केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजीजू (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
गृह मंत्रालय के अधिकारी आरटीआई अर्जी के जरिए पूछे गए एक सवाल से चकरा गए. दरअसल, आवेदक ने यह जानना चाहा था कि पिशाचों या ‘एलियन’ के हमले का मुकाबला करने के लिए सरकार की क्या योजना है. एलियन दूसरे ग्रहों के प्राणियों को कहा जाता है.
इस सवाल से मंत्रालय के अधिकारी चकरा गए क्योंकि यह विचार भी उनके लिए पूरी तरह से एलियन जैसा ही था. पिशाच काल्पनिक प्राणी होते हैं जिन्हें ज्यादातर ‘नाइट ऑफ द लिविंग डेड’ जैसी हॉलीवुड की डरावनी फिल्मों में दिखाया जाता है. मुंबई के अजय कुमार ने मंत्रालय से जानना चाहा था कि पिशाचों या एलियन के हमले की सूरत में लोगों को बचाने के लिए क्या योजनाएं हैं. कुमार ने पूछा, ‘उनके खिलाफ हमारी क्या संभावना है? उन्हें शिकस्त देने के लिए सरकार के पास क्या तरीके हैं.’
आवेदन किए जाने के छह महीने बाद आज यह गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू के संज्ञान में आया जो यह ट्वीट करने से खुद को नहीं रोक सके, ‘यह विषय विज्ञान से बहुत ज्यादा जुड़ा हुआ है. इस तरह की आरटीआई मंत्रालय के कर्मचारियों का बेशकीमती वक्त बर्बाद करेगी.’
मंत्रालय ने कहा कि यह पाया गया है कि आपने गृह मंत्रालय में उपलब्ध कोई खास सूचना नहीं मांगी है. आपने किसी काल्पनिक स्थिति के बारे में सवाल पूछा है और इस मुद्दे पर गृह मंत्रालय का विचार या कानूनी राय मांगी है. इसने कहा कि यह बताया जाता है कि इस तरह का अनुरोध सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 2 (एफ) के तहत जिक्र किए गए सूचना की परिभाषा के दायरे में नहीं आता है. इस कानून के तहत आवेदक सार्वजनिक प्राधिकार से ऐसी सूचना मांग सकता है जो रिकॉर्ड में हो और जो सार्वजनिक प्राधिकार के पास हो.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
इस सवाल से मंत्रालय के अधिकारी चकरा गए क्योंकि यह विचार भी उनके लिए पूरी तरह से एलियन जैसा ही था. पिशाच काल्पनिक प्राणी होते हैं जिन्हें ज्यादातर ‘नाइट ऑफ द लिविंग डेड’ जैसी हॉलीवुड की डरावनी फिल्मों में दिखाया जाता है. मुंबई के अजय कुमार ने मंत्रालय से जानना चाहा था कि पिशाचों या एलियन के हमले की सूरत में लोगों को बचाने के लिए क्या योजनाएं हैं. कुमार ने पूछा, ‘उनके खिलाफ हमारी क्या संभावना है? उन्हें शिकस्त देने के लिए सरकार के पास क्या तरीके हैं.’
आवेदन किए जाने के छह महीने बाद आज यह गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू के संज्ञान में आया जो यह ट्वीट करने से खुद को नहीं रोक सके, ‘यह विषय विज्ञान से बहुत ज्यादा जुड़ा हुआ है. इस तरह की आरटीआई मंत्रालय के कर्मचारियों का बेशकीमती वक्त बर्बाद करेगी.’
मंत्रालय ने कहा कि यह पाया गया है कि आपने गृह मंत्रालय में उपलब्ध कोई खास सूचना नहीं मांगी है. आपने किसी काल्पनिक स्थिति के बारे में सवाल पूछा है और इस मुद्दे पर गृह मंत्रालय का विचार या कानूनी राय मांगी है. इसने कहा कि यह बताया जाता है कि इस तरह का अनुरोध सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 2 (एफ) के तहत जिक्र किए गए सूचना की परिभाषा के दायरे में नहीं आता है. इस कानून के तहत आवेदक सार्वजनिक प्राधिकार से ऐसी सूचना मांग सकता है जो रिकॉर्ड में हो और जो सार्वजनिक प्राधिकार के पास हो.
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