नई दिल्ली:
एनजीओ CPIL ने 2जी मामले में अडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को स्पेशल पब्लिक प्रोस्क्यूटोर नियुक्त करने के Department of Personnel & Training के फैसले के खिलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका (Contempt Petition) दाखिल की. याचिका में आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पेशल पीपी आनंद ग्रोवर को नियुक्त किया था. ये फैसला कोर्ट के फैसले की अवमानना है. एनजीओ ‘सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन ने कहा कि सीबीआई अभियोजक के रूप में मेहता की नियुक्ति शीर्ष अदालत के 2011 और 2014 के आदेशों का उल्लंघन है जिसने 2जी घोटाला मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर को विशेष लोक अभियोजक बनाया था.
शीर्ष अदालत ने 2011 में तत्कालीन वरिष्ठ अधिवक्ता यू यू ललित को 2जी मामलों के लिए विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया था. हालांकि शीर्ष अदालत में उनकी पदोन्नति के बाद न्यायालय ने दो सितंबर 2014 को तत्कालीन वरिष्ठ अधिवक्ता के के वेणुगोपाल, जो अब अटॉर्नी जनरल हैं, के सुझाव पर ग्रोवर को नियुक्त किया था.
विशेष सीबीआई अदालत ने 21 दिसंबर 2017 को 2जी मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा, द्रमुक सांसद कनिमोई तथा अन्य सभी आरोपियों को बरी कर दिया था. गत आठ फरवरी को कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने अधिससूचना जारी कर मेहता को मामले के लिए अभियोजक नियुक्त किया. एनजीओ ने विभाग के सचिव अजय मित्तल के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए आरोप लगाया है कि उन्होंने शीर्ष अदालत के आदेश की ‘‘जानबूझकर अवहेलना’’ की है. याचिका में अधिसूचना को निरस्त किए जाने का आग्रह किया गया है.
शीर्ष अदालत ने 2011 में तत्कालीन वरिष्ठ अधिवक्ता यू यू ललित को 2जी मामलों के लिए विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया था. हालांकि शीर्ष अदालत में उनकी पदोन्नति के बाद न्यायालय ने दो सितंबर 2014 को तत्कालीन वरिष्ठ अधिवक्ता के के वेणुगोपाल, जो अब अटॉर्नी जनरल हैं, के सुझाव पर ग्रोवर को नियुक्त किया था.
विशेष सीबीआई अदालत ने 21 दिसंबर 2017 को 2जी मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा, द्रमुक सांसद कनिमोई तथा अन्य सभी आरोपियों को बरी कर दिया था. गत आठ फरवरी को कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने अधिससूचना जारी कर मेहता को मामले के लिए अभियोजक नियुक्त किया. एनजीओ ने विभाग के सचिव अजय मित्तल के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए आरोप लगाया है कि उन्होंने शीर्ष अदालत के आदेश की ‘‘जानबूझकर अवहेलना’’ की है. याचिका में अधिसूचना को निरस्त किए जाने का आग्रह किया गया है.