जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में बड़ी संख्या में अर्धसैनिक बल पहुंच गए हैं. उनमें से ज्यादातर उत्तरी कश्मीर और जम्मू क्षेत्र के कुछ हिस्सों में तैनात किए गए हैं. बड़े पैमाने पर पारामिलिट्री फोर्सेज की तैनाती से कुछ स्थानीय नेताओं की चिंता बढ़ गई है क्योंकि यह पहली बार है जब अगस्त 2019 के बाद से इस तरह की तैनाती हुई है. अगस्त 2019 में केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया था और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था.
हालांकि, अधिकारियों ने उन आशंकाओं और अफवाहों को खारिज किया है कि बड़े पैमाने पर फोर्सेज की तैनाती का मतलब राज्य में बड़ा उलटफेर या कोई बड़ी गतिविधि हो सकती है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में आने वाले अर्द्धसैनिक बल वे हैं जो पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों में चुनाव ड्यूटी के लिए गए थे.
राज्य के पुलिस महानिरीक्षक विजय कुमार ने कहा, "ये सैनिक उन राज्यों से लौट रहे हैं जहां हाल ही में चुनाव हुए थे. उन्हें फिर से शामिल किया जा रहा है. यह नई तैनाती नहीं है."
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स्थानीय नेताओं का कहना है कि अर्द्धसैनिक बलों के जवानों की इतनी बड़ी आवाजाही से कुछ बड़ा होने की चिंता पैदा हो रही है. राज्य के विशेष दर्जे के खात्मे के बाद हिरासत में लिए गए कुछ राजनीतिक नेताओं ने कहा कि उन्हें डर है कि उन्हें फिर से हिरासत में लिया जा सकता है.
While rumours are flying thick and fast - should we be ready for second semester?
— Tanvir Sadiq (@tanvirsadiq) June 6, 2021
MLA's hostel 2.0? ????
अधिकारियों ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर से अर्द्धसैनिक बलों की करीब 200 कंपनियां विधानसभा चुनाव के लिए राज्यों में भेजी गई थीं, जिनमें से ज्यादातर पश्चिम बंगाल में थीं. एक महीने पहले पचास कंपनियां लौटीं, और बाकी अब वापस आ रही हैं और उन्हें फिर से तैनात किया जा रहा है.
अगस्त 2019 में राज्य का विशेष दर्जा खत्म करने की घोषणा से पहले, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की कम से कम 800 अतिरिक्त कंपनियों को कश्मीर घाटी में तैनात किया गया था. पिछले साल की शुरुआत में, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के बाद जम्मू-कश्मीर से 100 कंपनियों को वापस बुला लिया गया और देश के अन्य हिस्सों में भेज दिया गया था.
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