Carbon Monoxide: कार्बन मोनोऑक्साइड जिसे CO भी कहा जाता है, ये आमतौर पर एक गैस के फॉर्म में ही होता है. इस गैस की पॉइजनिंग इंसानी शरीर के लिए काफी गंभीर होती है. कई केसेस में इससे मौत तक हो सकती है. इसी वजह से इस गैस को साइलेंट किलर भी कहा जाता है. पहले आपको बता दें कि कार्बन मोनोऑक्साइड गैस होती कैसी है. ये ऐसी गैस है जिसका कोई रंग नहीं होता. न ही कोई महक होती है.
साथ ही कार्बन मोनोऑक्साइड एक टेस्टलेस गैस होती है. इसलिए इस गैस के कहीं फैलने पर भी ये जान पाना मुश्किल होता है कि ये स्प्रेड हुई है या नहीं. कार्बन मोनोऑक्साइड गैस कार्बन बेस्ड फ्यूल के पूरी तरह न जलने पर बनती है. इसकी वजह गैस, लकड़ी, कोयला या फिर तेल भी हो सकता है.
डॉक्टर्स के मुताबिक अगर समय पर इसका पता चल जाए और ट्रीटमेंट के जरिए इसके घातक असर को रोका जा सकता है. साथ ही इसकी वजह से होने वाले न्यूरोलॉजिकल डैमेज को भी बचाया जा सकता है.
कार्बन मोनोऑक्साइड का असर | Carbon Monoxide: Diagnosis And Treatment
क्लीनिकल एग्जामिनेशनल
कार्बन मोनोऑक्साइड गैस के शरीर पर असर होने के बाद कोई स्पेसिफिक सिंपटम नहीं होते हैं. इस गैस से प्रभावित होने पर भी ऐसे लक्षण दिखते हैं, जो अन्य किसी भी वजह से हो सकते हैं. जैसे वायरल इंफेक्शन जैसे लक्षण या फिर फूड पॉइजनिंग. शुरुआती लक्षण में
- सिर दर्द,
- चक्कर आना,
- घबराहट होना,
- उल्टी होना या फटीग महसूस होना शामिल है.
- इसके अलावा इस गैस का पीड़ित कंफ्यूज्ड बिहेव भी करता है.
अगर कार्बन मोनोऑक्साइड गैस से लंबे समय तक संपर्क बना रहता है तो न्यूरोलॉजिकल लक्षण भी नजर आते हैं. जिसमें मेमोरी लॉस, अल्टर्ड मेंटल स्टेट्स भी शामिल है. बहुत गंभीर केसेस में मरीज अपनी सुध बुध खो सकता है. उसे मायो कार्डियल इनफ्रेक्शन हो सकता है. ये गैस मौत का कारण भी बन सकती है. बच्चों, प्रेग्नेंट महिलाओं और हार्ट या लंग की किसी समस्या से जूझ रहे मरीजों के इस गैस के संपर्क में आने के नतीजे खतरनाक हो सकते हैं.
डायग्नोसिस
इस गैस के प्रभाव नजर आने के कोई स्पेसिफिक लक्षण नहीं है. इसलिए ये डायग्नोज करना मुश्किल होता है कि पीड़ित कार्बन मोनोऑक्साइड गैस के संपर्क में ही आया है. आमतौर पर इसका पता लगाने के लिए हेल्थ एक्सपर्ट्स ब्लड में carboxyhemoglobin (COHb) के लेवल का टेस्ट करते हैं. इसके अलावा आट्रियल ब्लड गैस एनालिसिस या कार्बन मोनोऑक्साइड ऑक्सीमीट्री टेस्ट भी इस केस में किया जा सकता है.
ट्रीटमेंट
सबसे शुरुआती ट्रीटमेंट के तहत कोशिश की जाती है कि शरीर में ऑक्सीजन वापस रीस्टोर की जा सके और पेशेंट के शरीर से कार्बन मोनोऑक्साइड हटाई जा सके. इसके लिए मरीज को non-rebreather mask दिया जाता है. जिससे ऑक्सीजन का लेवल काफी हद तक मेंटेन हो जाता है. अगर पॉइजनिंग सीरियल से है और न्यूरोलॉजिकल लक्षण नजर आने लगे हैं तो मरीज को hyperbaric oxygen (HBO) थेरेपी देने की जरूरत भी पड़ सकती है.
कॉम्प्लीकेशन्स
अगर इलाज मिलने में देरी हो जाए और असर पीड़ित के दिमाग तक पहुं जाए तो कॉग्निटिव डिसफंक्शन, मूड चेंज, मेमोरी लॉस, मूवमेंट डिसऑर्डर की शिकायत भी हो सकती है. इसके अलावा कुछ कार्डियक कॉम्प्लिकेशन्स भी हो सकते हैं.
प्रिवेंशन
हवा में कार्बन मोनोऑक्साइड घुली है या नहीं, ये जानने के लिए घर और ऑफिसेस में कार्बन मोनोऑक्साइड डिटेक्टर्स लगाने चाहिए. फ्यूल बर्निंग अप्लाइनेंस को मेंटेन करना चाहिए. लोगों में इसके प्रति जागरूकता लाना भी जरूरी है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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