ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) हड्डियों की टूटफूट या कमज़ोरी की बीमारी है, जिसका अगर समय पर इलाज न किया जाए, तो वह खतरनाक साबित हो सकती है. हमारा शरीर हड्डियों के ढांचे के सहारे खड़ा है. अगर हड्डियां ही दुरुस्त नहीं रहेंगी तो शरीर कुछ भी करने यहां तक कि चलने फिरने के भी काबिल नहीं रहता. कई बार गलत खानपान या दूसरी वजहों से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं. हड्डियों से जुड़ी एक समस्या है ऑस्टियोपोरोसिस. चलिए जानते हैं इसके बारे में-
ऑस्टियोपोरोसिस : क्या है यह रोग (What is Osteoporosis)
दरअसल, ऑस्टियोपोरोसिस में एक तरह से हड्डियों को घुन लगने जैसी हालत हो जाती है. यह हड्डियों का एक ऐसा रोग है जो वयस्क उम्र के किसी भी व्यक्ति को जब होता है तो उसे ऐसा महसूस होता है कि उसके शरीर की हड्डियां दिन-प्रतिदिन पतली और कमज़ोर होती जा रही हैं.
ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण और बीमारी का पता लगना (Osteoporosis Symptoms)
ऑस्टियोपोरोसिस इतने गुपचुप तरीके से होने वाली बीमारी है कि इसके कोई स्पष्ट पहले से सामने नही आ पाते. बस, आपको सामान्य शारीरिक कमजोरी और शरीर में शक्ति के घटने का अहसास भर ही हो पाता है. इसके सामान्य लक्षण हैं'
- खड़ा होने में दिक्कत
- हड्डियों में दर्द
- जल्दी थकान
- सारे शरीर की हड्डियों में दर्द
- कूल्हे, रीढ़ और टांगों की हड्डियों में ज़्यादा दर्द
रोग से ग्रस्त लोगों को ये लक्षण सामान्य तौर पर महसूस होते हैं पर, आमतौर पर वे लोग इन्हें नज़रन्दाज़ करते रहते हैं. सिर्फ आपका डॉक्टर ही इनकी पहचान करके सही मार्गदर्शन कर सकता है. कभी-कभी लोग किसी दूसरे रोग के इलाज के लिए डॉक्टर के पास जाते हैं. वहां जांच के दौरान ही उनको पता लग पाता है कि उन्हें ऑस्टियोपोरोसिस भी हो गया है.
ऑस्टियोपोरोसिस के शुरुआती लक्षण (Osteoporosis Early Symptoms)
ऐसे कोई विशेष लक्षण या संकेत नहीं होते जिन्हें देखकर कहा जाये कि किसी व्यक्ति में ऑस्टियोपोरोसिस पनप रहा है. जब भी कोई बुजुर्ग रोगी को फ्रेक्चर होता है तो इसकी जांच करते समय ही यह पता लग पाता है कि उसे ऑस्टियोपोरोसिस है या नहीं.
जांच-पड़ताल (Osteoporosis Diagnosis)
हालांकि ऑस्टियोपोरोसिस की जांच के लिए एक्सरे किये जाते हैं पर, इनसे हड्डियों की स्थिति के बारे में मामूली-सा अंदाज़ा ही लग पाता है. पक्के तौर पर कुछ सुनिश्चित करने के लिए डेक्सा टेस्ट (जिसे बीएमडी टेस्ट के नाम से जाना जाता है) करना ज़रूरी होता है. इस टेस्ट के परिणाम से ही पता लग पाता है कि रोगी ऑस्टियोपोरोसिस से ग्रस्त है या नहीं. अगर समय पर इलाज न किया जाए तो क्या मुश्किलें हो सकती हैं
क्या हैं जोखिम (Osteoporosis Risk Assessment)
हड्डियों की कमज़ोरी इस रोग में सबसे महवपूर्ण होती है. समय पर इलाज न होने से हड्डियां निरन्तर कमज़ोर होती जाती हैं. थोड़ा-सा धक्का लगने या गिरने से कूल्हे, रीढ़ या कलाई में फ्रेक्चर हो जाता है. हड्डियां दिन-ब-दिन अंदर से कमज़ोर, खोखली और भुरभुराने लगती हैं. हालात यहां तक पहुंच जाते हैं कि रोगी को बिना गिरे और बिना एक्सीडेंट के भी फ्रेक्चर होने लग जाते हैं क्योंकि हड्डियां बेहद नाजुक और बेदम हो जाती हैं. यह ऑस्टियोपोरोसिस के रोगियों के लिए सबसे बड़ी चिंता का कारण होता है.
ऑस्टियोपोरोसिस के रोगी को और क्या दिक्कतें हो सकती हैं?
ऑस्टियोपोरोसिस से ग्रस्त हड्डियों में फ्रेक्चर होने पर उनके ठीक होने की प्रक्रिया लम्बी हो जाती है. उन्हें ठीक होने में काफी समय लग जाता है. सबसे ज़्यादा दिक्कत वहां आती है जहां पहले से बदले जा चुके घुटने और कूल्हे वाली जगहों पर फिर से फ्रेक्चर हो जाये यानी पेरी-प्रोस्थेटिक-फ्रेक्चर के मामले.
किस उम्र के लोगों को ज़्यादातर होता है ऑस्टियोपोरोसिस?
महिलाओं में प्री-मेनोपॉजल या पोस्ट-मेनोपॉजल अवधि के दौरान ऐसा देखने में आता है. यह 45 साल की उम्र के आसपास होता है जब उनके माहवारी-चक्र में डिस्टर्बेंस होने लगता है. अक्सर इस समय उन्हें माहवारी होना बन्द हो जाता है. दूसरी तरफ, पुरुषों को एंड्रो-पॉजल अवस्था के दौरान ऐसा होता है. महिलाओं में मेनोपॉज की तरह ही पुरुषों में एंड्रोपॉज होता है जब पुरुष हार्मोन्स बनना बन्द हो जाता है और स्पर्म्स का उत्पादन रुक जाता है. पुरुषों में ऐसा 55 की उम्र के आसपास होता है.
क्या ऑस्टियोपोरोसिस सिर्फ महिलाओं को ही होता है?
हालांकि आमतौर पर यह महिलाओं में ही देखने में आता है. पर, पुरुष भी इससे अछूते नही हैं. उनमें भी यह रोग पाया जाता है. महिलाओं और पुरुषों में अनुपात 3:1 का है.
उपचार (Osteoporosis Treatment)
ऑस्टियोपोरोसिस के उपचार के लिए कैल्शियम की गोलियां, विटामिन-डी के सप्लीमेंट्स और इस रोग के लिए विशेष रूप से दी जाने वाली खास दवाइयां रोगी को दी जाती हैं.
रोगियों के लिए अन्य विशेष सलाहें
-रोज़ाना अच्छी और उचित कसरत
-कैल्शियम, विटामिन-डी और प्रोटीन से भरपूर भोजन या खुराक
-रोज़मर्रा की जीवनशैली में सुधार करना ज़रूरी है. सक्रिय जीवन शैली के साथ-साथ पूरा आराम भी ज़रूरी है.
-जंक फूड, गरिष्ठ भोजन, शराब, स्मोकिंग और ड्रग्स आदि को पूरी तरह बन्द करना ज़रूरी है.
(डॉ. ईश्वर बोहरा, सीनियर कंसलटेंट, जॉइंट रिप्लेसमेन्ट एंड आर्थरोस्कोपी, सर्जन बीएलके सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली)
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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