यह ख़बर 21 मार्च, 2013 को प्रकाशित हुई थी

'मुंबई के 1993 के विस्फोट के अभियुक्तों को पाकिस्तान में मिला था प्रशिक्षण'

खास बातें

  • उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि मुंबई में 1993 में हुए विस्फोट की घटनाओं में शामिल अभियुक्तों को प्रशिक्षण देने में पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेन्सी आईएसआई ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
नई दिल्ली:

उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि मुंबई में 1993 में हुए विस्फोट की घटनाओं में शामिल अभियुक्तों को प्रशिक्षण देने में पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेन्सी आईएसआई ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

शीर्ष अदालत ने कहा कि देश की आर्थिक राजधानी को निशाना बनाने की साजिश दाउद इब्राहिम, टाइगर मेमन और उसके साथियों ने रची थी जिसे पाकिस्तानी अधिकारियों की मदद से अंजाम दिया गया था।

न्यायमूर्ति पी सदाशिवम और न्यायमूर्ति डॉ बलबीर सिंह चौहान की खंडपीठ ने दाउद इब्राहिम और याकूब मेमन तथा दूसरे फरार अभियुक्त इस प्रकरण के ‘धनुषधारी थे जबकि शेष अभियुक्त उनके हाथों के तीर थे।

''न्यायालय ने कहा कि अभियुक्तों को पाकिस्तान में ‘ग्रीन चैनल की सुविधायें’ मुहैया कराई गई थीं और वे दुबई के रास्ते पाकिस्तान पहुंचे जहां उन्हें आईएसआई से प्रशिक्षण मिला जो आव्रजन नियमों के पालन के बगैर ही उन्हें इस्लामाबाद हवाई अड्डे से बाहर ले गई थी।’’

न्यायालय ने कहा, ‘यह पाकिस्तान में आने और वहां से बाहर निकलने की ग्रीन चैनल सुविधा थी।’’ न्यायालय ने तमाम साक्ष्यों के अवलोकन के बाद कहा कि बड़ी संख्या मे मुजरिमों और फरार अपराधियों को पाकिस्तान में आरडीएक्स तैयार करने और एके 56 राइफल जैसे स्वचालित हथियारों के इस्तेमाल और हथगोले चलाने का प्रशिक्षण मिला था।

न्यायालय ने कहा कि अभियुक्तों के इकबालिया बयान से भी स्पष्ट है कि प्रशिक्षण का बंदोबस्त दाउद इब्राहिम और दूसरे व्यक्तियों के हाथ में था।

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न्यायालय ने कहा कि विस्फोटक की तस्करी में कुछ पुलिस अधिकारियों की सक्रिय भागीदारी बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।