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देशहित में लेंगे एक्शन... ट्रंप के 50% टैरिफ पर भारत सरकार का दो टूक जवाब

विदेश मंत्रालय की तरफ से एक बयान जारी किया गया है और कहा है कि हाल के दिनों में अमेरिका ने रूस से भारत के तेल आयात को निशाना बनाया है. 

देशहित में लेंगे एक्शन... ट्रंप के 50% टैरिफ पर भारत सरकार का दो टूक जवाब
नई दिल्‍ली:

भारत की तरफ से अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के 25 प्रतिशत एडीशनल टैरिफ वाले फैसले पर पहली प्रतिक्रिया दी गई है. भारत ने साफ-साफ कहा है कि उसने अपने स्थिति पहले ही स्‍पष्‍ट कर दी थी. भारत ने ट्रंप के फैसले को 'दुर्भाग्‍यपूर्ण' करार दिया है. 

क्‍या कहा भारत ने 

विदेश मंत्रालय की तरफ से एक बयान जारी किया गया है. इसमें कहा गया है- 

  1.  हाल के दिनों में अमेरिका ने रूस से भारत के तेल आयात को निशाना बनाया है. 
  2.  हमने इन मुद्दों पर अपनी स्थिति पहले ही स्पष्ट कर दी है, जिसमें यह तथ्य भी शामिल है कि हमारे आयात बाजार के कारकों पर आधारित हैं और भारत के 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के समग्र उद्देश्य से किए जाते हैं. 
  3. इसलिए, यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि अमेरिका ने भारत पर उन कार्यों के लिए अतिरिक्त शुल्क लगाने का विकल्प चुना है जो कई अन्य देश भी अपने राष्ट्रीय हित में कर रहे हैं. 
  4. हम दोहराते हैं कि ये कार्य अनुचित, अनुचित और अविवेकपूर्ण हैं. 
  5. भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी जरूरी एक्‍शन लेगा. 

पहले भी भारत ने दिया जवाब 

इससे पहले सोमवार को भी भारत ने अमेरिकी राष्‍ट्रपति ट्रंप को करारा जवाब दिया था. विदेश मंत्रालय ने तब कहा था कि अमेरिका और यूरोपियन यूनियन (ईयू) रूस से तेल आयात करने पर भारत को निशाना बनाते आए हैं. यह जवाब ट्रंप की उस नई धमकी के बाद दिया गया था जिसमें उन्‍होंने कहा है कि भारत को हर हाल में टैरिफ अदा करना होगा. भारत की तरफ से जो जवाब दिया गया था, उसमें कहा गया था कि रूस से तेल खरीदना शुरू किया था क्‍योंकि यूक्रेन संघर्ष के बाद पारंपरिक सप्‍लाई को यूरोप की तरफ मोड़ दिया गया था. उस समय अमेरिका ने ग्‍लोबल एनर्जी मार्केट की स्थिरता को मजबूत करने के लिए भारत के इस तरह के आयात को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया था.

भारत के स्‍पष्‍ट कहा था कि आयात का मकसद भारतीय उपभोक्ताओं के लिए अनुमानित और किफायती ऊर्जा लागत सुनिश्चित करना है. ग्‍लोबल मार्केट की स्थिति के चलते यह एक अनिवार्य आवश्यकता है.  जो देश भारत की आलोचना कर रहे हैं वो खुद रूस के साथ बिजनेस कर रहे हैं. हमारे मामले के विपरीत, उनका बिजनेस कोई मजबूरी नहीं है.  

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