पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
एक अजीम शख्सियत, कभी मिले बिना भी यूं लगा जैसे कोई अपना ऐसे कैसे चला गया। अधूरा मीठा सपना टूट गया। हर कोई हैरान, परेशान कैसे हुआ, क्यों हुआ! नियति के क्रूर हाथों को कलाम भी बेहद भाए, सच में बुरे सपने की तरह वो चौंका गए, सबके जागते हुए, देखते-देखते कुछ यूं चले गए, यकीन ही नहीं होता यह सपना है या वाकई उनका जाना।
कलाम ने जो कहा वो सच कर दिया 'सपने वो नहीं जो नींद में आएं सपने ऐसे हों जो आपकी नींद उड़ा दें।' यकीनन जनता के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम सबकी नींद उड़ा गए। कलाम कहते थे, 'आओ, हम अपना आज कुर्बान करें जिससे हमारे बच्चों का कल बेहतर हो।'
कलाम ने जो कहा वो सच कर दिया 'सपने वो नहीं जो नींद में आएं सपने ऐसे हों जो आपकी नींद उड़ा दें।' यकीनन जनता के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम सबकी नींद उड़ा गए। कलाम कहते थे, 'आओ, हम अपना आज कुर्बान करें जिससे हमारे बच्चों का कल बेहतर हो।'
उनका मानना था कि देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए समाज में तीन लोग ही हैं माता, पिता और शिक्षक। बहुत दूर की गहरी सोच के धनी ओ अवाम के कलाम तुम ही तो वो शिक्षक थे जो पढ़ाते-पढ़ाते अलविदा कह गए, बताओ अधूरा पाठ कौन पूरा करेगा? अजीब संयोग, 84 साल के नौजवान कलाम ने मौत भी अपनी ख्वाहिश से चुनी। 'लिवेबल प्लेटनेट अर्थ' पर बोलते-बोलते अर्थ (पृथ्वी) को अलविदा कह दिया।
संसद के डेडलॉक पर भी वो बात करना चाहते थे जो अधूरा रह गया। यह सच है कि जीवन-मरण एक शाश्वत सत्य है, लेकिन वो मौत भी क्या जो बेमिसाल हो। जीवन को सफल बनाने का कलाम का मूल मंत्र लाजवाब है - "जब हम बाधाओं से रूबरू होते हैं तो पाते हैं कि हममें साहस और लचीलापन भी है, जिसका हमें खुद भान नहीं होता, यह तब पता लगता है जब हम असफल होते हैं। इसलिए जरूरी है कि इन्हें तलाशें और जीवन सफल बनाएं।"
ऐसी ही असंख्य प्रेरणाओं और स्फूर्तियों के दाता पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम की मौत ने हर हिन्दुस्तानी को झकझोरा, हिन्दुस्तानी क्या पूरी इंसानियत को ही चौंका दिया। उनकी विलक्षण प्रतिभा ही थी जो पूरा जीवन सादगी और हर दिन प्रेरणा से भरा होता था।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं