
भारत ने पाकिस्तान से मांग की है कि लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर और मुंबई पर हुए 26/11 हमले के मास्टरमाइंड ज़की-उर-रहमान लखवी को ज़मानत देने का फैसला वापस लिया जाए और पाकिस्तान सरकार इस बारे में जल्दी पहल करे। यह मांग विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने शुक्रवार को लोकसभा में रखी। विदेशमंत्री का यह बयान विपक्ष के उन सवालों के जवाब में आया, जिनमें सरकार से पूछा गया था कि पाकिस्तान में लखवी को ज़मानत दिए जाने के बाद अब इस मामले में वह आगे क्या रणनीति अख्तियार कर रही है।
विदेशमंत्री ने कहा, "मुंबई में 26/11 हमले के 99 फीसदी सबूत पाकिस्तान में हैं... पाकिस्तान ने अपने यहां आतंकवादियों द्वारा मासूम बच्चों की निर्मम हत्या किए जाने के बाद आतंकियों के खिलाफ बिना किसी भेदभाव के कार्रवाई करने का प्रण किया था, लेकिन लखवी को जमानत देकर उसने अपने इस प्रण का ही मजाक उड़ाया है... इससे वैसे लोगों का हौसला बढ़ता है, जिन्होंने पेशावर में हाल ही में हमला करने का षडयंत्र रचा..."
चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ज़की-उर-रहमान लखवी को जमानत दिए जाने को लेकर भारत सरकार ने 'कड़े शब्दों में' पाकिस्तान को भारत की भावना से अवगत करा दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा, "जो घटना घटी है, जितनी पीड़ा पाकिस्तान को हुई है, भारत को रत्ती भर भी कम नहीं हुई है... हिन्दुस्तान के हर बच्चे की आंख में आंसू हैं... हर हिन्दुस्तानी की आंख में आंसू हैं... और उसके तुरंत बाद इस तरह का रवैया (लखवी को ज़़मानत), यह दुनियाभर के मानवतावादी व्यक्तियों के लिए सदमा पहुंचाने वाला है..."
उन्होंने कहा कि सदन ने लखवी को पाकिस्तान में जमानत पर रिहा करने के बारे में एक स्वर में जो चिंता जताई है और निंदा की है, सरकार की भावना सदन की भावना के अनुरूप रहेगी।
इससे पहले, विदेशमंत्री ने भी कहा, हम पाकिस्तान के इस तर्क को स्वीकार नहीं करते हैं कि उसके पास लश्कर-ए-तैयबा के ऑपरेशन कमांडर और संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित लखवी के खिलाफ सबूत नहीं हैं। हम बिना किसी शक के कह सकते हैं कि मुंबई हमले की साजिश पाकिस्तान में रची गई थी। उनकी जांच एजेंसियों के पास उसके खिलाफ सबूत जुटाने के लिए छह साल का समय था। सबूत एकत्र कर पेश करने की जिम्मेदारी उनकी थी। सुषमा स्वराज ने कहा कि पाकिस्तान में मासूम बच्चों के बेरहमी से हुए कत्लेआम के उनके दर्द को हमने महसूस किया, लेकिन पाकिस्तान ने लखवी को जमानत देकर हर तरह के आतंकवाद के खिलाफ लड़ने की अपनी प्रतिबद्धता के बारे में संशय पैदा कर दिया है।
प्रधानमंत्री और विदेशमंत्री के बयानों के बाद सदन ने लखवी को जमानत पर रिहा करने के पाकिस्तान के कृत्य के खिलाफ एक सर्वदलीय प्रस्ताव भी पारित किया, जिसमें कहा गया कि लखवी को जमानत दिए जाने से लगता है कि पाकिस्तान ने शायद यह सबक नहीं सीखा है कि आतंकवादियों के साथ कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए। प्रस्ताव में लखवी को मिली ज़मानत की निंदा करते हुए पाकिस्तान से सीधे कार्रवाई की अपील की गई। सदन में 26/11 के दोषियों को सज़ा देने में देरी पर चिंता जताई गई और कहा गया कि पाकिस्तान ने पेशावर की घटना से सबक नहीं लिया। पाकिस्तान सरकार से ज़मानत को चुनौती देने की अपील करते हुए मांग की गई कि पाकिस्तान अपने देश में आतंकी ढांचे को ख़त्म करे। सर्वसम्मति से पारित इस प्रस्ताव के जरिये संसद ने पाकिस्तान को यह संदेश दिया कि सीमापार से आतंकवाद के सवाल पर उसे दोहरा रवैया अख्तियार नहीं करना चाहिए, और जब तक पाकिस्तान 26/11 हमले के दोषियों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई नहीं करेगा, उसकी मंशा पर सवाल उठते रहेंगे।
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन द्वारा पढ़े गए इस प्रस्ताव में भारत सरकार से दूसरे देशों के साथ मिलकर पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए ऐसे सभी कदम उठाने को कहा गया है, जिससे इस मामले को संतोषजनक निष्कर्ष तक पहुंचाया जा सके। प्रस्ताव में कहा गया कि भारत इस बात को दोहराता है कि पाकिस्तान अपने यहां आतंकी ढांचे को नष्ट करे और यह सुनिश्चित करे कि आतंकी वहां खुले न घूमें। इससे पहले, प्रश्नकाल के बाद लोकसभा में सभी दलों के सदस्यों ने एक स्वर में लखवी को जमानत दिए जाने की भर्त्सना की।
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान की एक आतंकवाद-विरोधी अदालत ने गुरुवार को सबूतों के अभाव का हवाला देते हुए लखवी को जमानत दे दी थी। हालांकि उसे अभी रिहा नहीं किया गया है, और आम जनता में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक विशेष कानूनी प्रावधान के तहत जेल में रखा गया है। इस बीच, पाकिस्तान सरकार ने कहा है कि लखवी फिलहाल तीन महीने जेल में ही रहेगा, और वह लखवी को जमानत दिए जाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी।
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