विज्ञापन
This Article is From Jan 29, 2014

अभिज्ञान का प्वाइंट : राहुल गांधी से ज्यादा उम्मीदें?

नई दिल्ली:

ऐ मेरे वतन के फेसबुकियों और टि्वटरवासियों आज हम बात करेंगे राहुल गांधी की। अपनी प्रतिक्रियाएं ज़रूर दीजिएगा। आलोचनाओं का ज़्यादा स्वागत होगा। राहुल गांधी की चर्चा इसलिए नहीं कि हाल ही में उन्होंने अख़बार और टेलीविज़न को इंटरव्यू दिया। लेकिन, इस लिहाज़ से कि कांग्रेस कितनी बार उनको प्री−लॉन्च, लॉन्च और री−लॉन्च करेगी।

हाल के एआईसीसी सेशन में जब राहुल गांधी गंजों को कंघी बेचने जैसे जुमले बोलते सुने गए तो ये बात साफ़ हो गई कि वो भी नरेंद्र मोदी की तरह जुमलेबाज़ी कर सकते हैं। जब उन्होंने मनमोहन सिंह की मौजूदगी में पूरी कांग्रेस से कहा कि नौ सिलिंडरों से काम नहीं चलेगा, हमें 12 सिलिंडर चाहिए, तो ऐसा लगा कि राहुल गांधी नेतागिरी की भाषा बोलना सीख गए हैं।
लेकिन, फिर भी राहुल गांधी की जितनी चमक दिखनी चाहिए वह नहीं दिख रही है। बावजूद इसके कि आनेवाले समय में पार्टी में मनमोहन सिंह के कमबैक की संभावनाएं बहुत कम हैं और राहुल गांधी के पीछे पूरी पार्टी खड़ी है। अख़बारों में लगातार दिए जा रहे विज्ञापनों से लेकर बयानों तक सब राहुल के हक़ में है, लेकिन वह जनजुड़ाव की दहलीज़ तक नहीं पहुंच पाए हैं।

क्या कांग्रेस राहुल गांधी से ज़रूरत से ज़्यादा उम्मीद लगा बैठी है? आइए देखें चर्चा...

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
जम्‍मू-कश्‍मीर चुनाव : पहले चरण में किस पार्टी के कितने करोड़पति उम्‍मीदवार? जानिए कितनी है औसत संपत्ति
अभिज्ञान का प्वाइंट : राहुल गांधी से ज्यादा उम्मीदें?
कंगना रनौत को 'इमरजेंसी' पर राहत नहीं, 6 सितंबर को फिल्म नहीं होगी रिलीज
Next Article
कंगना रनौत को 'इमरजेंसी' पर राहत नहीं, 6 सितंबर को फिल्म नहीं होगी रिलीज
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com