नजीब जंग (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
आम आदमी पार्टी ने शनिवार को दिल्ली के एंटी करप्शन ब्रांच के प्रमुख मुकेश मीणा से मिलकर एलजी नजीब जंग की चौटाला पैरोल मामले में शिकायत की है। शिकायत में कहा गया है कि एलजी ने संवैधानिक पद का दुरुपयोग किया है। हरियाणा के पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला के पैरोल और एलजी के रोल की जांच होनी चाहिए।
सरकार के निर्णय को परे रखकर बढ़ाई पैरोल अवधि
पार्टी नेता आशुतोष, दिलीप पांडे और राघव चड्ढा ने एसीबी में जो शिकायत दर्ज कराई है उसके मुताबिक मई 2015 में चौटाला की पैरोल अवधि बढ़ाने की याचिका आई थी। उसमें सुप्रीम कोर्ट में याचिका लंबित होने और पारिवारिक वजहों का हवाला देकर पैरोल बढ़ाने की मांग की गई थी। दिल्ली सरकार ने इसको नकार दिया था क्योंकि चौटाला पहले ही अप्रैल महीने में कई हफ्तों की पैरोल ले चुके थे, लेकिन एलजी ने सरकार के निर्णय के विरुद्ध चौटाला की पैरोल बढ़ा दी।
इसके बाद सितम्बर 2015 में चौटाला की पैरोल याचिका आई जिसको दिल्ली सरकार ने इस आधार पर नकारा कि 2010 के पैरोल के दिशानिर्देशों के मुताबिक पिछले पैरोल के खत्म होने के 6 महीने के बाद ही अगली पैरोल याचिका विचार के लिए आगे बढ़ सकती है। याचिका खारिज हो गई।
गृह मंत्री पर पैरोल की मंजूरी देने के लिए बनाया दबाव
अक्टूबर 2015 में चौटाला ने फिर मेडिकल ग्राउंड पर पैरोल याचिका लगाई, लेकिन दिल्ली सरकार ने फिर 2010 की पैरोल गाइडलाइन का हवाला दिया। सरकार ने पैरोल न देने की वकालत की लेकिन एलजी ने गृह मंत्री सत्येंद्र जैन पर चौटाला को पैरोल देने की मंजूरी देने का दबाव बनाया और कारण यह बताया कि वे एक पॉलिटिकल पार्टी के प्रमुख हैं।
'इनफॉर्मल चैनल' से मिली फाइल की जानकारी
इसके बाद 30 अक्टूबर को एलजी हाउस में एक प्रेस ब्रीफिंग में मीडिया कर्मियों को बुलाया गया जिसमें एलजी के ओएसडी ने माना कि 21 अक्टूबर को एलजी ने गृह मंत्री से बात की थी। उनसे पूछा गया कि जब एलजी हाउस का दावा है कि उनके पास चौटाला की पैरोल की दूसरी याचिका की फाइल ही 28 अक्टूबर को पहुंची तो कैसे एलजी ने 21 अक्टूबर को गृह मंत्री सत्येंद्र जैन से इस बारे में चर्चा की? तो अधिकारियों ने माना कि एलजी को 'इनफॉर्मल चैनल' से इस फाइल की जानकारी थी। इस बात से साफ है कि एलजी का पैरोल के मामले में दखल करप्शन के मामले में सजायाफ्ता को फायदा पहुंचाने की कोशिश है।
आप ने मीणा को माना एसीबी प्रमुख?
वैसे ध्यान देने वाली बात यह भी है कि दिल्ली सरकार और आम आदमी पार्टी के मुताबिक दिल्ली की एसीबी के मुखिया दिल्ली सरकार की तरफ से नियुक्त एसएस यादव हैं, एलजी की तरफ से नियुक्त मुकेश मीणा नहीं। इसको लेकर कोर्ट में केस भी चल रहा है लेकिन मुकेश मीणा के पास शिकायत दर्ज कराने का मतलब क्या यह निकाला जाए कि आम आदमी पार्टी ने मीणा को ही एसीबी प्रमुख मान लिया है?
सरकार के निर्णय को परे रखकर बढ़ाई पैरोल अवधि
पार्टी नेता आशुतोष, दिलीप पांडे और राघव चड्ढा ने एसीबी में जो शिकायत दर्ज कराई है उसके मुताबिक मई 2015 में चौटाला की पैरोल अवधि बढ़ाने की याचिका आई थी। उसमें सुप्रीम कोर्ट में याचिका लंबित होने और पारिवारिक वजहों का हवाला देकर पैरोल बढ़ाने की मांग की गई थी। दिल्ली सरकार ने इसको नकार दिया था क्योंकि चौटाला पहले ही अप्रैल महीने में कई हफ्तों की पैरोल ले चुके थे, लेकिन एलजी ने सरकार के निर्णय के विरुद्ध चौटाला की पैरोल बढ़ा दी।
इसके बाद सितम्बर 2015 में चौटाला की पैरोल याचिका आई जिसको दिल्ली सरकार ने इस आधार पर नकारा कि 2010 के पैरोल के दिशानिर्देशों के मुताबिक पिछले पैरोल के खत्म होने के 6 महीने के बाद ही अगली पैरोल याचिका विचार के लिए आगे बढ़ सकती है। याचिका खारिज हो गई।
गृह मंत्री पर पैरोल की मंजूरी देने के लिए बनाया दबाव
अक्टूबर 2015 में चौटाला ने फिर मेडिकल ग्राउंड पर पैरोल याचिका लगाई, लेकिन दिल्ली सरकार ने फिर 2010 की पैरोल गाइडलाइन का हवाला दिया। सरकार ने पैरोल न देने की वकालत की लेकिन एलजी ने गृह मंत्री सत्येंद्र जैन पर चौटाला को पैरोल देने की मंजूरी देने का दबाव बनाया और कारण यह बताया कि वे एक पॉलिटिकल पार्टी के प्रमुख हैं।
'इनफॉर्मल चैनल' से मिली फाइल की जानकारी
इसके बाद 30 अक्टूबर को एलजी हाउस में एक प्रेस ब्रीफिंग में मीडिया कर्मियों को बुलाया गया जिसमें एलजी के ओएसडी ने माना कि 21 अक्टूबर को एलजी ने गृह मंत्री से बात की थी। उनसे पूछा गया कि जब एलजी हाउस का दावा है कि उनके पास चौटाला की पैरोल की दूसरी याचिका की फाइल ही 28 अक्टूबर को पहुंची तो कैसे एलजी ने 21 अक्टूबर को गृह मंत्री सत्येंद्र जैन से इस बारे में चर्चा की? तो अधिकारियों ने माना कि एलजी को 'इनफॉर्मल चैनल' से इस फाइल की जानकारी थी। इस बात से साफ है कि एलजी का पैरोल के मामले में दखल करप्शन के मामले में सजायाफ्ता को फायदा पहुंचाने की कोशिश है।
आप ने मीणा को माना एसीबी प्रमुख?
वैसे ध्यान देने वाली बात यह भी है कि दिल्ली सरकार और आम आदमी पार्टी के मुताबिक दिल्ली की एसीबी के मुखिया दिल्ली सरकार की तरफ से नियुक्त एसएस यादव हैं, एलजी की तरफ से नियुक्त मुकेश मीणा नहीं। इसको लेकर कोर्ट में केस भी चल रहा है लेकिन मुकेश मीणा के पास शिकायत दर्ज कराने का मतलब क्या यह निकाला जाए कि आम आदमी पार्टी ने मीणा को ही एसीबी प्रमुख मान लिया है?
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