिन गडकरी ने कहा, "मामले का सर्वोच्च न्यायालय में पहुंचना दुर्भाग्यपूर्ण है। यह सरकार की असफलता है। सरकार ने सही समय पर कदम उठाया होता तो मामले को अभी तक सुलझाया जा सकता था।"
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख लालू प्रसाद ने भी इस विवाद के लिए सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा, "यह एक स्थापित सिद्धांत है कि विवाद की स्थिति में मैट्रिक के प्रमाणपत्र को ही फाइनल माना जाता है।"
कांग्रेस ने कहा कि थलसेना प्रमुख जनरल वीके सिंह के उम्र से जुड़े विवाद को तूल नहीं दिया जाना चाहिए। उसने कहा कि विपक्ष की ओर से इस दिशा में किए जा रहे प्रयास राष्ट्रीय हित में नहीं है।
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकारों से चर्चा में कहा कि यह मसला सर्वोच्च न्यायालय, सेना प्रमुख और रक्षा मंत्रालय के बीच है। उन्होंने कहा, "जनरल सिंह ने स्पष्ट किया है कि यह उनका निजी मामला है। विपक्ष यदि जानबूझ कर इसे मुद्दा बनाना चाहता है तो यह देश हित में नहीं होगा। मामले को नया मोड़ देने की कोशिश गलत होगी।" उनके इस कदम पर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अम्बिका सोनी ने कहा कि हर किसी को न्याय पाने का हक है।
सेना प्रमुख द्वारा इस मुद्दे पर सरकार को अदालत में घसीटने के एक दिन बाद सोनी ने संवाददाताओं से कहा, "यदि किसी को लगता है कि उसे न्याय नहीं मिला है, तो उसे न्याय पाने का अधिकार है और यह सभी भारतीयों का अधिकार है।"
जनरल सिंह का कहना है कि उनका जन्म वर्ष 1951 में हुआ था और इसलिए वह 2013 में ही सेवानिवृत्त होंगे। लेकिन रक्षा मंत्रालय के मौजूद रिकॉर्ड के अनुसार, उनका जन्म वर्ष 1950 में हुआ था। इसलिए उन्हें इसी साल मई में सेवानिवृत्त होना होगा।
इससे पहले उन्होंने रक्षा मंत्रालय में वैधानिक शिकायत दर्ज कर आधिकारिक रिकॉर्ड में अपने जन्म का वर्ष ठीक करते हुए इसे 1950 के बजाय 1951 करने का अनुरोध किया था। लेकिन मंत्रालय ने दिसम्बर में इसे खारिज कर दिया था, जिसके बाद सोमवार को उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया।
स्वतंत्रता के बाद देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि जब कोई सेना प्रमुख सेवा में रहते हुए सरकार के खिलाफ अदालत गया हो।
इस बीच, रक्षा मंत्री एके एंटनी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की और रक्षा सचिव शशिकांत शर्मा को मलेशिया से वापस बुला लिया।
जानकार सूत्रों ने बताया कि महान्यायवादी जीई वाहनवती से मिलने के बाद एंटनी ने दोपहर बाद प्रधानमंत्री से मुलाकात की। उम्र विवाद मसले पर रक्षा मंत्रालय की योजना क्या है, इस बारे में सरकार ने हालांकि कोई ब्योरा देने से इनकार किया है।
जनरल सिंह ने अपने जन्म सम्बंधी दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा है कि उनका जन्म 1951 में हुआ था और इस तरह उन्हें मार्च 2013 में सेवानिवृत्त होना है।
रक्षा मंत्रालय में मौजूद दस्तावेज बताते हैं कि जनरल सिंह वर्ष 1950 में पैदा हुए और इस हिसाब से मार्च 2010 में सेना प्रमुख बनने वाले सिंह को इस वर्ष के मई महीने में सेवानिवृत्त होना है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष नितिन गडकरी ने कहा, "मामले का सर्वोच्च न्यायालय में पहुंचना दुर्भाग्यपूर्ण है। यह सरकार की असफलता है। सरकार ने सही समय पर कदम उठाया होता तो मामले को अभी तक सुलझाया जा सकता था।"
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख लालू प्रसाद ने भी इस विवाद के लिए सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा, "यह एक स्थापित सिद्धांत है कि विवाद की स्थिति में मैट्रिक के प्रमाणपत्र को ही फाइनल माना जाता है।"
कांग्रेस ने कहा कि थलसेना प्रमुख जनरल वीके सिंह के उम्र से जुड़े विवाद को तूल नहीं दिया जाना चाहिए। उसने कहा कि विपक्ष की ओर से इस दिशा में किए जा रहे प्रयास राष्ट्रीय हित में नहीं है।
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकारों से चर्चा में कहा कि यह मसला सर्वोच्च न्यायालय, सेना प्रमुख और रक्षा मंत्रालय के बीच है। उन्होंने कहा, "जनरल सिंह ने स्पष्ट किया है कि यह उनका निजी मामला है। विपक्ष यदि जानबूझ कर इसे मुद्दा बनाना चाहता है तो यह देश हित में नहीं होगा। मामले को नया मोड़ देने की कोशिश गलत होगी।" उनके इस कदम पर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अम्बिका सोनी ने कहा कि हर किसी को न्याय पाने का हक है।
सेना प्रमुख द्वारा इस मुद्दे पर सरकार को अदालत में घसीटने के एक दिन बाद सोनी ने संवाददाताओं से कहा, "यदि किसी को लगता है कि उसे न्याय नहीं मिला है, तो उसे न्याय पाने का अधिकार है और यह सभी भारतीयों का अधिकार है।"
जनरल सिंह का कहना है कि उनका जन्म वर्ष 1951 में हुआ था और इसलिए वह 2013 में ही सेवानिवृत्त होंगे। लेकिन रक्षा मंत्रालय के मौजूद रिकॉर्ड के अनुसार, उनका जन्म वर्ष 1950 में हुआ था। इसलिए उन्हें इसी साल मई में सेवानिवृत्त होना होगा।
इससे पहले उन्होंने रक्षा मंत्रालय में वैधानिक शिकायत दर्ज कर आधिकारिक रिकॉर्ड में अपने जन्म का वर्ष ठीक करते हुए इसे 1950 के बजाय 1951 करने का अनुरोध किया था। लेकिन मंत्रालय ने दिसम्बर में इसे खारिज कर दिया था, जिसके बाद सोमवार को उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया।
स्वतंत्रता के बाद देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि जब कोई सेना प्रमुख सेवा में रहते हुए सरकार के खिलाफ अदालत गया हो।