यह ख़बर 25 जून, 2014 को प्रकाशित हुई थी

नरेंद्र मोदी सरकार के 30 दिन : 100 दिन का एजेंडा तैयार नहीं

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

नरेंद्र मोदी सरकार ने एक महीना पूरा कर लिया है। इस एक महीने के बाद यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या वाकई अच्छे दिन आ रहे हैं, जैसा सरकार का वादा था। सरकार ने 100 दिन के जिस एजेंडे की बात की थी क्या उस पर काम शुरू कर लिया है।

वैसे आज के हालात बहुत अच्छे नहीं हैं। फिलहाल जनता महंगाई की चुभन महसूस कर रही है। और तीस दिन बाद भी एजेंडे के नाम पर बैठकों का दौर जारी है। शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू कहते हैं कि हम बीच में नहीं बतायेंगे। सभी मंत्री 100 दिन के एजेंडे पर अच्छा काम कर रहे हैं। कुछ कड़े फैसले लेनें पड़ रहे हैं क्योंकि विरासत में कुछ भी ठीक नही मिला है।

एनडीटीवी इंडिया को जानकारी मिली है कि अभी तक किसी भी मंत्रालय ने अपना 100 दिन का एजेंडा पेश नहीं किया है। हां, मीटिंग पर मीटिंग जरूर हो रही है और कुछ दिनों में जब प्रधानमंत्री से फाइनल एप्रूवल मिल जायेगा तब इस पर अंतिम फैसला हो जायेगा।

पहले प्रधानमंत्री ने कहा था कि अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए कुछ कड़वी दवाएं देनी होंगी। उसका नतीजा अब आने लगा हैं। ठीक एक महीने बाद यानी 25 जून से रेल किराया 14.2 फ़ीसदी बढ़ा दिया गया। चीनी पर आयात शुल्क 15 फ़ीसदी से बढ़ाकर 40 फ़ीसदी शुल्क कर दिया गया। नतीजे में चीनी थोक भाव में एक-दो रुपये महंगी हो गई। लेकिन जल संसाधन मंत्री उमा भारती कहती हैं कि होमियोपैथी दवा ऐसी है जो शुरू में मर्ज बढ़ाती है, लेकिन इसका असर अलग तरह से होता है और बाद में पूरी तरह बीमारी खत्म हो जाती है।

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वैसे फिलहाल मोदी सरकार के 100 दिन के एजेंडे में कई ब्रेक लग गए हैं। ख़राब मॉनसून के अंदेशे ने प्याज़ खाने के तेल और दाल के दाम बढ़ा दिए। कृषि और खाद्य संस्करण राज्य मंत्री संजीव बालियान के मुताबिक, हम ऐसी प्राकृतिक मुसीबतों पर जल्द ही काबू पा लेंगे और अच्छे दिन आने में कोई रोक नहीं लग सकती। लेकिन, हक़ीक़त यह है कि महंगाई फिलहाल पांच महीनों के सबसे ऊंचे स्तर पर है और अर्थव्यवस्था की हालत बहुत खस्ता है तो बढ़ी हुई महंगाई और घटे हुए मॉनसून के बीच सबको अब भी अच्छे दिनों के शुरू होने का इंतज़ार ही है।