
Contraceptive Importance: गर्भनिरोधक दवाएं यानी कि कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स आने के बाद महिलाओं में अनचाही प्रेग्नेंसी के मामले काफी हद तक कम हुए हैं. ये दवाएं आसानी से और बिना प्रिसक्रिप्शन के महिलाओं को मेडिकल शॉप से मिल जाती हैं. एक्सपर्ट के मुताबिक इन दवाओं से प्रेग्नेंसी तो रोकी जा सकती है लेकिन सेफ सेक्स की बात की जाएं तो सिर्फ ये दवाएं या कॉपर टी जैसे प्रोसेस कारगर नहीं है. एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज की प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. अमृता राजदान कौल के मुताबिक सेफ सेक्स का मतलब होता है कि किसी तरह का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे में ट्रांसफर होने की गुंजाइश बहुत कम या बिलकुल ही न हो. एनडीटीवी ने सुरक्षित यौन संबंध की इंपोर्टेंस को लेकर डॉ. अमृता राजदान से विस्तार से बात की.
क्या है और क्यों जरूरी है सुरक्षित यौन संबंध | What Is Safe Sex And Why It Is Important
क्या है सेफ सेक्स?
डॉ. अमृता राजदान कौल के मुताबिक मॉर्डन वेल्यूज फॉलो करने वाले बच्चे कम उम्र में ही सेक्चुअली एक्सप्लोर करने की कोशिश करते हैं, जिसमें लड़कियां भी शामिल हैं. वो स्मोक और ड्रिंक भी करती हैं, लेकिन उन्हें ये समझना जरूरी है कि वो किस हद तक जाकर अपनी सेहत के साथ जोखिम मोल ले सकती हैं. खासतौर से बात अगर सेक्स की हो तो. इस मामले में उन्हें सेफ सेक्स के बारे में समझाना बहुत जरूरी है. डॉ. अमृता के अनुसार एचआईवी के अलावा अब ह्यूमन पेपिलोमा वायरस और इस तरह के दूसरे सेक्स जनित रोग बढ़ रहे हैं, जिनसे बचने के लिए सेफ सेक्स जरूरी है. इसलिए भले ही कॉन्ट्रासेप्टिव्सज यूज किए जा रहे हों लेकिन कॉन्डम का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए.
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सेफ सेक्स की जरूरत क्यों?
एक्सपर्ट के अनुसार फीमेल ऑर्गन काफी अंदर की तरफ होता है. उसमें किसी भी तरह का इंफेक्शन जाने का मतलब ये होता है कि वो इंफेक्शन आगे बढ़ कर एब्डोमिनल एरिया तक जा सकता है. जो काफी गंभीर स्थिति होती है. इतना ही नहीं अगर इंफेक्शन सही समय पर ट्रीट नहीं किया गया तो उसका असर ब्रेन पर भी होता है. इसलिए सिर्फ सेफ सेक्स के जरिए ही इंफेक्शन को ट्रांसफर होने से रोका जा सकता है. डॉ. अमृता के अनुसार कॉन्ट्रासेप्टिव की मदद से प्रेगनेंसी कंट्रोल की जा सकती है लेकिन इंफेक्शन रोकने के लिए कॉन्डम ही सबसे सेफ जरिया है.
मेनीपॉज में भी सावधानी बरतनी चाहिए:
डॉ. अमृता की सलाह है कि मेनीपॉज के दौर से गुजर रही महिलाओं को भी सेफ सेक्स की प्रेक्टिस ही अपनानी चाहिए. इससे इंफेक्शन का डर भी दूर होता है और प्रेगनेंसी का खतरा भी टलता है. क्योंकि 40 की उम्र के बाद शरीर में प्रेगनेंसी और अबॉर्शन दोनों झेलने की ताकत बहुत कम होती है. इसलिए इस एज में भी महिलाओं को प्रेग्नेंसी से बचने के साथ साथ इंफेक्शन से बचने पर जोर देना चाहिए.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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