प्रतीकात्मक तस्वीर...
इतिहास के पन्नों को उलटकर देखें तो 30 साल पहले आज ही के दिन आयरलैंड के समीप भारतीय विमान कनिष्क 329 लोगों के साथ काल के ग्रास में समा गया था। यह दर्दनाक घटना उस वक्त हुई, जब विमान 31 हजार फीट की ऊंचाई पर था। अचानक उसमें विस्फोट हुआ और वह अटलांटिक महासागर में क्रैश हो गया। 329 यात्रियों में से कोई नहीं बचा था।
दरअसल, मॉन्ट्रियल-लंदन-दिल्ली और मुंबई के बीच संचालित होने वाली उड़ान इस उड़ान में विस्फोटक रखा गया था। विस्फोटक को रेडियो में रखा था। हमले की जांच और सुनवाई करीब 20 साल तक चली।
दो दशक तक सुनवाई करने के बाद कनाडा की अदालत इस नतीजे पर पहुंची कि धमाकों के मुख्य संदिग्ध बब्बर खालसा गुट के सिख चरमपंथी थे। इस घटना को अंजाम देने में सिख चरमपंथियों के साथ कनाडा का गुट भी जुड़ा हुआ था। हालांकि दोषी सिर्फ इंदरजीत सिंह रेयात को पाया गया था और अदालत ने उसे 15 साल कैद की सजा सुनाई। उस दिन के बाद हादसे वाले स्थल पर हर साल श्रृद्धांजलि सभा का आयोजन का किया जाता है।
दरअसल, मॉन्ट्रियल-लंदन-दिल्ली और मुंबई के बीच संचालित होने वाली उड़ान इस उड़ान में विस्फोटक रखा गया था। विस्फोटक को रेडियो में रखा था। हमले की जांच और सुनवाई करीब 20 साल तक चली।
दो दशक तक सुनवाई करने के बाद कनाडा की अदालत इस नतीजे पर पहुंची कि धमाकों के मुख्य संदिग्ध बब्बर खालसा गुट के सिख चरमपंथी थे। इस घटना को अंजाम देने में सिख चरमपंथियों के साथ कनाडा का गुट भी जुड़ा हुआ था। हालांकि दोषी सिर्फ इंदरजीत सिंह रेयात को पाया गया था और अदालत ने उसे 15 साल कैद की सजा सुनाई। उस दिन के बाद हादसे वाले स्थल पर हर साल श्रृद्धांजलि सभा का आयोजन का किया जाता है।
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