चंडीगढ़:
रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया की तरफ से 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट न बदलने के निर्देश के बाद पंजाब के को-ऑपरेटिव बैंकों में कामकाज लगभग ठप हो गया है. अनाज का कटोरा कहे जाने वाले पंजाब के किसान बुवाई में देरी से डरे हुए हैं जबकि बैंक कर्मचारी फैसले के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.
मोहाली के सोहन गांव में सब्ज़ी की फसल तो अच्छी हुई है लेकिन किसान सुरजीत सिंह अपनी फसल को मंडी ले जाने से डर रहे हैं. नोटबंदी के बाद बाजार में मूली का दाम 10 रुपये किलो से गिर कर सिर्फ 3 रुपये रह गया. इतने कम में बेची तो घटा होगा. सुरजीत की बड़ी दिक्कत तो सूना पड़ा खेत का वो हिस्सा है जहां गेहूं की बुवाई होनी है. अकाउंट को-ऑपरेटिव बैंक में है, जहां दो दिन से चक्कर काट रहे हैं.
सुरजीत सिंह बताते हैं, 'मेरे पास 24 हज़ार रुपये के पुराने नोट हैं. बैंक बदलने से मन कर रहा है. मुझे लेबर को पेमेंट देनी है. गेहूं के बीज और खाद खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं.'
ग्रामीण पंजाब की अर्थव्यवस्था को-ऑपरेटिव बैंकों पर टिकी है जिसकी कुल 802 शाखाएं हैं. आरबीआई के फैसले के खिलाफ बैंक के कर्मचारी प्रदर्शन कर रहे हैं. को-ऑपरेटिव बैंक कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष गुरनेक सिंह ढिल्लों ने कहा, 'हमारे 80 प्रतिशत ग्राहक गांवों से सम्बन्ध रखते हैं, 10 लाख किसान परिवार जुड़े हैं, इस समय गेहूं की कटाई का सीजन चल रहा है और किसानों के लोन की रिकवरी हो रही है, किसान बहुत परेशान हैं.'
मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल मान रहे हैं कि उनकी बात भी नहीं सुनी जा रही. उहोंने बताया, 'मैंने खुद वित्त मंत्री अरुण जेटली से बात की थी. उन्होंने कहा भी था कि ज़िला को-ऑपरेटिव बैंकों को नोट बदलने कि इजाज़त दी जाएगी, लेकिन ऐसा क्यों नहीं हुआ, मैं फिर बात करूंगा.'
मोहाली के सोहन गांव में सब्ज़ी की फसल तो अच्छी हुई है लेकिन किसान सुरजीत सिंह अपनी फसल को मंडी ले जाने से डर रहे हैं. नोटबंदी के बाद बाजार में मूली का दाम 10 रुपये किलो से गिर कर सिर्फ 3 रुपये रह गया. इतने कम में बेची तो घटा होगा. सुरजीत की बड़ी दिक्कत तो सूना पड़ा खेत का वो हिस्सा है जहां गेहूं की बुवाई होनी है. अकाउंट को-ऑपरेटिव बैंक में है, जहां दो दिन से चक्कर काट रहे हैं.
सुरजीत सिंह बताते हैं, 'मेरे पास 24 हज़ार रुपये के पुराने नोट हैं. बैंक बदलने से मन कर रहा है. मुझे लेबर को पेमेंट देनी है. गेहूं के बीज और खाद खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं.'
ग्रामीण पंजाब की अर्थव्यवस्था को-ऑपरेटिव बैंकों पर टिकी है जिसकी कुल 802 शाखाएं हैं. आरबीआई के फैसले के खिलाफ बैंक के कर्मचारी प्रदर्शन कर रहे हैं. को-ऑपरेटिव बैंक कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष गुरनेक सिंह ढिल्लों ने कहा, 'हमारे 80 प्रतिशत ग्राहक गांवों से सम्बन्ध रखते हैं, 10 लाख किसान परिवार जुड़े हैं, इस समय गेहूं की कटाई का सीजन चल रहा है और किसानों के लोन की रिकवरी हो रही है, किसान बहुत परेशान हैं.'
मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल मान रहे हैं कि उनकी बात भी नहीं सुनी जा रही. उहोंने बताया, 'मैंने खुद वित्त मंत्री अरुण जेटली से बात की थी. उन्होंने कहा भी था कि ज़िला को-ऑपरेटिव बैंकों को नोट बदलने कि इजाज़त दी जाएगी, लेकिन ऐसा क्यों नहीं हुआ, मैं फिर बात करूंगा.'
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