महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार को बिजली की दरें 20 फीसदी घटा दी है। 20 फीसदी कटौती का लाभ ऐसे घरेलू उपभोक्ताओं को मिलेगा, जो प्रति माह 300 यूनिट तक उपभोग करते हैं। ऐसे उपभोक्ताओं की संख्या राज्य में 1.30 करोड़ है।
मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक इस कदम का लाभ घरेलू, वाणिज्यिक, औद्योगिक और कृषि उपभोक्ताओं को मिलेगा। सरकार के इस कदम की शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आलोचना की है।
बिजली की दरों में यह कटौती मुंबई में लागू नहीं होगी, क्योंकि वहां बिजली वितरण का काम महाराष्ट्र राज्य बिजली बोर्ड (एमएसईबी) के हाथों में नहीं है। मुंबई के उपभोक्ताओं को टाटा पावर, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और बृह्नमुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एवं ट्रांसपोर्ट द्वारा बिजली की आपूर्ति की जाती है।
एमएसईबी के प्रवक्ता ने कहा कि उसके महाराष्ट्र में 2.14 करोड़ उपभोक्ता हैं। उनमें से 1.56 करोड़ घरेलू उपभोक्ता हैं, जिनमें से 1.30 करोड़ उपभोक्ता प्रति माह 300 यूनिट तक उपभोग करते हैं।
महाराष्ट्र में 36 लाख कृषि उपभोक्ता हैं, 16 लाख वाणिज्यिक उपभोक्ता हैं, तीन लाख औद्योगिक उपभोक्ता हैं और एक लाख विद्युत करघा हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि रेलवे जैसे विशेष उपभोक्ता फैसले के दायरे में नहीं आते हैं। इस 20 फीसदी कटौती का मतलब है कि एमएसईबी को हर माह 706 करोड़ रुपए का नुकसान होगा।
सरकार हालांकि एमएसईबी को हर महीने 606 करोड़ रुपए या सालाना 7,272 करोड़ रुपए की सब्सिडी देगी। बाकी के 100 करोड़ रुपए प्रति माह या 1,200 करोड़ रुपए सालाना नुकसान एमएसईबी को उठाना होगा।
इससे पहले, मुंबई में कांग्रेसी सांसद संजय निरूपम और प्रिया दत्त ने बिजली के दाम घटाने की मांग को लेकर खुद की ही सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था।
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