मुंबई:
आदर्श सोसाइटी के लोगों का कहना है कि सेना के कुछ आला अधिकारी जिन्हें आदर्श इमारत में फ्लैट नहीं दिया गया, वो अब हमसे बदला ले रहे है। यह जवाब आदर्श सोसाइटी के लोगों ने ने रक्षा मंत्रालय के जमीन के मालिकाना हक के नोटिस के जवाब में दिया है।
आदर्श सोसाइटी ने अपने जवाब में दावा किया है कि सेना के आला अधिकारियों के दबाव में अब रक्षा मंत्रालय हमे परेशान कर रहा है, और इसी वजह से उन्होंने जमीन के मालिकाना हक का नोटिस भेजा था। रक्षा मंत्रालय की तरफ से 28 मई 2012 को महाराष्ट्र सरकार और आदर्श सोसाइटी के लोगों को नोटिस देते हुए आदर्श इमारत की जमीन को खाली कर उसे सेना के हवाले करने की मांग की थी।
रक्षा मंत्रालय ने अपने नोटिस में दो महीने के भीतर जमीन को उनके हवाले करने की मांग की थी, और ऐसा ना करने पर अदालती कार्यवाही की धमकी दी थी। हालांकि, राज्य सरकार की तरफ से अब तक नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया गया है। आदर्श सोसाइटी ने अपने जवाब में कहा है की उन्हें जमीन का हिस्सा नियमों और कानूनों का पालन करते हुए दिया गया था।
राज्य सरकार की तरफ से कोई भी धांधली नहीं की गई। रक्षा मंत्रालय के नोटिस के जवाब में कहा गया है कि ये नोटिस गलत तरीके से भेजा गया है और अगर सेना अपनी जमीन के हिस्से को लेकर इतनी जागरूक है तो 12 साल पहले जब जमीन सोसाइटी को दी गई थी तब क्यों आवाज नहीं उठाई गई।
सेना की तरफ से कई दस्तावेजों को आदर्श कमीशन के सामने पेश किया गया जिसमें मालिकाना हक से भी जुड़े कागजात थे लेकिन कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में जमीन का मालिकाना हक़दार राज्य सरकार को बताया है। अब सब की निगाह इस बात पर हैं कि आदर्श की तरफ से दिए गए जवाब के बाद रक्षा मंत्रालय क्या कदम उठाता है।
आदर्श सोसाइटी ने अपने जवाब में दावा किया है कि सेना के आला अधिकारियों के दबाव में अब रक्षा मंत्रालय हमे परेशान कर रहा है, और इसी वजह से उन्होंने जमीन के मालिकाना हक का नोटिस भेजा था। रक्षा मंत्रालय की तरफ से 28 मई 2012 को महाराष्ट्र सरकार और आदर्श सोसाइटी के लोगों को नोटिस देते हुए आदर्श इमारत की जमीन को खाली कर उसे सेना के हवाले करने की मांग की थी।
रक्षा मंत्रालय ने अपने नोटिस में दो महीने के भीतर जमीन को उनके हवाले करने की मांग की थी, और ऐसा ना करने पर अदालती कार्यवाही की धमकी दी थी। हालांकि, राज्य सरकार की तरफ से अब तक नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया गया है। आदर्श सोसाइटी ने अपने जवाब में कहा है की उन्हें जमीन का हिस्सा नियमों और कानूनों का पालन करते हुए दिया गया था।
राज्य सरकार की तरफ से कोई भी धांधली नहीं की गई। रक्षा मंत्रालय के नोटिस के जवाब में कहा गया है कि ये नोटिस गलत तरीके से भेजा गया है और अगर सेना अपनी जमीन के हिस्से को लेकर इतनी जागरूक है तो 12 साल पहले जब जमीन सोसाइटी को दी गई थी तब क्यों आवाज नहीं उठाई गई।
सेना की तरफ से कई दस्तावेजों को आदर्श कमीशन के सामने पेश किया गया जिसमें मालिकाना हक से भी जुड़े कागजात थे लेकिन कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में जमीन का मालिकाना हक़दार राज्य सरकार को बताया है। अब सब की निगाह इस बात पर हैं कि आदर्श की तरफ से दिए गए जवाब के बाद रक्षा मंत्रालय क्या कदम उठाता है।
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