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This Article is From Jan 04, 2021

''मंत्री ने कहा, कानून रद्द नहीं करेंगे, सुप्रीम कोर्ट जाइए'' : वार्ता के बाद बोले किसान

Farmers Talks: कृषि कानूनों के महत्वपूर्ण मुद्दे पर केंद्र सरकार औऱ किसान नेताओं के बीच सोमवार को हुई सातवें दौर की बातचीत बेनतीजा रही. दोनों पक्षों के बीच अगली बातचीत 8 जनवरी को होगी.

Farmers Talks:केंद्र और किसान नेताओं के बीच सोमवार को सातवें दौर की बातचीत बेनतीजा समाप्‍त हुई

नई दिल्ली:

कृषि कानूनों के महत्वपूर्ण मुद्दे पर केंद्र सरकार औऱ किसान नेताओं के बीच सोमवार को हुई सातवें दौर की बातचीत (Farmers Government Talks) बेनतीजा रही. दोनों पक्षों के बीच अगली बातचीत 8 जनवरी को होगी. सोमवार की बातचीत के दौरान किसान नेता अपनी मांगों पर अडिग नजर आए. किसानों की ओर से सिर्फ और सिर्फ तीनों कृषि कानूनों (Farm Law) को रद्द करने की बात की गई जबकि सरकार की तरफ से सुधार करने की बात की गई. जानकारी के अनुसार, बातचीत के दूसरे दौर में सरकार ने न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (MSP) का 'कानूनी रूप' देने पर बातचीत का प्रस्‍ताव किया लेकिन किसान यूनियन के नेताओं ने इस पर चर्चा से इनकार कर दिया. वे कृषि कानून को निरस्‍त करने की अपनी मांग पर अडिग रहे.

वार्ता में भाग लेने वाले किसान मज‍दूर संघर्ष कमेटी के सरवन सिंह पंधेर के अनुसार, ''कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने साफतौर पर कहा कि कानून रद्द नहीं किए जाएंगे, उन्‍होंने हमसे यहां तक कहा कि कानून रद्द कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट की शरण लीजिए.' पंधेर ने कहा, 'हमने पंजाब के युवाओं से लंबी लड़ाई के लिए तैयार रहने को कहा है. हम गणतंत्र दिवस पर बड़ा प्रदर्शन करेंगे.''

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उधर, वार्ता के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस बात से इनकार किया कि किसान यूनियन को सरकार पर भरोसा नहीं है. उन्‍होंने कहा कि सरकार और यूनियन की रजामंदी से ही आठ तारीख की बैठक तय हुई है इसका मतलब है कि किसानों को सरकार पर भरोसा है. उन्‍होंने कहा कि किसानों की भी मंशा है कि सरकार रास्‍ता तलाशे और आंदोलन खत्‍म करने की स्थिति तैयार हो. चर्चा में दो अहम विषय एमएसपी और कानून थे, कुल मिलाकर चर्चा अच्‍छे वातावरण में हुई, दोनों पक्ष चाहते हैं कि समाधान निकले. सरकार ने कानून बनाया है तो किसानों के हित को ध्‍यान में रखकर बनाया है. हम चाहते हैं कि यूनियन की तरफ से वह बात आए जिस पर किसानों को ऐतराज है, इस पर सरकार खुले मन से बातचीत करने को तैयार है.  

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सोमवार की बातचीत शुरू होने से पहले आंदोलन में मारे गए लोगों के लिए दो मिनट का मौन रखा गया.दिल्ली में भारी बारिश और हाड़ कंपा देने वाली ठंड के बावजूद किसान सिंघु बॉर्डर समेत कई सीमाओं पर मोर्चेबंदी पर डटे हुए हैं. किसानों ने अल्टीमेटम दिया है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी जाती हैं तो वे अपने आंदोलन को और तेेेज करेंंगे.आखिरी दौर की बैठक में सरकार ने किसानों की दो मांगें मान ली थीं. सरकार ने बिजली संशोधन बिल को वापस लेने और पराली जलाने से रोकने के लिए बने वायु गुणवत्ता आयोग अध्यादेश में बदलाव का भरोसा किसान नेताओं को दिया था. हालांकि कृषि कानूनों पर पेंच फंसा हुआ है. किसान सितंबर से ही इन कानूनों का विरोध करते हुए आंदोलन कर रहे हैं. दिल्ली की कई सीमाओं पर किसान 26 नवंबर से आंदोलन कर रहे हैं.

बैठक से पहले ही किसान संगठनों के नेताओं ने  कह द‍िया था क‍ि वे  सरकार के सामने नया विकल्प नहीं रखेंगे. दरअसल, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पिछली बैठक में किसान संगठनों से अनुरोध किया था कि कृषि सुधार कानूनों के संबंध में अपनी मांग के अन्य विकल्प दें, जिस पर सरकार विचार करेगी. पिछली बैठक में शामिल किसान नेताओं ने कहा था कि सरकार ने संकेत दिया है कि वह कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी. उसने इसे लंबी और जटिल प्रक्रिया बताया था.

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