नई दिल्ली:
एक नया शोध बताता है कि जीका संक्रमण के कारण किसी महिला की गर्भावस्था में बाधा पड़ सकती है. इसका कोई लक्षण भले ही नजर न आता हो, लेकिन यह गर्भपात और मृत शिशु के जन्म का कारण हो सकता है. जीका वायरस के कारण दिमागी विकृतियों वाले बच्चे पैदा होते हैं. इस समस्या को 'माइक्रोसिफेली' कहा जाता है. मनुष्यों में जीका संक्रमण होने पर बुखार, शरीर में चकत्ते, सिरदर्द, जोड़ों और मांसपेशी में दर्द, और आंखों में लाल रंग आना प्रमुख है.
एक और खोज में यह पता लगा है कि भारत का जीका रोग आनुवंशिक रूप से दो अन्य रोगजनक वैश्विक प्रकारों - अफ्रीकी और एशियाई से अलग है, क्योंकि यह मच्छरों को संक्रमित करने में असमर्थ है.
कैसे फैलता है
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (सीएफआई) के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा कि डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया की तरह ही जीका एक बड़ी जन-स्वास्थ्य समस्या है. जीका वायरस से संक्रमित कई लोग खुद को बीमार महसूस नहीं करते. यदि मच्छर किसी संक्रमित व्यक्ति को काटता है, जिसके खून में वायरस मौजूद हैं, तो यह किसी अन्य व्यक्ति को काटकर वायरस फैला सकता है.
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क्या हो सकता है खतरा
डॉक्टर अग्रवाल के अनुसार वायरस संक्रमित महिला के गर्भ में फैल सकता है और शिशुओं में माइक्रोसिफेली और अन्य गंभीर मस्तिष्क रोगों का कारण बन सकता है. वयस्कों में यह गुलैन-बैरे सिंड्रोम का कारण बन सकता है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली नसों पर हमला करती है, जिससे कई जटिलताओं की शुरुआत होती है.
बरतें सावधानी-
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि जीका वायरस संक्रमण के लिए कोई टीका नहीं है. उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की यात्रा पर जाने वालों, विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं का मच्छरों से भलीभांति बचाव करना चाहिए. उन्होंने कहा, "समय की मांग है कि देश में वायरस के फैलाव पर निगरानी बढ़ाई जाए. मोहल्लों, बस्तियों, शहरों के अलावा अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डों, बंदरगाहों जैसी जगहों पर अलर्ट रहा जाए."
एचसीएफआई के कुछ सुझाव :
* जब एडिस मच्छर सक्रिय होते हैं, उस समय घर के अंदर रहें. ये मच्छर दिन के दौरान, सुबह बहुत जल्दी और सूर्यास्त से कुछ घंटे पहले काटते हैं.
* जब आप बाहर जाएं तो जूते, मोजे, लंबी आस्तीन वाली शर्ट और फुलपैंट पहनें.
* यह सुनिश्चित करें कि मच्छरों को रोकने के लिए कमरे में स्क्रीन लगी हो.
* ऐसे बग-स्प्रे या क्रीम लगाकर बाहर निकलें, जिसमें डीट या पिकारिडिन नामक रसायन मौजूद हो.
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एक और खोज में यह पता लगा है कि भारत का जीका रोग आनुवंशिक रूप से दो अन्य रोगजनक वैश्विक प्रकारों - अफ्रीकी और एशियाई से अलग है, क्योंकि यह मच्छरों को संक्रमित करने में असमर्थ है.
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हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (सीएफआई) के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा कि डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया की तरह ही जीका एक बड़ी जन-स्वास्थ्य समस्या है. जीका वायरस से संक्रमित कई लोग खुद को बीमार महसूस नहीं करते. यदि मच्छर किसी संक्रमित व्यक्ति को काटता है, जिसके खून में वायरस मौजूद हैं, तो यह किसी अन्य व्यक्ति को काटकर वायरस फैला सकता है.
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डॉक्टर अग्रवाल के अनुसार वायरस संक्रमित महिला के गर्भ में फैल सकता है और शिशुओं में माइक्रोसिफेली और अन्य गंभीर मस्तिष्क रोगों का कारण बन सकता है. वयस्कों में यह गुलैन-बैरे सिंड्रोम का कारण बन सकता है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली नसों पर हमला करती है, जिससे कई जटिलताओं की शुरुआत होती है.
बरतें सावधानी-
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि जीका वायरस संक्रमण के लिए कोई टीका नहीं है. उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की यात्रा पर जाने वालों, विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं का मच्छरों से भलीभांति बचाव करना चाहिए. उन्होंने कहा, "समय की मांग है कि देश में वायरस के फैलाव पर निगरानी बढ़ाई जाए. मोहल्लों, बस्तियों, शहरों के अलावा अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डों, बंदरगाहों जैसी जगहों पर अलर्ट रहा जाए."
एचसीएफआई के कुछ सुझाव :
* जब एडिस मच्छर सक्रिय होते हैं, उस समय घर के अंदर रहें. ये मच्छर दिन के दौरान, सुबह बहुत जल्दी और सूर्यास्त से कुछ घंटे पहले काटते हैं.
* जब आप बाहर जाएं तो जूते, मोजे, लंबी आस्तीन वाली शर्ट और फुलपैंट पहनें.
* यह सुनिश्चित करें कि मच्छरों को रोकने के लिए कमरे में स्क्रीन लगी हो.
* ऐसे बग-स्प्रे या क्रीम लगाकर बाहर निकलें, जिसमें डीट या पिकारिडिन नामक रसायन मौजूद हो.
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