
Monsoon Hair Fall: मानसून का मौसम गर्मी से तो राहत दिलाता है लेकिन इसी के साथ चिपचपी स्किन और मौसम में नमी भी बढ़ जाती है जिसका असर आपकी स्किन और बालों पर भी पड़ता है. अमूमन देखा जाता है कि लोग शिकायत करते हैं कि इस मौसम में उनके बाल तेजी से झड़ते हैं. जिसकी वजह से लोग परेशान हो जाते हैं. अगर आप भी मानसून में बालों के झड़ने की समस्या से परेशान हैं और इसकी वजह क्या है और इस समस्या से राहत पाना चाहते हैं तो हमारे पास आपके इन सभी सवालों का जवाब है. डॉ. अजारा सय्यद (मेडिकल डायरेक्टर और रीजेनेरेटिव डर्मेटोलॉजी विशेषज्ञ) ने इस समस्या के बारे में हमसे बात की और डीटेल में इसकी जानकारी दी है.
उन्होंने बताया, हर साल मानसून में मैं एक जैसी स्थिति देखती हूं — सिर्फ मौसम नहीं बदलता, बल्कि मेरे पास पैनिक से भरे मरीजों की संख्या भी बढ़ जाती है. लोग बालों की बड़ी मात्रा में झड़ने से घबरा जाते हैं. नालियों में बाल, पतली होती चोटी, चौड़ा होता मांग. भावनात्मक तनाव सही है, लेकिन इसके पीछे का विज्ञान भी बहुत स्पष्ट है. अधिकतर मामलों में यह कोई स्थायी नुकसान नहीं होता. ये बालों की ग्रोथ साइकिल का मौसमी बदलाव होता है. ज़रूरत है फर्क समझने की — सामान्य झड़ने और असामान्य बाल झड़ने में — और डरने की बजाय समझदारी से काम लेने की.
मानसून में बाल झड़ना क्यों बढ़ जाता है?
टेलोजन एफ्लूवियम (Telogen Effluvium):
बालों की एक ग्रोथ साइकिल होती है — बढ़ने, आराम करने और झड़ने की. मानसून में ज़्यादा बाल आराम वाली स्टेज में चले जाते हैं जिससे अस्थायी झड़ाव बढ़ता है. लेकिन ये अपने आप ठीक हो जाता है.
स्कैल्प में बैक्टीरिया और फंगस का असंतुलन:
नमी, पसीना और गीलेपन के कारण स्कैल्प की माइक्रोबायोम बिगड़ जाती है जिससे फंगल इंफेक्शन और जलन बढ़ती है और बालों की जड़ें कमजोर हो जाती हैं.
हेयर फॉलिकल में ब्लॉकेज:
इस मौसम में स्कैल्प पर तेल, प्रदूषण और हेयर प्रोडक्ट्स जल्दी जमा हो जाते हैं जिससे बालों की जड़ों तक ऑक्सीजन नहीं पहुंचती.
पोषण की कमी:
मौसमी खानपान में अक्सर प्रोटीन और आयरन की कमी हो जाती है, जो बालों की सेहत को प्रभावित करता है.
हॉर्मोन और तनाव:
नींद की गड़बड़ी, मूड स्विंग्स, इम्यून सिस्टम का कमजोर होना — ये सब बालों के चक्र को प्रभावित करते हैं.
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आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं:
घरेलू उपायों से बचें:
तेल, घरेलू नुस्खे और स्क्रब से स्कैल्प का संतुलन और बिगड़ सकता है.
जल्दबाजी में प्रतिक्रिया न करें:
अगर झड़ना 6 हफ्ते से कम समय का है और गंजेपन जैसे निशान नहीं हैं, तो यह अपने आप ठीक हो सकता है.
स्कैल्प की देखभाल करें:
हल्के शैम्पू, स्कैल्प की माइल्ड सफाई और मॉइश्चराइज़ेशन मददगार है.
ज़रूरी जांच कराएं:
अगर झड़ाव लंबे समय तक जारी है तो आयरन, B12, विटामिन D, थायरॉयड और तनाव (Cortisol) की जांच करवाएं.
अंदर से पोषण दें:
बाल एक एक्टिव टिशू है, इसे प्रोटीन, ओमेगा-3, विटामिन्स और मानसिक संतुलन से मदद मिलती है.
निष्कर्ष:
बाल झड़ना सिर्फ भावनात्मक नहीं बल्कि मेडिकल मुद्दा भी है. जब हम इसके पीछे का विज्ञान समझते हैं, तभी सही कदम उठा पाते हैं. मेरे अनुभव में देखा है कि डर के कारण सही इलाज देर से शुरू होता है. घबराएं नहीं, स्थिति को समझें और ज़रूरत हो तो किसी योग्य एक्सपर्ट से सलाह लें. आपके बाल कुछ कहना चाहते हैं — उन्हें विज्ञान के ज़रिए समझिए, सिर्फ अंदाजे से नहीं.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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