सिख विरोधी दंगों (1984 Anti Sikh Riots) से जुड़े एक मामले में उम्र कैद की सजा पाने वाले कांग्रेस (Congress) के पूर्व नेता सज्जन कुमार (Sajjan Kumar) ने सोमवार को कोर्ट में सरेंडर कर दिया. कुमार ने कोर्ट से सरेंडर की समय सीमा बढ़ाने की मांग की थी, लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने उनका यह अनुरोध खारिज कर दिया था.
सज्जन कुमार के अलावा दोषी ठहराए जाने के बाद पूर्व विधायक कृष्ण खोखर और महेन्द्र यादव ने भी सोमवार को आत्मसमर्पण कर दिया. दोनों को 10 साल जेल की सजा सुनाई गई है. ये दोनों उसी मामले में दोषी ठहराये गये हैं, जिसमें पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को ताउम्र कैद की सजा सुनाई गई है. कोर्ट द्वारा खोखर और यादव का आत्मसमर्पण का अनुरोध स्वीकार करने के बाद दोनों ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदिति गर्ग के समक्ष समर्पण किया.
1984 anti-Sikh riots case: Convict Sajjan Kumar reaches Delhi's Karkardooma Court to surrender pic.twitter.com/lJ1JzCDWJ2
— ANI (@ANI) December 31, 2018
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सरेंडर से पहले सज्जन कुमार के वकील अनिल कुमार शर्मा ने कहा था कि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर अपील पर शीतकालीन छुट्टियों के दौरान 31 दिसंबर से पहले सुनवाई की संभावना नहीं है. उच्चतम न्यायालय एक जनवरी तक बंद है और दो जनवरी से वहां सामान्य कामकाज शुरू होगा.
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वकील ने कहा, 'हम उच्च न्यायालय के फैसले का अनुपालन करेंगे.' दिल्ली हाईकोर्ट ने 1984 के दंगों से संबंधित एक मामले में 17 दिसंबर को 73 वर्षीय पूर्व सांसद सज्जन कुमार को उम्र कैद और पांच अन्य दोषियों को अलग अलग अवधि की सजा सुनायी थी और उन्हें 31 दिसंबर तक समर्पण करने का आदेश दिया था.
हाईकोर्ट ने 17 दिसम्बर को मामले में सिख विरोधी दंगों से संबंधित एक मामले में फैसला सुनाते हुए सभी दोषियों को 31 दिसम्बर तक आत्मसमर्पण करने का समय दिया था. पूर्व पार्षद बलवान खोखर, नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल को भी इस मामले में दोषी ठहराया था. कोर्ट ने सज्जन कुमार की आत्मसमर्पण के लिए और वक्त मांगने संबंधी अर्जी 21 दिसम्बर को अस्वीकार कर दी थी. इसके बाद कुमार ने मामले में ताउम्र कैद की सजा के हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
यह मामला 1984 दंगों के दौरान एक-दो नवम्बर को दक्षिण पश्चिम दिल्ली की पालम कॉलोनी में राज नगर पार्ट-1 क्षेत्र में सिख परिवार के पांच सदस्यों की हत्या करने और राज नगर पार्ट-2 में एक गुरुद्वारे में आगे लगाने से जुड़ा है. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि 1984 दंगों के दौरान 2700 से अधिक सिख राष्ट्रीय राजधानी में मारे गए जो कि वास्तव में 'अविश्वसनीय नरसंहार' था. कोर्ट ने कहा था ये दंगे "राजनीतिक संरक्षण" प्राप्त लोगों द्वारा "मानवता के खिलाफ अपराध" थे.
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