भारत को एक महीने में फ्रांस से 10 और राफेल लड़ाकू विमान (Rafale fighter Jet) मिलने वाले हैं. इससे फाइटर जेट की कमी से जूझ रही भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) की मारक क्षमता और बढ़ेगी. ये दस राफेल लड़ाकू विमान मिलते ही इसकी दूसरी स्क्वॉड्रन तैयार करने का का भी तेजी से आगे बढ़ सकता है. चीन से एलएसी पर तनाव में कमी के बीच सतर्क भारत की हवाई ताकत बढ़ने को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट (France Dassault) राफेल का निर्माण करती है.
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नए लड़ाकू विमान मिलते ही देश में राफेल विमानों की संख्या 11 से बढ़कर 21 तक पहुंच जाएगी. ये अंबाला स्थित 17 स्क्वॉड्रन में तैनात हैं, जो चीन और पाकिस्तान के मोर्चे पर महत्वपूर्ण रणनीतिक एयरबेस है.सरकार के वरिष्ठ स्तर पर सूत्रों ने एएनआई से कहा" फ्रांस से तीन राफेल लड़ाकू विमान अगले 2 से 3 दिन में भारत आने वाले हैं, जो हवा में ही ईंधन भरने की क्षमता से भी लैस होंगे. ये राफेल सीधे फ्रांस से उड़ान भरकर भारत पहुंचेंगे. जबकि बाकी 7-8 राफेल अगले महीने के अंत में भारत आएंगे. इनमें मुख्य लड़ाकू विमान और ट्रेनर विमान शामिल हैं. ये निश्चित तौर पर हमारे मिशन की क्षमता को मजबूत करेंगे.
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भारत में 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खेप का पहला जेट जुलाई-अगस्त 2020 में आया था और उसे बेहद कम समय में वायुसेना में परिचालन में लाया गया. इस लड़ाकू विमान को चीन से लगी पूर्वी लद्दाख की सीमा पर भी गश्त के काम में लगाया गया था. चीन (China front eastern Ladakh)से टकराव के समय अन्य मोर्चों पर राफेल बेहद मुस्तैदी से अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे.
राफेल एयरक्राफ्ट फ्रांस से भारत आने के बाद अंबाला एयरबेस पर तैनात किए जाएंगे और बाद में इनमें से कुछ पश्चिम बंगाल में हाशिमारा एयरबेस पर भेजे जाएंगे, जहां इस लड़ाकू विमान की दूसरी स्क्वॉड्रन बनाने का कार्य शुरू हो गया है. भारत ने फ्रांस से सितंबर 2016 में 36 राफेल लड़ाकू विमानों का ऑर्डर दिया था. अप्रैल 2021 के अंत तक इनमें से आधे फाइटर जेट भारत आ चुके होंगे.
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