यह ख़बर 30 जुलाई, 2012 को प्रकाशित हुई थी

जंतर-मंतर पर छठे दिन भी जुटी भीड़, मीडिया पर भड़के शांति भूषण

खास बातें

  • टीम अन्ना के अनशन के छठे दिन भी जंतर मंतर पर भारी भीड़ जुटी हालांकि सरकार ने बातचीत करने का अभी तक कोई संकेत नहीं दिया है। अनशन के दौरान करीब 100 समर्थकों ने मीडिया के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
नई दिल्ली:

टीम अन्ना के अनशन के छठे दिन भी जंतर मंतर पर भारी भीड़ जुटी हालांकि सरकार ने बातचीत करने का अभी तक कोई संकेत नहीं दिया है।

दूसरी ओर, सोमवार को अनशन के दौरान करीब 100 समर्थकों ने मीडिया के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। अन्ना समर्थक शांति भूषण के भाषण के बाद उत्तेजित हो गए थे। शांति भूषण ने अपने भाषण में कहा कि कुछ चैनल जानबूझकर यह दिखा रहे हैं कि अनशन में भीड़ नहीं हो रही है। 

ब्रॉडकास्ट एडीटर्स एसोसिएशन ने मीडिया पर अन्ना समर्थकों के हमले की कड़ी निंदा की है। एसोसिएशन ने एक बयान जारी कर कहा है कि यह घटना मीडिया के काम में दखलंदाजी है। एसोसिएशन ने मांग की है कि टीम अन्ना इसके लिए माफी मांगे।

इससे पहले, गांधीवादी कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने अपने अनशन के दूसरे दिन सरकार को चेतावनी दी कि उसके विरोध प्रदर्शन की ‘लहर’ बन रही है और अगर वह सशक्त लोकपाल विधेयक नहीं लाई तो उसे सत्ता से जाना होगा।

रविवार की भारी भीड़ के बाद सोमवार को अनशन स्थल जंतर-मंतर पर सुबह लोग कम दिखे लेकिन दिन चढ़ने के साथ ही समर्थकों की संख्या में वृद्धि हुई और दोपहर बाद संख्या 3,000 के करीब जा पहुंची।

हल्की बूंदा बांदी के बीच हजारे ने सुबह 11 बजे मंच संभाला और कहा, ‘देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की लहर बन रही है। मुझे ऐसा लग रहा है कि सरकार को एक सशक्त लोकपाल विधेयक लाना होगा या उसे जाना होगा।’

उल्लेखनीय है कि अन्ना के अनशन का यह दूसरा दिन है जबकि उनकी टीम के अन्य तीन लोग पिछले छह दिनों से अनशन पर बैठे हैं। टीम अन्ना ने कहा है मुद्दे के समाधान के लिए सरकार को गांधीवादी कार्यकर्ता के पास दूत भेजना होगा।

टीम अन्ना ने उत्तरी पावर ग्रिड में आई खराबी को भी साजिश करार दिया और आरोप लगाया कि ये सब इसलिए हो रहा है ताकि अन्ना के अनशन स्थल पर भीड नहीं जुट सके।

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रामदेव के रविवार को गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा करने पर कड़ा रुख अख्तियार करने वाली टीम अन्ना अपने रुख में नरमी लाई और कहा कि रामदेव और अन्ना दोनों भ्रष्टाचार के विरूद्ध लड़ रहे हैं। उसके अनुसार रामदेव ने कालेधन के खिलाफ मोर्चा खोला है जबकि अन्ना जनलोकपाल कानून लाने के लिए लड़ रहे हैं।