Empty Nest Syndrome: हमारे जीवन के अलग-अलग पड़ाव होते हैं. बचपन, नौकरी-शादी, बच्चों की परवरिश, हर पड़ाव में हमारी प्रायोरिटी बदलती रहती हैं. खासकर महिलाओं के लिए जब बच्चे घर पर होते हैं तो उनकी पूरी दुनिया उन्हीं के इर्द-गिर्द घूमती है. स्कूल, खेल, पढ़ाई, हेल्थ हर चीज में माँ सबसे आगे होती है. लेकिन जैसे ही बच्चे बड़े होकर कॉलेज या नौकरी के लिए घर से दूर जाते हैं, अचानक माँ का पूरा रूटीन बदल जाती है. आपको बता दें कि 50 से 60 साल की उम्र की औरतों को Empty Nest Syndrome जैसी परेशानी से जूझना पड़ता है. माधुरी दीक्षित ने भी महिलाओं को होने वाले इस सिंड्रोम के बारे में बात की है.
क्या है Empty Nest Syndrome?
जब बच्चे घर छोड़कर अपनी जिंदगी आगे बढ़ाते हैं, तो माता-पिता, खासकर माताएँ, इमोशनल रूप से अकेलापन महसूस कर सकती हैं. यही स्थिति Empty Nest Syndrome कहलाती है.
- अचानक अपने लिए बहुत ज्यादा समय मिलना.
- बच्चों को कम कॉल या मैसेज करना.
- अपने रोल का खत्म हो जाना फील होना.
- जीवन में खालीपन व वैक्यूम का एहसास होना.
महिलाएँ सोचती हैं, “जिसके लिए मैं हर दिन भाग-दौड़ कर रही थी, वह अब मेरे बिना ही अपनी दुनिया चला रहे हैं.”
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क्यों जरूरी है खुद पर ध्यान देना?
बच्चे भले ही अपनी जिंदगी में आगे बढ़ जाते हैं, लेकिन माँ की पहचान केवल माँ होना नहीं है. बल्कि हर मां के अपने भी कुछ सपने होते हैं, उनकी भी पसंद-नापसंद होती है और आपकी क्षमताएं कहीं ज्यादा है. इसीलिए जरूरी है कि इस उम्र में आप खुद को दोबारा खोजें.
इस दौर को खूबसूरत कैसे बनाएं?
अपनी पसंद का कोई शौक अपनाएँ जैसे-
- वॉकिंग या योग
- बागवानी (Gardening)
- आर्ट और क्राफ्ट
- बुनाई/कढ़ाई
- कुकिंग या बेकिंग
- संगीत, डांस, पढ़ना
नए दोस्त बनाएँ
कम्युनिटी ग्रुप जॉइन करें, ऐसे लोग जो पॉजिटिव हों और आपके और उनके इंट्रेस्ट सेम हों.
खुद के लिए लक्ष्य तय करें
कोई नई स्किल सीखें, जैसे कंप्यूटर, ड्राइविंग, या कोई नई लैंग्वेज.
हेल्थ और फिटनेस पर ध्यान दें
अपने शरीर और मन को चुस्त रखना सबसे ज्यादा जरूरी है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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