विज्ञापन

World Birth Defects Day: क्या और क्यों होते हैं Birth Defects, WHO ने बताया कैसे कम किया जा सकता है जन्मदोष का खतरा | Explainer

World Birth Defects Day: हर साल 3 मार्च को विश्व जन्म दोष दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य जन्मजात विसंगतियों (यानि वे हेल्थ कंडिशन्स जो शिशु के जन्म से पहले होती हैं), डिसऑर्डर और कंडिशन्स से प्रभावित लोगों के लिए जागरूकता बढ़ाना और उनकी देखभाल करना है.

World Birth Defects Day: क्या और क्यों होते हैं Birth Defects, WHO ने बताया कैसे कम किया जा सकता है जन्मदोष का खतरा | Explainer

World Birth Defects Day: हर साल 3 मार्च को विश्व जन्म दोष दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य जन्मजात विसंगतियों (यानि वे हेल्थ कंडिशन्स जो शिशु के जन्म से पहले होती हैं), डिसऑर्डर और कंडिशन्स से प्रभावित लोगों के लिए जागरूकता बढ़ाना और उनकी देखभाल करना है. इस साल विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस विषय पर जोर देते हुए सभी देशों से जन्म दोषों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और हेल्थ सिस्टम को मजबूत करने की अपील की है. इसके तहत नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य, विकास और मानसिक-सामाजिक जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रयास करने की जरूरत बताई गई है. इसके साथ ही जन्म दोषों की रोकथाम, समय पर पहचान और सही तरीके से मैनेज करने को प्राथमिकता देने पर जोर दिया गया है.

जन्म दोषों का प्रभाव और बढ़ती चुनौती

जन्म दोष किसी भी व्यक्ति के लाइफ क्वालिटी को प्रभावित करते हैं और साथ ही परिवारों, समाज और हेल्थ सिस्टम पर भी भारी बोझ डालते हैं. हालांकि, आनुवंशिक कारण जन्म दोषों के प्रमुख कारणों में से एक हैं, लेकिन कई जन्म दोषों को हेल्थ सिस्टम के प्रभावी हस्तक्षेपों के जरिए से रोका जा सकता है. इनमें रूबेला (जर्मन खसरा) का टीकाकरण, गर्भावस्था के दौरान यौन संचारित संक्रमणों (STI) की पहचान जैसे उपाय शामिल हैं.

पिछले दो दशकों में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में जन्म दोषों की भागीदारी 3.9 प्रतिशत से बढ़कर 11.5 प्रतिशत हो गई है. अब यह हमारे क्षेत्र में बचपन में मृत्यु के तीसरे सबसे बड़े कारण (11 प्रतिशत) के रूप में उभर रहे हैं, जिससे प्रतिदिन लगभग 300 बच्चों की मृत्यु हो जाती है. इसके अलावा जन्म दोषों के कारण गंभीर बीमारियां और दिव्यांगता पैदा होती है, जिन पर अक्सर ध्यान नहीं दिया जाता.

World Hearing Day: WHO India ने शेयर किए अपने कानों को हेल्दी रखने के लिए खास टिप्स, आप भी कर लें नोट

जन्म दोषों की रोकथाम और मैनेजमेंट के लिए WHO के प्रयास

2014 से WHO सभी देशों को जन्म दोषों की रोकथाम, पहचान, मैनेजमेंट और देखभाल के लिए एकीकृत इंटीग्रेटेड अप्रोच अपनाने में मदद कर रहा है. यह कई राष्ट्रीय कार्यक्रमों के सहयोग से किया जा रहा है, जिसमें प्रजनन स्वास्थ्य, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, टीकाकरण, पोषण और गैर-संक्रामक रोगों से संबंधित कार्यक्रम शामिल हैं.

इन प्रयासों से क्या लाभ मिला:

  • गर्भावस्था से पहले फोलिक एसिड अनुपूरण (supplementation) के कवरेज में बढ़ोत्तरी हुई है.
  • बच्चों के नियमित रूबेला टीकाकरण की कवरेज बढ़ी है.
  • अलग-अलग फूड्स के न्यूट्रिशनल फॉर्टिफिकेशन (fortification) कार्यक्रम लागू किए गए हैं.
  • हॉस्पिटल बेस्ड ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम "SEAR नवजात जन्म दोष डेटाबेस" की स्थापना की गई है.
  • क्षेत्रीय स्तर पर गर्भवती महिलाओं को हानिकारक दवाओं, एक्स-रे, तंबाकू, शराब और नशीले पदार्थों से बचने की सलाह दी जाती है. ज्यादातर देशों में जन्म दोषों के मैनेजमेंट के लिए बुनियादी सेवाएं उपलब्ध हैं, लेकिन एडवांस ट्रीटमेंट, रिहैबिलिटेशन और सपोर्ट तक पहुंच सीमित बनी हुई है. इसके अलावा, नवजात शिशुओं की स्क्रीनिंग की उपलब्धता भी संतोषजनक स्तर पर नहीं है.

जन्म दोषों से निपटने के लिए प्राथमिकताएं

डब्ल्यूएचओ और क्षेत्रीय स्वास्थ्य संगठनों ने जन्म दोषों की रोकथाम और मैनेजमेंट के लिए कुछ प्रमुख प्राथमिकताएं तय की हैं:

1. पॉलिसी और फाइनेंसियल रिसॉर्सेज 

देशों को जन्म दोषों को अपने स्वास्थ्य एजेंडा में हाई प्रायोरिटी पर रखना चाहिए। इसके लिए गवर्मेंट कमिटेंट, लीडरशिप और फाइनेंसियल रिसॉर्सेज का आवंटन जरूरत है.

2. हेल्थ सिस्टम की क्षमता बढ़ाना

नवजात शिशुओं में जन्म दोषों की पहचान और मैनेजमेंट के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट का विस्तार किया जाना चाहिए. पिछले साल विकसित क्षेत्रीय कार्यान्वयन दस्तावेज में नवजात शिशुओं की श्रवण क्षमता (hearing impairment), नेत्र दोष (eye abnormalities) और नवजात पीलिया (neonatal hyperbilirubinemia) की जांच को मौजूदा हेल्थ सिस्टम में इंटिग्रेट करने के उपाय सुझाए गए हैं.

3. माता-पिता और देखभालकर्ताओं का सहयोग

बच्चों के माता-पिता और देखभालकर्ताओं पर जन्म दोषों का भारी मानसिक, भावनात्मक और वित्तीय बोझ पड़ता है. इसलिए देशों को समुदाय-आधारित संगठनों, शैक्षणिक एवं अनुसंधान संस्थानों और कई भागीदार संगठनों के साथ मिलकर काम करना चाहिए. इसके तहत सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और सहायता सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करना जरूरी है.

इन लोगों के लिए किसी अमृत से कम नहीं है भीगी किशमिश का सेवन, फायदे जानकर कल से ही खाने लगेंगे आप

4. रोकथाम उपायों को बढ़ावा देना

जन्म दोषों को रोकने के लिए टीकाकरण, खाद्य पोषण सुदृढ़ीकरण (food fortification) और गर्भधारण पूर्व एवं प्रसवपूर्व देखभाल में सुधार की जरूरत है.

5. निगरानी और डेटा संग्रह को मजबूत करना

जन्म दोषों की मॉनिटरिंग सिस्टम को और मजबूत करने के लिए विश्वसनीय डेटा एकत्र करना और उसका उपयोग नीतिगत निर्णय लेने के लिए करना बेहद जरूरी है. इससे हेल्थ पॉलिसीज और कार्यक्रमों को प्रभावी रूप से लागू करने में सहायता मिलेगी.

Watch Video: कैंसर क्यों होता है? कैसे ठीक होगा? कितने समय में पूरी तरह स्वस्थ हो सकते हैं?

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे: