'कुछ सांसदों सहित करीब 100 कांग्रेस (Congress) नेताओं ने अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi)का पत्र लिखकर पार्टी नेतृत्व में बदलाव और पारदर्शी चुनाव की मांग की है.' पार्टी से निलंबित संजय झा (Sanjay Jha) ने सोमवार को एक ट्वीट करके यह जानकारी दी. गौरतलब है कि सचिन पायलट के 'बागी तेवरों' के बाद पार्टी की सार्वजनिक तौर पर आलोचना करने के कारण पिछले माह कांग्रेस प्रवक्ता पद से हटा दिया गया था. झा ने सोमवार सुबह ट्वीट किया, 'अनुमान के अनुसार करीब 100 कांग्रेस नेता पार्टी की स्थिति से व्यथित हैं, इन्होंने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पार्टी नेतृत्व में बदलाव और CWC में पारदर्शी चुनाव के लिए लेटर लिखा है.'
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It is estimated that around 100 Congress leaders (including MP's) , distressed at the state of affairs within the party, have written a letter to Mrs Sonia Gandhi, Congress President, asking for change in political leadership and transparent elections in CWC.
— Sanjay Jha (@JhaSanjay) August 17, 2020
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हालांकि इस लेटर की किसी अन्य स्त्रोत से पुष्टि नहीं की गई है. यह लेटर कांग्रेस की ओर से सचिन पायलट के साथ 'सुलह' के करीब एक माह बाद सामने आया है. पायलट की राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ मुलाकात हुई थी और उन्हें आश्वस्त किया गया था कि राजस्थान में कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ उनकी शिकायतों को सुना जाएगा. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद राहुल गांधी के इस्तीफे के चलते सोनिया ने पिछले साल कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर पार्टी का कामकाज संभाला था.
राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया था. सोनिया का एक साल का कार्यकाल 10 अगस्त को खत्म होना था, लेकिन पार्टी ने कहा था कि पार्टी ने प्रमुख का चुनाव की उचित प्रक्रिया के पूरे होने तक वे काम करती रहेंगी. कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने ऑनलाइन मीडिया ब्रीफिंग में कहा था कि यह सही है कि अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर सोनिया का कार्यकाल 10 अगस्त को खत्म हो रहा है लेकिन इसके यह मायने नहीं है कि यह 'सीट' इस दिन से अपने आप ही खाली हो जाएगी. गौरतलब है कि हाल के समय कई कांग्रेस नेता ने पार्टी में चुनाव को लेकर आवाज उठाई है. यह पार्टी में अब तक औपचारिकता ही साबित होते आए हैं क्योंकि 135 साल के इतिहास में ज्यादातर समय नेहरू-गांधी परिवार के सदस्य ही पार्टी का नेतृत्व करते रहे हैं. बदलाव की यह मांग पार्टी के वरिष्ठजनों और युवा पीढ़ी में अलग-अलग राय को दिखाता है. युवा पीढ़ी राहुल गांधी को नेतृत्व देने के पक्ष में हैं.
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