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This Article is From Apr 29, 2020

जम्मू-कश्मीर में 4G इंटरनेट पर रोक के मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल

जम्मू-कश्मीर ने कहा- इंटरनेट का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं, इंटरनेट के माध्यम से किसी भी व्यापार और पेशे को चलाने की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया जा सकता है

जम्मू-कश्मीर में 4G इंटरनेट पर रोक के मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल
सुप्रीम कोर्ट.
नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर में 4G इंटरनेट पर रोक के मामले में जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कहा है कि इंटरनेट इस्तेमाल करना मौलिक अधिकार नहीं है  और इंटरनेट के जरिए व्यापार और पेशे को प्रतिबंधित किया जा सकता है. केंद्र सरकार के गृह विभाग के प्रधान सचिव द्वारा जम्मू-कश्मीर सरकार के 26 मार्च के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह पर जवाब देते हुए कहा गया है इंटरनेट का अधिकार एक मौलिक अधिकार  नहीं है. साथ ही बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और इंटरनेट के माध्यम से किसी भी व्यापार और पेशे को चलाने की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया जा सकता है.

इंटरनेट का उपयोग करने का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है और इस प्रकार अनुच्छेद 19 (1) (ए) और / या अनुच्छेद के तहत किसी भी व्यापार या व्यवसाय को चलाने के लिए बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उपयोग करने के लिए प्रतिबंध लगाए जा सकते  हैं. 

इंटरनेट के माध्यम से भारत के संविधान के 19 (1) (g) के अधिकारों पर पर अंकुश लगाया जा सकता है. भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था या अपराध के लिए उकसाने पर निश्चित रूप से अनुच्छेद 19 (2) के तहत बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया जा सकता है. 

दरअसल सुप्रीम कोर्ट में केंद्र के उस फैसले को चुनौती दी गई है जिसमें लॉकडाउन के दौरान 2 G इंटरनेट स्पीड की इजाजत दी गई है. 

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