लेफ्टिनेंट भावना कंठ, मोहना सिंह और अवनी चतुर्वेदी...
नई दिल्ली:
18 जून 2016 का दिन भारतीय महिलाओं के लिये खास होने वाला है खासकर वायुसेना की उन तीन चुनिंदा महिला पायलटों के लिये जिनको इस दिन कमीशन किया जायेगा। इस दिन हैदराबाद से 40 किलोमीटर दूर डुंडिगल में वायुसेना अकादमी में इतिहास बनेगा। लेफ्टिनेंट भावना कंठ, मोहना सिंह और अवनी चतुर्वेदी वे प्रशिक्षु पायलट हैं जो लड़ाकू पायलट बनने के लिए चुनी गई हैं।
बस एक साल और... फिर सुखोई जैसे विमान उड़ाएंगी ये पायलट...
वायुसेना में करीब 1500 से ज्यादा महिलाए हैं जो अलग-अलग विभागों में काम कर रही हैं। अभी तक वायुसेना में महिलायें हेलीकॉप्टर और परिवहन विमान ही उड़ाती थीं लेकिन रक्षा मंत्रालय ने महिलाओं को लड़ाकू विमान के पायलट के रूप में शामिल करने के प्रस्ताव को पिछले साल अक्टूबर में हरी झंडी दे दी थी। अगर सबकुछ ठीक रहा तो एक साल की कड़ी ट्रेनिंग के बाद यह पहला महिला पायलटों का ग्रुप होगा जो सुखोई जैसा अत्याधुनिक लड़ाकू विमान उड़ाएगा।
इस दिन को यादगार बनाने के लिये खुद रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल अरुप राहा भी मौजूद रहेंगे। उस दिन इन तीनों के पहले चरण की ट्रेनिंग खत्म हो जाएगी। उसके बाद इन्हें ट्रेनिंग के लिये दूसरे चरण में भेजा जाएगा। दूसरे चरण में इन सभी तीनों महिला पायलटों को खास तौर पर ट्रेनिंग विमान हॉक और दूसरे लड़ाकू विमानों पर ट्रेनिंग दी जाएगी। ये ट्रेनिंग करीब एक साल तक चलेगी।
अगले चार साल तक गर्भधारण नहीं करेंगी ये पायलट...
वैसे वायु सेना में 1991 से ही महिलाओं को पायलटों के रुप शामिल किया था, लेकिन केवल हेलीकॉप्टर और परिवहन विमानों के लिए। चुनी गये तीनों महिला पायलटों को वायुसेना ने अगले चार साल गर्भधारण नहीं करने की सलाह दी है ताकि उनके ट्रेनिंग की प्रक्रिया बाधित ना हो।
आपको बता दें कि युवा लड़ाकू पायलटों को भी एक खास उम्र तक शादी न करने की सलाह दी जाती है। पहले 120 कैंडेट्स में 37 लड़ाकू पायलट के ट्रेनिंग के लिए चुना गया था जिनमें से इन तीन के हाथ ही लड़ाकू विमान उड़ाने का मौका हाथ लगेगा।
बस एक साल और... फिर सुखोई जैसे विमान उड़ाएंगी ये पायलट...
वायुसेना में करीब 1500 से ज्यादा महिलाए हैं जो अलग-अलग विभागों में काम कर रही हैं। अभी तक वायुसेना में महिलायें हेलीकॉप्टर और परिवहन विमान ही उड़ाती थीं लेकिन रक्षा मंत्रालय ने महिलाओं को लड़ाकू विमान के पायलट के रूप में शामिल करने के प्रस्ताव को पिछले साल अक्टूबर में हरी झंडी दे दी थी। अगर सबकुछ ठीक रहा तो एक साल की कड़ी ट्रेनिंग के बाद यह पहला महिला पायलटों का ग्रुप होगा जो सुखोई जैसा अत्याधुनिक लड़ाकू विमान उड़ाएगा।
इस दिन को यादगार बनाने के लिये खुद रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल अरुप राहा भी मौजूद रहेंगे। उस दिन इन तीनों के पहले चरण की ट्रेनिंग खत्म हो जाएगी। उसके बाद इन्हें ट्रेनिंग के लिये दूसरे चरण में भेजा जाएगा। दूसरे चरण में इन सभी तीनों महिला पायलटों को खास तौर पर ट्रेनिंग विमान हॉक और दूसरे लड़ाकू विमानों पर ट्रेनिंग दी जाएगी। ये ट्रेनिंग करीब एक साल तक चलेगी।
अगले चार साल तक गर्भधारण नहीं करेंगी ये पायलट...
वैसे वायु सेना में 1991 से ही महिलाओं को पायलटों के रुप शामिल किया था, लेकिन केवल हेलीकॉप्टर और परिवहन विमानों के लिए। चुनी गये तीनों महिला पायलटों को वायुसेना ने अगले चार साल गर्भधारण नहीं करने की सलाह दी है ताकि उनके ट्रेनिंग की प्रक्रिया बाधित ना हो।
आपको बता दें कि युवा लड़ाकू पायलटों को भी एक खास उम्र तक शादी न करने की सलाह दी जाती है। पहले 120 कैंडेट्स में 37 लड़ाकू पायलट के ट्रेनिंग के लिए चुना गया था जिनमें से इन तीन के हाथ ही लड़ाकू विमान उड़ाने का मौका हाथ लगेगा।
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