
किसानों को दी गई बड़ी राहत
- ब्याज सब्सिडी स्कीम 1 साल के लिए और लागू
- छोटे किसानों को मिलेगी मदद
- इसे RBI और NABARD लागू करेंगे
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नई दिल्ली:
केंद्रीय कैबिनेट ने तीन लाख तक का कर्ज लेने वाले किसानों को राहत पहुंचाने के लिए सरकार की ब्याज सब्सिडी स्कीम को एक साल और बढ़ाने का फैसला किया है. इस योजना के तहत तीन लाख तक का कर्ज लेने वाले किसानों के ब्याज का बोझ कम करने के लिए सरकार 5 फीसदी ब्याज के बोझ का वहन करती है.
इसके अलावा किसानों को फसल कटाई के बाद अपनी उपज के भंडारण के लिए भी सात फीसदी की सस्ती दर पर कर्ज उपलब्ध होगा. यह व्यवस्था छह माह के लिए होगी.
प्राकृतिक आपदा से प्रभावित किसानों को राहत पहुंचाने के लिये सरकार ने उनकी पुनर्गठित कर्ज राशि पर पहले साल के ब्याज पर दो प्रतिशत ब्याज सहायता देने का फैसला किया है.
ये सभी फैसले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए. सरकार की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को भी फसल ऋण से जोड़ा गया है, इसलिए किसासनों को सरकार द्वारा शुरू की गई इन दोनों योजनाओं का लाभ मिलेगा.
कम अवधि वाले क्रोप लोन पर किसानों को 9 फीसदी की दर पर फसली ऋण मिलता है. इसमें 5 फीसदी का बोझ सरकार उठाती है और 4 फीसदी किसानों को देना पड़ता है. इस स्कीम को 2017-18 के लिए भी लागू रखने पर 20, 339 करोड़ का वित्तीय बोझ सरकार को उठाना पड़ेगा.
ऐसे वक्त पर जब किसान मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं, इससे उन छोटे किसानों को विशेष तौर पर मदद मिलेगी, जिन्होंने 3 लाख तक का लोन लिया है. यह स्कीम 2006-07 में शुरू की गई. पिछले 10 साल से पूरे देश में लागू है. इसे आरबीआई और NABARD लागू करेंगे.
इसके अलावा किसानों को फसल कटाई के बाद अपनी उपज के भंडारण के लिए भी सात फीसदी की सस्ती दर पर कर्ज उपलब्ध होगा. यह व्यवस्था छह माह के लिए होगी.
प्राकृतिक आपदा से प्रभावित किसानों को राहत पहुंचाने के लिये सरकार ने उनकी पुनर्गठित कर्ज राशि पर पहले साल के ब्याज पर दो प्रतिशत ब्याज सहायता देने का फैसला किया है.
ये सभी फैसले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए. सरकार की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को भी फसल ऋण से जोड़ा गया है, इसलिए किसासनों को सरकार द्वारा शुरू की गई इन दोनों योजनाओं का लाभ मिलेगा.
कम अवधि वाले क्रोप लोन पर किसानों को 9 फीसदी की दर पर फसली ऋण मिलता है. इसमें 5 फीसदी का बोझ सरकार उठाती है और 4 फीसदी किसानों को देना पड़ता है. इस स्कीम को 2017-18 के लिए भी लागू रखने पर 20, 339 करोड़ का वित्तीय बोझ सरकार को उठाना पड़ेगा.
ऐसे वक्त पर जब किसान मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं, इससे उन छोटे किसानों को विशेष तौर पर मदद मिलेगी, जिन्होंने 3 लाख तक का लोन लिया है. यह स्कीम 2006-07 में शुरू की गई. पिछले 10 साल से पूरे देश में लागू है. इसे आरबीआई और NABARD लागू करेंगे.
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