कोलकाता:
कार्टून विवाद के बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने एक टीवी कार्यक्रम में हिस्सा लेने को लेकर सरकारी कॉलेजों के उन दो प्रोफेसरों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है जिन्होंने उस दौरान कथित रूप से सरकार विरोधी टिप्पणियां की थी।
झारग्राम राज कॉलेज के प्रोफेसर देबाशीष सरकार और हुगली मोहसिन कॉलेज की प्रोफेसर शोंपा सेन को उच्च शिक्षा निदेशालय ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है और उनसे पूछा है कि क्या टीवी कार्यक्रम में हिस्सा लेने से पहले उन्होंने सरकार से इस बात की इजाजत ली थी।
हालांकि उच्च शिक्षा मंत्री बी बसु ने आज कहा कि इस मामले में कोई विवाद नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हमने तो बस इतना जानना चाहा है कि क्या बतौर सरकारी कॉलेज शिक्षक उन्होंने नियमों के अनुसार विभाग से इजाजत ली। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सभी के लिए है। मुझे कोई टिप्पणी नहीं करनी।’’ उन्होंने कहा कि सरकारी कॉलेजों के शिक्षकों के लिए नियमों का पालन अनिवार्य है।
मंत्री के अनुसार एक अन्य शिक्षक ने शिक्षा विभाग की शिकायत शाखा को ईमेल भेजकर यह जानना चाहा था कि क्या दोनों ने टीवी कार्यक्रमों हिस्सा लेने की अनुमति ली थी और यह कि उन्होंने सरकार के खिलाफ राय देकर नियमों का उल्लंघन किया है। इस सवाल पर कि क्या सरकार का कदम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता गला घोंटना है, पर प्रतिक्रिया देने से इनकार करते हुए देबाशीष सरकार ने कहा, ‘‘मुझे 15 दिनों के अंदर कारण बताओ नोटिस पर जवाब देने को कहा गया है और मैं निमयों के अनुसा ऐसा करूंगा। मुझे जो कुछ कहना है कि मैं सरकार को लिखित में कहूंगा। सरकार ने बस इतना जानना चाहा है कि क्या मैंने टीवी पर अपनी राय देने से पहले इजाजत ली थी।’’
शोंपा सेन ने भी कारण बताओ नोटिस मिलने की पुष्टि की है और कहा है कि वह इसका जवाब देंगी। यह घटना उस घटना के दो महीने बाद हुई है जब जादवपुर विश्वविद्यालय के रसायन के शिक्षक अंबिकेश महापात्रा को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, रेल मंत्री मुकुल रॉय और पूर्व रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी पर कार्टून संबंधी एक ईमेल भेजने को लेकर गिरफ्तार किया गया था।
झारग्राम राज कॉलेज के प्रोफेसर देबाशीष सरकार और हुगली मोहसिन कॉलेज की प्रोफेसर शोंपा सेन को उच्च शिक्षा निदेशालय ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है और उनसे पूछा है कि क्या टीवी कार्यक्रम में हिस्सा लेने से पहले उन्होंने सरकार से इस बात की इजाजत ली थी।
हालांकि उच्च शिक्षा मंत्री बी बसु ने आज कहा कि इस मामले में कोई विवाद नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हमने तो बस इतना जानना चाहा है कि क्या बतौर सरकारी कॉलेज शिक्षक उन्होंने नियमों के अनुसार विभाग से इजाजत ली। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सभी के लिए है। मुझे कोई टिप्पणी नहीं करनी।’’ उन्होंने कहा कि सरकारी कॉलेजों के शिक्षकों के लिए नियमों का पालन अनिवार्य है।
मंत्री के अनुसार एक अन्य शिक्षक ने शिक्षा विभाग की शिकायत शाखा को ईमेल भेजकर यह जानना चाहा था कि क्या दोनों ने टीवी कार्यक्रमों हिस्सा लेने की अनुमति ली थी और यह कि उन्होंने सरकार के खिलाफ राय देकर नियमों का उल्लंघन किया है। इस सवाल पर कि क्या सरकार का कदम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता गला घोंटना है, पर प्रतिक्रिया देने से इनकार करते हुए देबाशीष सरकार ने कहा, ‘‘मुझे 15 दिनों के अंदर कारण बताओ नोटिस पर जवाब देने को कहा गया है और मैं निमयों के अनुसा ऐसा करूंगा। मुझे जो कुछ कहना है कि मैं सरकार को लिखित में कहूंगा। सरकार ने बस इतना जानना चाहा है कि क्या मैंने टीवी पर अपनी राय देने से पहले इजाजत ली थी।’’
शोंपा सेन ने भी कारण बताओ नोटिस मिलने की पुष्टि की है और कहा है कि वह इसका जवाब देंगी। यह घटना उस घटना के दो महीने बाद हुई है जब जादवपुर विश्वविद्यालय के रसायन के शिक्षक अंबिकेश महापात्रा को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, रेल मंत्री मुकुल रॉय और पूर्व रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी पर कार्टून संबंधी एक ईमेल भेजने को लेकर गिरफ्तार किया गया था।
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