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This Article is From Oct 03, 2019

कमलनाथ के 'गढ़' में ऑपरेशन के बाद गई 4 मरीजों की आंखों की रोशनी, जांच के आदेश

छिंदवाड़ा के जिला चिकित्सालय में 25 सितंबर को चार मरीजों की आंखों के ऑपरेशन हुए थे. मरीज दो दिन बाद अपने घर चले गए, मगर मगंलवार को उन्हें दिखाई देना बंद हो गया.

कमलनाथ के 'गढ़' में ऑपरेशन के बाद गई 4 मरीजों की आंखों की रोशनी, जांच के आदेश
प्रतीकात्मक तस्वीर
छिंदवाड़ा:

मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह जनपद छिंदवाड़ा में ऑपरेशन के बाद चार मरीजों की आंखों की रोशनी जाने का मामला सामने आया है. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं. वहीं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने मरीजों को 20-20 लाख रुपये आर्थिक सहायता दिए जाने की मांग की है. सूत्रों के अनुसार, छिंदवाड़ा के जिला चिकित्सालय में 25 सितंबर को चार मरीजों की आंखों के ऑपरेशन हुए थे. मरीज दो दिन बाद अपने घर चले गए, मगर मगंलवार को उन्हें दिखाई देना बंद हो गया. मरीजों ने अस्पताल आकर अपनी समस्या बताई, मगर किसी ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया.

नेत्र विभाग के प्रभारी डॉ. सी. एम. गेदाम ने मीडिया को बताया, 'इन सभी मरीजों की जांच की गई है. रेटीना में सफेदी की वजह से आंखों में दिखाई नहीं दे रहा है. सफेदी छंटने के बाद सभी को सामान्य दिखाई देने लगेगा. मरीज को सीनियर डॉक्टर से जांच के लिए रेफर किया गया है.' 

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मुख्यमंत्री कमलनाथ ने चार लोगों की आंखों की रोशनी जाने के मामले में कहा है, 'छिंदवाड़ा में मोतियाबिंद के ऑपरेशन बाद मरीजों की रोशनी जाने का मामला सामने आने पर इसकी जांच के आदेश दिए गए हैं. जांच में जिसकी भी लापरवाही सामने आएगी, उस पर कड़ी कार्रवाई होगी. इन मरीजों के इलाज का खर्च सरकार उठाएगी और इनकी रोशनी वापस लाने के सभी प्रयास किए जाएंगे.'

बता दें कि राजधानी से लगभग 320 किलोमीटर दूर स्थित मुख्यमंत्री के गृह जनपद में चार मरीजों की आंखों की रोशनी जाने की घटना को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने गंभीर लापरवाही बताते हुए कहा, 'मुख्यमंत्री के जिले में स्वास्थ्य सुविधाएं अगर ऐसी हैं तो प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं किस तरह चरमराई हुई होंगी, इस बात का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है.'

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गोपाल भार्गव ने कहा, 'डेढ़ माह पूर्व इंदौर में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद 11 मरीजों की आंख की रोशनी चले जाने का सनसनीखेज मामला सामने आने के बाद भी प्रशासन सजग और सचेत नहीं हुआ. इंदौर की घटना से सबक न लेने के कारण ऐसी घटना की पुनरावृत्ति हुई है. एक बार फिर गरीब मरीज डॉक्टरों की लापरवाही की भेंट चढ़ गए. प्रभावितों को 20-20 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी जानी चाहिए.'

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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