नई दिल्ली:
3700 करोड़ की ऑनलाइन ठगी के बड़े मामले की परतें लगातार खुल रही हैं. उससे नए और चौंकाने वाले पहलू सामने आ रहे हैं. लाखों लोगों को सोशल मीडिया पर लाइक्स के ज़रिये ठगने के मामले में स्पेशल टास्क फोर्स को अब तक 6 हजार से ज्यादा शिकायतें मिल चुकी है जिस पर तफ्तीश जारी है. एसटीएफ को अनुभव मित्तल की कंपनी के करीब 10 खातों की जानकारी मिली है. पुलिस के मुताबिक- अनुभव मित्तल की कंपनी में करीब 9 लाख लोगों ने पिछले एक साल में पैसा लगाया, जिसमें फेक आइडी पर इन्वेस्टर दिखाया गया है ताकि पैसो को इन अकाउंट पर ट्रांसफर किया जा सके. एनडीटीवी इंडिया को मिली एफआईआर की कॉपी में पूर्वी दिल्ली की एक महिला ने 21 दिसंबर को 57,500 रुपये बैंक में जमा कराए थे बदले में उसे एक भी पैसा नहीं दिया गया, जिसके बाद उस महिला 1 फरवरी को केस दर्ज कराया.
जांच एजेंसी ने बताया कि आरोपियों ने 6.5 लाख लोगों से कथित तौर पर 3700 करोड़ रुपए की ठगी की. यह राशि पश्चिम बंगाल तथा असम के बहुचर्चित सारदा चिटफंड घोटाले से भी बड़ी है. एसटीएफ ने इस मामले में 2 फरवरी को कंपनी के मालिक अनुभव मित्तल, उसके सीईओ श्रीधर और तकनीकी प्रमुख महेश को गिरफ्तार किया था.
एब्लेज इंफो सॉल्यूशंस नाम की कंपनी
एसटीएफ के एसएसपी अमित पाठक ने बताया कि एब्लेज इंफो सॉल्यूशंस नाम की कंपनी सेक्टर-63 में अपना ऑफिस है और इस कंपनी ने निवेशकों से मल्टी लेवल मार्केटिंग के जरिए डिजिटल मार्केटिंग के नाम पर एक बड़ी ठगी को अंजाम दिया है.
5000 से लेकर 50 हज़ार में मेंबरशिप
अमित पाठक ने बताया कि कंपनी में सोशल ट्रेड डॉट बिज के नाम से सोशल पोर्टल बनाकर मल्टी लेवल मार्केटिंग के जरिए लोगों सदस्य बनाया गया. इसकी सदस्यता 5000 रुपये से शुरू होकर 50 हजार रुपये तक की थी. इसमें 10 फीसदी टैक्स और 5 फीसदी फाइलिंग चार्ज अलग से वसूला जाता था. यानी 5 हज़ार की सदस्यता 5750 रुपये की होती थी. सदस्यता के हिसाब से लाइक क्लिक करने को मिलते थे. 5 हज़ार पर 10 लाइक रोजाना और 50 हज़ार पर 100 लाइक. 100 लाइक पर 25 लाइक बोनस को तौर पर मिलते थे. यानी 50 हज़ार की सदस्यता पर रोजाना 125 लाइक करने पर 625 रुपये आपके खाते में जमा हो जाएंगे, लेकिन इस 625 रुपये पर भी 15 फीसदी टैक्स आदि कटने के बाद हर सप्ताह सदस्य का हिसाब किया जाता है.
अगर आप 2 अन्य सदस्य बनाते हैं तो आप बूस्टर एक्टिव हो जाएंगे. इसमें 125 लाइक और आपके खाते में जुड़ जाएंगे. टास्क फोर्स को अपनी कार्रवाई में कंपनी के कार्यालय से 6.30 लाख लोगों के फोन नंबर डाटाबेस में मिले हैं और 9 लाख लोगों के पहचान पत्र बरामद किए गए हैं. कंपनी के गिरफ्तार अधिकारियों में निदेशक अनुभव मित्तल, सीईओ श्रीधर प्रसाद और तकनीकी प्रमुख महेश शामिल हैं.
एसटीएफ ने बताया कि ये लोग खुद ही फर्जी कंपनियों के विज्ञापन तैयार करके पोर्टल पर डालते थे और सदस्य से ली रकम को ही सदस्यों में बांटते थे. एसएसपी ने बताया कि सरकारी जांच एजेंसियों से बचने के लिए यह कंपनी एक माह से लगातार नाम बदल रही थी. पहले सोशल ट्रेड विज, फिर फ्री हब डॉटकाम से फेंजअप डॉट कॉम, इंटमार्ट डॉट कॉम और थ्री डब्ल्यू डॉट कॉम के नाम से यह कंपनी लोगों से धोखाधड़ी कर रही थी.
पिलखुवा का रहने वाला अनुभव मित्तल
कंपनी के निदेशक यूपी के हापुड़ जिले के पिलखुवा का रहने वाला अनुभव मित्तल हैं. अनुभव के पिता की पिलखुवा में ही इलेक्ट्रॉनिक की दुकान है. खास बात यह है कि इस कंपनी के मकड़जाल में आम आदमी से लेकर पेशेवर वकील, चार्टर्ड एकाउंटेंट, व्यापारी और डॉक्टर तक शामिल हैं. पिलखुवा के ही अमित कुमार शर्मा ने बताया कि पिलखुवा में हर घर में लाइक करने का काम हो रहा है. इतना ही नहीं कुछ लोगों ने अन्य लोगों के लाइक करने को ही एक नया धंधा बना लिया है. ये लोग 50 पैसे प्रति लाइक वसूलते हैं. यानी अगर आपके पास समय की कमी है या फिर घर पर कंप्यूटर या लैपटॉप नहीं है तो इन लोगों से संपर्क करके अपने लाइक को आगे बढ़ा सकते हैं.
उधर, कंपनी के निदेशक अनुभव मित्तल का कहना है कि उन्होंने कोई घपला नहीं किया है. सारा हिसाब-किताब ऑनलाइन रिकॉर्ड में है और उनके इस लेन-देन का पूरा टैक्स सरकार को भरा जाता है तथा मुनाफे को सदस्यों में बांटा जाता है. कोई भी चीज छिपी हुई नहीं है.
जांच एजेंसी ने बताया कि आरोपियों ने 6.5 लाख लोगों से कथित तौर पर 3700 करोड़ रुपए की ठगी की. यह राशि पश्चिम बंगाल तथा असम के बहुचर्चित सारदा चिटफंड घोटाले से भी बड़ी है. एसटीएफ ने इस मामले में 2 फरवरी को कंपनी के मालिक अनुभव मित्तल, उसके सीईओ श्रीधर और तकनीकी प्रमुख महेश को गिरफ्तार किया था.
एब्लेज इंफो सॉल्यूशंस नाम की कंपनी
एसटीएफ के एसएसपी अमित पाठक ने बताया कि एब्लेज इंफो सॉल्यूशंस नाम की कंपनी सेक्टर-63 में अपना ऑफिस है और इस कंपनी ने निवेशकों से मल्टी लेवल मार्केटिंग के जरिए डिजिटल मार्केटिंग के नाम पर एक बड़ी ठगी को अंजाम दिया है.
5000 से लेकर 50 हज़ार में मेंबरशिप
अमित पाठक ने बताया कि कंपनी में सोशल ट्रेड डॉट बिज के नाम से सोशल पोर्टल बनाकर मल्टी लेवल मार्केटिंग के जरिए लोगों सदस्य बनाया गया. इसकी सदस्यता 5000 रुपये से शुरू होकर 50 हजार रुपये तक की थी. इसमें 10 फीसदी टैक्स और 5 फीसदी फाइलिंग चार्ज अलग से वसूला जाता था. यानी 5 हज़ार की सदस्यता 5750 रुपये की होती थी. सदस्यता के हिसाब से लाइक क्लिक करने को मिलते थे. 5 हज़ार पर 10 लाइक रोजाना और 50 हज़ार पर 100 लाइक. 100 लाइक पर 25 लाइक बोनस को तौर पर मिलते थे. यानी 50 हज़ार की सदस्यता पर रोजाना 125 लाइक करने पर 625 रुपये आपके खाते में जमा हो जाएंगे, लेकिन इस 625 रुपये पर भी 15 फीसदी टैक्स आदि कटने के बाद हर सप्ताह सदस्य का हिसाब किया जाता है.
अगर आप 2 अन्य सदस्य बनाते हैं तो आप बूस्टर एक्टिव हो जाएंगे. इसमें 125 लाइक और आपके खाते में जुड़ जाएंगे. टास्क फोर्स को अपनी कार्रवाई में कंपनी के कार्यालय से 6.30 लाख लोगों के फोन नंबर डाटाबेस में मिले हैं और 9 लाख लोगों के पहचान पत्र बरामद किए गए हैं. कंपनी के गिरफ्तार अधिकारियों में निदेशक अनुभव मित्तल, सीईओ श्रीधर प्रसाद और तकनीकी प्रमुख महेश शामिल हैं.
एसटीएफ ने बताया कि ये लोग खुद ही फर्जी कंपनियों के विज्ञापन तैयार करके पोर्टल पर डालते थे और सदस्य से ली रकम को ही सदस्यों में बांटते थे. एसएसपी ने बताया कि सरकारी जांच एजेंसियों से बचने के लिए यह कंपनी एक माह से लगातार नाम बदल रही थी. पहले सोशल ट्रेड विज, फिर फ्री हब डॉटकाम से फेंजअप डॉट कॉम, इंटमार्ट डॉट कॉम और थ्री डब्ल्यू डॉट कॉम के नाम से यह कंपनी लोगों से धोखाधड़ी कर रही थी.
पिलखुवा का रहने वाला अनुभव मित्तल
कंपनी के निदेशक यूपी के हापुड़ जिले के पिलखुवा का रहने वाला अनुभव मित्तल हैं. अनुभव के पिता की पिलखुवा में ही इलेक्ट्रॉनिक की दुकान है. खास बात यह है कि इस कंपनी के मकड़जाल में आम आदमी से लेकर पेशेवर वकील, चार्टर्ड एकाउंटेंट, व्यापारी और डॉक्टर तक शामिल हैं. पिलखुवा के ही अमित कुमार शर्मा ने बताया कि पिलखुवा में हर घर में लाइक करने का काम हो रहा है. इतना ही नहीं कुछ लोगों ने अन्य लोगों के लाइक करने को ही एक नया धंधा बना लिया है. ये लोग 50 पैसे प्रति लाइक वसूलते हैं. यानी अगर आपके पास समय की कमी है या फिर घर पर कंप्यूटर या लैपटॉप नहीं है तो इन लोगों से संपर्क करके अपने लाइक को आगे बढ़ा सकते हैं.
उधर, कंपनी के निदेशक अनुभव मित्तल का कहना है कि उन्होंने कोई घपला नहीं किया है. सारा हिसाब-किताब ऑनलाइन रिकॉर्ड में है और उनके इस लेन-देन का पूरा टैक्स सरकार को भरा जाता है तथा मुनाफे को सदस्यों में बांटा जाता है. कोई भी चीज छिपी हुई नहीं है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं