कानून की पढ़ाई करने की इच्छुक 77 वर्षीय एक महिला ने उच्चतम न्यायालय का रुख कर एलएलबी पाठ्यक्रम में दाखिले के लिये अधिकतम उम्र सीमा 30 वर्ष निर्धारित कर दिये जाने के ‘बार काउंसिल ऑफ इंडिया' (बीसीआई) के नये नियम को चुनौती दी है. उत्तर प्रदेश स्थित साहिबाबाद निवासी राजकुमारी त्यागी ने तीन वर्षीय एलएलबी पाठ्यक्रम में प्रवेश नहीं मिलने पर एक याचिका दायर कर इस मुद्दे पर पहले से लंबित उस विषय में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया, जिसमें बीसीआई के नियम को चुनौती दी गई है.
बीसीआई के नियमों के मुताबिक पांच वर्षीय पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए अधिकतम आयु 20 वर्ष और तीन वर्षीय एलएलबी पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए अधिकतम आयु सीमा 30 वर्ष निर्धारित की गई है.
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याचिका में कहा गया है कि त्यागी के पति की मृत्य होने के बाद उनकी संपत्ति को बचाने में कानूनी अड़चने सामने आने पर उन्हें कानून की पढ़ाई में रुचि जगी. याचिका के अनुसार महिला के पास कोई वकील नहीं होने के कारण उन्हें सभी प्रकार की कानूनी पेचीदगी खुद समझनी पड़ती हैं.
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याचिका में कहा गया है कि बीसीआई के नियम संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता), 19 (1) (जी) (कोई भी पेशा या वृत्ति का अधिकार) और 21 (व्यक्तिगत स्वतंत्रता तथा जीवन की रक्षा) का हनन करते हैं.
वृद्ध महिला ने न्यायालय से अनुरोध किया है कि उन्हें अपनी पसंद के कालेज या शिक्षण संस्थान से विधि की पढ़ाई करने का मौलिक अधिकार प्राप्त है और संविधान का अनुच्छेद 21 इसकी रक्षा करता है.
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