एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि करीब 85 प्रतिशत बुजुर्गों ने स्वीकार किया है कि उन्हें कोविड-19 महामारी के दौरान विभिन्न मुश्किलों का सामना करना पड़ा है, जिनमें वित्तीय संकट सबसे ऊपर है. एजवेल फाउंडेशन द्वारा 10,000 बुजुर्गों के सर्वेक्षण से यह भी पता चला है कि 73.6 प्रतिशत (7,357) उत्तरदाताओं ने कहा कि लकवाग्रस्त स्वास्थ्य प्रणाली ने उनके जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला.
एजवेल फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष हिमांशु रथ ने कहा, ‘‘वृद्ध व्यक्तियों को भेदभाव-रहित तरीके से समान अधिकार और अवसर दिए जाने चाहिए, ताकि मुख्यधारा में उनकी भागीदारी और सतत विकास में योगदान सुनिश्चित किया जा सके.''
सर्वेक्षण में पाया गया कि कोविड-19 की घटना ने 82.6 प्रतिशत से अधिक बुजुर्गों के दृष्टिकोण को बदल दिया, 75.1 प्रतिशत ने कहा कि वे भविष्य के बारे में आशावादी नहीं थे या यूं कहें कि भविष्य के बारे में अनिश्चित थे.
सर्वेक्षण के अनुसार कोविड प्रभावितों (8,489 बुजुर्ग) में से 28.3 प्रतिशत (2,389) ने वित्तीय मुद्दों को सबसे महत्वपूर्ण बताया, जबकि 25.4 प्रतिशत (2,158) ने कहा कि उन्होंने सामाजिक मुद्दों को अधिक महत्वपूर्ण पाया. 22.4 प्रतिशत बुजुर्ग उत्तरदाताओं ने दावा किया कि स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उनके लिए महत्वपूर्ण थीं और 21.7 प्रतिशत ने स्थिति के दौरान मनोवैज्ञानिक स्थितियों को अधिक महत्वपूर्ण पाया.
सर्वेक्षण के अनुसार, 20.5 प्रतिशत बुजुर्गों ने यह भी दावा किया कि बढ़ती कीमतों के कारण उन्हें अस्वस्थ या अस्वच्छ परिस्थितियों से समझौता करना पड़ा, जबकि 18.8 प्रतिशत बुजुर्गों ने दावा किया कि उन्होंने कोविड के दौरान मुद्रास्फीति के कारण अपनी बचत या निवेश खो दिये.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं