नई दिल्ली:
2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में सरकार को हुए नुकसान की बात कहने वाली कैग (सीएजी) रिपोर्ट पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने वाले कैग के अधिकारी आरपी सिंह ने कहा है कि वह इस रिपोर्ट से सहमत नहीं थे, लेकिन उन्हें इस पर दस्तखत करने पड़े थे।
आरपी सिंह सीएजी में महानिदेशक (पोस्ट एंड टेलिकम्युनिकेशन्स) रहे हैं। एक अखबार को दिए बयान में आरपी सिंह ने कहा है कि सीएजी के अधिकारियों ने बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी से भी मुलाकात की थी, जो संसद में सीएजी रिपोर्ट पेश होने से पहले पीएसी चेयरमैन बन चुके थे।
जोशी पीएसी के चेयरमैन हैं और संसद की पीएसी में जोशी ने जो रिपोर्ट लिखी, उसमें भी 2जी स्पेक्ट्रम पर गंभीर सवाल उठाए गए थे, लेकिन इस रिपोर्ट को बाकी सदस्यों ने स्वीकार नहीं किया था।
आरपी सिंह का कहना है कि उन्होंने बड़े अधिकारियों को यह लिखकर बताया था कि वह 2जी स्पेक्ट्रम की रिपोर्ट से सहमत क्यों नहीं हैं, लेकिन सीएजी विनोद राय से उनकी कभी बात नहीं हुई। सीएजी की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि सरकार को 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में 1.76 लाख करोड़ का घाटा हुआ है, जिसके बाद बवाल मच गया था।
आरपी सिंह के दावों पर संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने संसद भवन परिसर में कहा कि यह एक गंभीर मुद्दा है और आम सदस्यों की एक भावना बन रही है कि इस मामले में सच सामने आना चाहिए। कांग्रेस सांसद गिरिजा व्यास ने कहा कि जब भ्रष्टाचार और इससे मुकाबले की बात हो रही हो, तब राजनीतिक फायदे के लिए इस तरह का काम किया जाता है। इसकी जांच होनी चाहिए।
बीजेपी ने हालांकि इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। बीजेपी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि 2जी मामले की जांच करने वाले कैग के ऑडिटर के आरोप आधारहीन हैं। आरपी सिंह इतने समय तक इस पर क्यों नहीं कुछ नहीं बोले? पार्टी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने सवाल उठाते हुए कहा कि कैग के पूर्व ऑडिटर ने सेवा में रहने के दौरान इस मामले को क्यों नहीं उठाया और सेवानिवृत्ति के बाद ही उनको इसकी याद क्यों आई। उन्होंने पूर्व कैग अधिकारी पर कांग्रेस के साथ सांठगांठ का भी आरोप लगाया।
उधर, मुरली मनोहर जोशी ने सीएजी के पूर्व अफसर आरपी सिंह को सरकार का मोहरा बताया है। जोशी ने अपने बयान में कहा है कि आरपी सिंह उनके सामने पेश हुए थे, तब उन्होंने ये मुद्दे क्यों नहीं उठाए...अब वह ऐसा सरकार के कहने पर कर रहे हैं, जिससे सीएजी को बदनाम किया जा सके। उन्होंने सीएजी अफसरों को अपने घर बुलाए जाने पर सफाई देते हुए कहा कि वह पीएसी चेयरमैन होने के नाते किसी को भी अपने घर तलब कर सकते हैं।
आरपी सिंह सीएजी में महानिदेशक (पोस्ट एंड टेलिकम्युनिकेशन्स) रहे हैं। एक अखबार को दिए बयान में आरपी सिंह ने कहा है कि सीएजी के अधिकारियों ने बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी से भी मुलाकात की थी, जो संसद में सीएजी रिपोर्ट पेश होने से पहले पीएसी चेयरमैन बन चुके थे।
जोशी पीएसी के चेयरमैन हैं और संसद की पीएसी में जोशी ने जो रिपोर्ट लिखी, उसमें भी 2जी स्पेक्ट्रम पर गंभीर सवाल उठाए गए थे, लेकिन इस रिपोर्ट को बाकी सदस्यों ने स्वीकार नहीं किया था।
आरपी सिंह का कहना है कि उन्होंने बड़े अधिकारियों को यह लिखकर बताया था कि वह 2जी स्पेक्ट्रम की रिपोर्ट से सहमत क्यों नहीं हैं, लेकिन सीएजी विनोद राय से उनकी कभी बात नहीं हुई। सीएजी की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि सरकार को 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में 1.76 लाख करोड़ का घाटा हुआ है, जिसके बाद बवाल मच गया था।
आरपी सिंह के दावों पर संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने संसद भवन परिसर में कहा कि यह एक गंभीर मुद्दा है और आम सदस्यों की एक भावना बन रही है कि इस मामले में सच सामने आना चाहिए। कांग्रेस सांसद गिरिजा व्यास ने कहा कि जब भ्रष्टाचार और इससे मुकाबले की बात हो रही हो, तब राजनीतिक फायदे के लिए इस तरह का काम किया जाता है। इसकी जांच होनी चाहिए।
बीजेपी ने हालांकि इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। बीजेपी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि 2जी मामले की जांच करने वाले कैग के ऑडिटर के आरोप आधारहीन हैं। आरपी सिंह इतने समय तक इस पर क्यों नहीं कुछ नहीं बोले? पार्टी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने सवाल उठाते हुए कहा कि कैग के पूर्व ऑडिटर ने सेवा में रहने के दौरान इस मामले को क्यों नहीं उठाया और सेवानिवृत्ति के बाद ही उनको इसकी याद क्यों आई। उन्होंने पूर्व कैग अधिकारी पर कांग्रेस के साथ सांठगांठ का भी आरोप लगाया।
उधर, मुरली मनोहर जोशी ने सीएजी के पूर्व अफसर आरपी सिंह को सरकार का मोहरा बताया है। जोशी ने अपने बयान में कहा है कि आरपी सिंह उनके सामने पेश हुए थे, तब उन्होंने ये मुद्दे क्यों नहीं उठाए...अब वह ऐसा सरकार के कहने पर कर रहे हैं, जिससे सीएजी को बदनाम किया जा सके। उन्होंने सीएजी अफसरों को अपने घर बुलाए जाने पर सफाई देते हुए कहा कि वह पीएसी चेयरमैन होने के नाते किसी को भी अपने घर तलब कर सकते हैं।
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