भारत सरकार ने 800 से भी ज्यादा साइट्स को प्रतिबंधित करने का आदेश दिया है
नई दिल्ली:
शनिवार को 800 से ज्यादा ऐसी वेबसाइट्स को प्रतिबंधित कर दिया गया जो भारत सरकार के मुताबिक 'पोर्न' परोस रही थी। हालांकि भारत में पोर्न साइट्स गैरकानूनी नहीं है लेकिन इस आदेश के बाद कई लोगों को इन वेबसाइट्स से निराशा हाथ लग रही है।
आइए जानते हैं इस मामले से जुड़े कुछ और तथ्य :
आइए जानते हैं इस मामले से जुड़े कुछ और तथ्य :
- इस बैन/ प्रतिबंध के बाद सरकार की ये 'अनचाही नैतिक पुलिसिंग' सोशल मीडिया पर बहस का मुद्दा बन गई है।
- प्रतिबंध की गई साइट्स में दुनिया की सबसे बड़ी पोर्नसाइट्स Pornhub और XVideos भी शामिल है।
- इसके अलावा टोरेंट साइट्स, वीडियो शेयरिंग साइट्स, यहां तक की कॉमेडी और डेटिंग साइट्स का भी लिस्ट में नाम है।
- सरकारी आदेश की एक कॉपी जिस पर 'restricted'लिखा हुआ था, सेंटर ऑफ इंटरनेट स्टडीज़ द्वारा लीक कर दी गई।
- शुक्रवार, जुलाई 31 का ये आदेश सूचना प्रोद्यौगिकी मंत्रालय के टेलिकॉम विभाग द्वारा जारी किया गया था और ये सभी इंटरनेट सर्विस प्रॉवाइडर्स (ISP) जैसे एयरटेल और बीएसएनएल पर लागू किया गया है।
- आदेश के मुताबिक संबंधित URLs को सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 79(3)(b)के तहत अयोग्य करार दिया गया है क्योंकि इसमें परोसी जाने वाली सामग्री भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(2) की नैतिकता, मर्यादा के खिलाफ है।
- इस प्रतिबंध के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में आवाज़ उठाने वाले संजय हेगडे़ का कहना है 'किसी ने इस बात की जांच नहीं की है कि ये साइट्स पोर्न हैं या नहीं, किसी के लिए एक वेबसाइट पोर्न हो सकती है तो किसी के लिए नहीं क्योंकि पोर्न की परिभाषा काफी अस्पष्ट है।' वैसे ये प्रतिबंध सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई एक जनहित याचिका का नतीजा है।
- पोर्न पर प्रतिबंध लगाने की दरख्वास्त करने वाले विजय पंजवानी ने बताया कि उन्होंने 800 वेबसाइट्स के नाम दिए थे। निजता में खलल डालने के आरोप पर पंजवानी कहते हैं "इसमें मौलिक अधिकार का हनन कैसे हुआ? अगर मैं अपने घर की चार दिवारों में किसी सेक्स वर्कर या लड़के के साथ सो जाऊं तो क्या वो अपराध नहीं है।"
- हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भारत में पोर्न वेबसाइट्स को ब्लॉक करने के लिए अंतरिम आदेश देने से मना कर दिया था। बताया जाता है कि पिछले महीने ही मुख्य न्यायधीश एचएल दत्तू ने कहा था "कल को कोई कोर्ट में आकर कह सकता है कि मैं 18 साल का हो चुका हूं और आप मुझे मेरे घर में कुछ भी देखने से मना कैसे कर सकते हैं। ये तो अनुच्छेद 21 (निज स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन है"
- ट्विटर पर लेखक चेतन भगत और फिल्मकार राम गोपाल वर्मा ने इस प्रतिबंध के खिलाफ आवाज़ उठाई है। भगत लिखते हैं 'पोर्न को बैन मत कीजिये। उन आदमियों पर रोक लगाइए जो औरतों को घूरते हैं, छेड़ते हैं, उन्हें ज़बरदस्ती छूते हैं, दुर्व्यवहार करते हैं, उनका बलात्कार करते हैं।' (पढ़ें - मिलिंद देवड़ा और रामगोपाल वर्मा ने सरकार को सुनाई खरी खोटी)
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