सातवां वेतन आयोग : 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों का आक्रोश लाएगा रंग, एचआरए बढ़ने की संभावना

केंद्रीय कर्मचारियों के संयुक्त संगठन एनसीजेसीएम के संयोजक शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि अब तक की बातचीत से यह लग रहा है कि इस मुद्दे का जल्द समाधान निकल आएगा.

सातवां वेतन आयोग : 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों का आक्रोश लाएगा रंग, एचआरए बढ़ने की संभावना

सातवां वेतन आयोग की रिपोर्ट 1 जनवरी 2016 से लागू की गई है.

खास बातें

  • बुधवार की कैबिनेट बैठक में नहीं था अलाउंसेस का मुद्दा
  • अलाउंसेस पर बातचीत सकारात्मक रही है
  • सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट से अलाउंसेस को लेकर हुआ था विवाद
नई दिल्ली:

करीब 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों (central employees) के लिए जल्द खुशखबरी मिलने की उम्मीद है. यह अलग बात है कि अभी तक सातवें वेतन आयोग (7th pay Commission) की रिपोर्ट पर केंद्रीय कर्मचारियों का विरोध है उसका हल नहीं निकला है. कर्मचारियों के विरोध के बाद समितियों का गठन किया गया और अब अलाउंसेस (Allowances including HRA) को लेकर बनी समिति की रिपोर्ट अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच गई है.

केंद्रीय कर्मचारियों के संयुक्त संगठन एनसीजेसीएम के संयोजक शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि अब तक की बातचीत से यह लग रहा है कि इस मुद्दे का जल्द समाधान निकल आएगा. उनकी उम्मीद है कि अब तक जो भी बातचीत हुई है उसके अनुसार एचआरए में बढ़ोतरी की उम्मीद है. इस पूरे मामले में हो रही देरी के चलते आज मिश्रा कैबिनेट सेक्रेटरी से मुलाकात कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि उन्होंने मुलाकात के लिए समय मांगा है.

बता दें कि सातवें वेतन आयोग से जुड़े अलाउंस (7th Pay Commission Allowances) के मुद्दे पर कर्मचारियों को सरकार से अब फैसले का इंतजार है. बुधवार की कैबिनेट की बैठक में अलाउंस से जुड़े कैबिनेट नोट पर चर्चा की सरकारी कर्मचारी उम्मीद लगाए बैठे थे. यह तय था कि बुधवार को इस मुद्दे पर चर्चा ही नहीं होगी. बुधवार की बैठक के एजेंडा में यह मुद्दा नहीं था. मुद्दे से इतर कैबिनेट बैठक में यह मुद्दा नहीं उठा.

जानकारी के लिए बता दें कि पीआईबी ने मंगलवार को ही यह सूचना दे दी थी कि वित्तमंत्री अरुण जेटली चार दिवसीस कोरिया की यात्रा पर चले गए हैं. इसकी वजह से यह तो तय था कि कैबिनेट बैठक में यह मुद्दा नहीं उठेगा. इसकी वजह यह भी रही कि वित्तमंत्रालय और वित्त से जुड़ा इतना अहम मुद्दा वित्तमंत्री की गैर मौजूदगी में कैबिनेट बैठक में नहीं लिया जा सकता था.

उल्लेखनी है कि यूनियन लीडर कहते चले आ रहे हैं कि सरकार की ओर आश्वासन दिया गया है कि इस हफ्ते ही इस मुद्दे को लिया जाएगा. इस आधार पर यह कहा जा रहा था कि सरकार इसी हफ्ते इस मद्दे का समाधान कर देगी. पिछले हफ्ते यह खबर आई थी कि बुधवार की कैबिनेट बैठक में अलाउंसेस को लेकर कैबिनेट नोट पेश किया जा सकता है.

कर्मचारी संघों के सूत्रों का कहना है कि सचिवों की अधिकार प्राप्त समिति ने इस मुद्दे पर चर्चा के बाद कैबिनेट नोट तो तैयार कर लिया है. महीने के पहले हफ्ते की कैबिनेट बैठक में नोट पेश नहीं किए जाने के पीछे कारण यह बताया गया कि जिस अधिकारी को इसका जिम्मा दिया गया था वे दिल्ली में नहीं थे.

बता दें कि केंद्रीय कर्मचारियों को अन्य अलाउंसेस के अलावा एचआरए के मुद्दे पर सरकार के फैसले का इंतजार है. यह इंतजार अब एक साल का होने जा रहा है. उल्लेखनीय है कि पिछले साल 28 जून को ही सरकार ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने का फैसला लिया था. सरकार ने वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू करने का ऐलान किया था. लेकिन वेतन आयोग की कई सिफारिशों के बाद केंद्रीय कर्मचारियों ने कई मुद्दों पर अपनी आपत्ति जताई थी. इन मुद्दों में अलाउंसेस को लेकर विवाद भी था.

सरकार ने इसके लिए एक समिति का गठन किया था. समिति ने अपनी रिपोर्ट 27 अप्रैल, 2017 को वित्तमंत्री को सौंप दी थी. वित्तमंत्रालय की ओर से यह रिपोर्ट अधिकार प्राप्त सचिवों की समिति को भेजा गया था. अब इस रिपोर्ट पर चर्चा के बाद 1 जून 2017 को सचिवों की अधिकार प्राप्त समिति ने एक कैबिनेट नोट तैयार किया है. अब माना जा रहा है कि हर बुधवार को होने वाली केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इस बारे में फैसला हो सकता है.

सूत्रों का कहना है कि कर्मचारियों से चर्चा के लिए बनी लवासा समिति ने सातवें वेतन आयोग की अलाउंसेस को लेकर की गई कुछ सिफारिशों में संशोधन के सुझाव दिए हैं.

जानकारी के लिए बता दें कि सातवां वेतन आयोग से पहले केंद्रीय कर्मचारी 196 किस्म के अलाउंसेस के हकदार थे. लेकिन सातवें वेतन आयोग ने कई अलाउंसेस को समाप्त कर दिया या फिर उन्हें मिला दिया जिसके बाद केवल 55 अलाउंस बाकी रह गए. तमाम कर्मचारियों को कई अलाउंस समाप्त होने का मलाल है.

बता दें कि सातवें वेतन आयोग (Seventh Pay Commission) द्वारा केन्द्रीय कर्मचारियों को दिए जाने वाले कई भत्तों को लेकर असमंजस की स्थिति है. नरेंद्र मोदी सरकार ने 2016 में सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) की सिफारिशों को मंजूरी दी थी और 1 जनवरी 2016 से 7वें वेतन आयोग की रिपोर्ट को लागू किया था. लेकिन, भत्तों के साथ कई मुद्दों पर असहमति होने की वजह से इन सिफारिशें पूरी तरह से लागू नहीं हो पाईं. अब जब अशोक लवासा समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है और जल्द ही वित्तमंत्री अरुण जेटली इस रिपोर्ट पर कोई अंतिम फैसला सरकार की ओर से ले लेंगे.

ज्ञात हो कि वेतन आयोग (पे कमीशन) ने अपनी रिपोर्ट में एचआरए को आरंभ में 24%, 16% और 8% तय किया था और कहा गया था कि जब डीए 50 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा तो यह 27%, 18% और 9% क्रमश: हो जाएगा. इतना ही नहीं वेतन आयोग (पे कमिशन) ने यह भी कहा था कि जब डीए 100% हो जाएगा तब यह दर 30%, 20% और 10% क्रमश : एक्स, वाई और जेड शहरों के लिए हो जाएगी. कर्मचारियों का कहना है कि वह इस दर को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.


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