गोवा के पूर्व मंत्री फ्रांसिस्को मिकी पचेको की फाइल फोटो
पणजी:
बिजली विभाग के एक जूनियर इंजीनियर को थप्पड़ मारने के चर्चित मामले में 9 अप्रैल से फरार गोवा के पूर्व मंत्री फ्रांसिस्को मिकी पचेको ने सोमवार को मडगांव की एक स्थानीय अदालत में सरेंडर कर दिया।
नुवेम विधानसभा सीट से गोवा विकास पार्टी के विधायक पचेको इस मामले में दोषसिद्धि पर उच्चतम न्यायालय की मुहर लगने के बाद गायब हो गए थे।
विधायक को साल 2006 में बिजली विभाग के जूनियर इंजीनियर कपिल नाटेकर को थप्पड़ मारने के मामले में छह महीने कैद की सजा सुनाई गई थी और मुजरिम करार दिए जाने के बाद उन्हें ग्रामीण विकास मंत्रालय से इस्तीफा भी देना पड़ा था।
एक नाटकीय घटनाक्रम में वह सोमवार को कार से प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट, मडगांव परिसर पहुंचे और मजिस्ट्रेट के सामने सरेंडर करने के लिए अदालत में चले गए।
अपनी पहचान बना चुके सफेद लिबास पहने विधायक जब पहली मंजिल पर पहुंचे तो कुछ परेशान और थके हुए लग रहे थे। अदालत आज का अपना काम खत्म करने वाली थी, तभी वह पहुंचे।
उच्चतम न्यायालय में न्यायमूर्ति एफ. एम. कलीफुल्ला और न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह की पीठ ने उच्च न्यायालय के 17 जुलाई 2014 के फैसले के विरुद्ध पचेको की विशेष अनुमति याचिका अप्रैल में खारिज कर दी थी। पचेको उसके बाद से फरार थे।
इससे पूर्व उच्च न्यायालय की गोवा पीठ ने पुनरीक्षा अदालत के फैसले को पलट दिया था, जिसने विधायक के खिलाफ लगाई गई धारा 353 (सरकारी कर्मचारी को कर्तव्य से विमुख करने के लिए उसपर हमला करना) को हलकी धारा 323 (चोट पहुंचाना) में बदलकर विधायक को आपराधिक अधिनियम परीविक्षा के तहत ‘चेतावनी’ देकर रिहा करने का आदेश दिया था।
उच्च न्यायालय ने विधायक को सरेंडर करने के लिए दो हफ्ते का समय दिया था और निचली अपीलीय अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए उसे छह महीने की कैद और 1500 रुपये जुर्माने से दंडित किया।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल जुलाई में विधायक की विशेष अनुमति याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार किया और उसे सजा की तामील के लिए सरेंडर करने से छूट दे दी।
उल्लेखनीय है कि सरकार के बिजली विभाग के जूनियर इंजीनियर कपिल नाटेकर ने तत्कालीन मंत्री पचेको के खिलाफ 15 जुलाई 2006 को प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
घटनाक्रम के अनुसार, नाटेकर को मंत्री के कार्यालय में बुलाया गया था क्योंकि एक दिन पहले विधायक के निजी सहायक के फोन को कथित रूप से अटैंड नहीं किया गया था। इंजीनियर का आरोप है कि मंत्री के कक्ष में उसके साथ गाली गलौच की गई और उसे थप्पड़ मारा गया।
मडगांव में न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने विधायक को एक साल की कैद और 5,000 रुपये जुर्माने की सजा दी थी, जिसे अपीलीय अदालत ने घटाकर 6 माह की कैद और 1500 रुपये के जुर्माने में बदल दिया था।
नुवेम विधानसभा सीट से गोवा विकास पार्टी के विधायक पचेको इस मामले में दोषसिद्धि पर उच्चतम न्यायालय की मुहर लगने के बाद गायब हो गए थे।
विधायक को साल 2006 में बिजली विभाग के जूनियर इंजीनियर कपिल नाटेकर को थप्पड़ मारने के मामले में छह महीने कैद की सजा सुनाई गई थी और मुजरिम करार दिए जाने के बाद उन्हें ग्रामीण विकास मंत्रालय से इस्तीफा भी देना पड़ा था।
एक नाटकीय घटनाक्रम में वह सोमवार को कार से प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट, मडगांव परिसर पहुंचे और मजिस्ट्रेट के सामने सरेंडर करने के लिए अदालत में चले गए।
अपनी पहचान बना चुके सफेद लिबास पहने विधायक जब पहली मंजिल पर पहुंचे तो कुछ परेशान और थके हुए लग रहे थे। अदालत आज का अपना काम खत्म करने वाली थी, तभी वह पहुंचे।
उच्चतम न्यायालय में न्यायमूर्ति एफ. एम. कलीफुल्ला और न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह की पीठ ने उच्च न्यायालय के 17 जुलाई 2014 के फैसले के विरुद्ध पचेको की विशेष अनुमति याचिका अप्रैल में खारिज कर दी थी। पचेको उसके बाद से फरार थे।
इससे पूर्व उच्च न्यायालय की गोवा पीठ ने पुनरीक्षा अदालत के फैसले को पलट दिया था, जिसने विधायक के खिलाफ लगाई गई धारा 353 (सरकारी कर्मचारी को कर्तव्य से विमुख करने के लिए उसपर हमला करना) को हलकी धारा 323 (चोट पहुंचाना) में बदलकर विधायक को आपराधिक अधिनियम परीविक्षा के तहत ‘चेतावनी’ देकर रिहा करने का आदेश दिया था।
उच्च न्यायालय ने विधायक को सरेंडर करने के लिए दो हफ्ते का समय दिया था और निचली अपीलीय अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए उसे छह महीने की कैद और 1500 रुपये जुर्माने से दंडित किया।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल जुलाई में विधायक की विशेष अनुमति याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार किया और उसे सजा की तामील के लिए सरेंडर करने से छूट दे दी।
उल्लेखनीय है कि सरकार के बिजली विभाग के जूनियर इंजीनियर कपिल नाटेकर ने तत्कालीन मंत्री पचेको के खिलाफ 15 जुलाई 2006 को प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
घटनाक्रम के अनुसार, नाटेकर को मंत्री के कार्यालय में बुलाया गया था क्योंकि एक दिन पहले विधायक के निजी सहायक के फोन को कथित रूप से अटैंड नहीं किया गया था। इंजीनियर का आरोप है कि मंत्री के कक्ष में उसके साथ गाली गलौच की गई और उसे थप्पड़ मारा गया।
मडगांव में न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने विधायक को एक साल की कैद और 5,000 रुपये जुर्माने की सजा दी थी, जिसे अपीलीय अदालत ने घटाकर 6 माह की कैद और 1500 रुपये के जुर्माने में बदल दिया था।
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