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हार्मोन को संतुलित कैसे करें: हार्मोन को संतुलित करने के 6 प्राकृतिक तरीके

How To Balance Hormones : कई बार खराब लाइफस्टाइल और खानपान में लापरवाही के कारण हमारे हार्मोन्स का बैलेंस बिगड़ जाता है लेकिन हार्मोन्स बैलेंस को बनाए रखने के लिए कुछ जरूरी छोटे-छोटे स्टेप्स को फॉलो करके आप अपनी हार्मोनल हेल्थ को बेहतर बना सकते हैं.

हार्मोन को संतुलित कैसे करें: हार्मोन को संतुलित करने के 6 प्राकृतिक तरीके
हार्मोन को संतुलित करने के 6 प्राकृतिक तरीके

How To Balance Hormones : हार्मोनल इम्बैलेंस आपकी हेल्थ पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है. हालांकि कुछ कारणों पर किसी का कंट्रोल नहीं होता, लेकिन डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव (Lifestyle Change) करके आप हार्मोनल बैलेंस को बेहतर कर सकते हैं. हमारा शरीर में एंडोक्राइन सिस्टम हार्मोन को सर्कुलेट करता है, जो पूरे दिन अलग-अलग कामों को अंजाम देते हैं. हार्मोन के लेवल में छोटे बदलाव भी बुरा असर डाल सकते हैं, जिसमें एक्स्ट्रा स्ट्रेस भी शामिल है. इसके लक्षण समय के साथ और भी बिगड़ सकते हैं और हार्मोनल इम्बैलेंस से पुरानी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं.
भागदौड़ भरे जीवन में खराब दिनचर्या खानपान  के कारण शरीर में हार्मोन का स्त्राव असंतुलित हो सकता है. यह आपकी फिजिकल और मेंटल हेल्थ के लिए बुरा साबित हो सकता है. ऐसे में होर्मोन को संतुलित करना बहुत जरूरी है. तो चलिए इस लेख में समझते हैं हार्मोन को सुंतलित करने के लिए किन घरेलू नुस्खों  (Gharelu Upay) को अपनाया जा सकता है.ऐसे नेचुरल तरीके जिनका सहारा लेकर महिलाएं हार्मोनल असंतुलन के लक्षणों को कम कर सकती हैं. 

प्राकृतिक रूप से हार्मोन को संतुलित कैसे करें? (How To Balance Imbalance Hormones)

1. पर्याप्त नींद लेना : 

नींद हार्मोनल बैलेंस के लिए सबसे जरूरी कारकों में से एक हो सकती है. कुछ हार्मोन का लेवल दिन भर बढ़ता और कम होता रहता है, खासकर वो नींद की क्वालिटी पर बेस्ड होते हैं. 2023 की एक स्टडी के अनुसार 100 लोगों पर रिसर्च किया गया था, जिसमें पाया गया कि नींद की कमी के कारण कोर्टिसोल, घ्रेलिन और ग्रोथ हार्मोन के लेवल में बढ़ोत्तरी हुई, जबकि लेप्टिन के लेवल में कमी देखने को मिली.

इस दौरान यह भी पाया गया कि नींद की कमी वाले प्रतिभागियों में ग्लूकोज़ के लेवल में बढ़ोतरी और इंसुलिन रेजिस्टेंस देखा गया, साथ ही रेस्टिंग मेटाबॉलिक रेट (RMR) में कमी आई. RMR वह संख्या है जो यह अनुमान लगाती है कि एक व्यक्ति डिसआर्गेनाइज्ड अवस्था में कितनी कैलोरी जलाता है. इसलिए नियमित रूप से पूरी और बिना डिस्टर्बेंस के नींद लेना शरीर के हार्मोनल लेवल को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है.

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2. रात में बहुत ज्यादा रोशनी से बचना : 

मोबाइल फोन और कंप्यूटर स्क्रीन जैसी डिवाइस से ब्लू लाइट का कॉन्टैक्ट आपके स्लीपिंग सर्कल को डिस्टर्ब कर सकता है. हमारी बॉडी ब्लू लाइट को डे लाइट की तरह रिस्पॉन्ड करती है और हार्मोन को उसके अनुसार एडजस्ट करती है.

2015 की एक रिसर्च रिव्यू के अनुसार, रात में किसी भी प्रकार की तेज आर्टिफिशियल लाइट के संपर्क में आने से बॉडी कन्फ्यूज हो सकती है, जिससे मेलाटोनिन हार्मोन का प्रेशर बढ़ सकता है और कई कामों पर बुरा असर डाल सकता है. आर्टिफिशियल लाइट से बचने से हार्मोनल लेवल को कंट्रोल करने और नैचुरल सर्कैडियन रिदम को रिस्टोर करने में मदद मिल सकती है.

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3. स्ट्रेस से बनाएं दूरी : 

2017 के एक रिव्यू रिपोर्ट में स्ट्रेस, एंडोक्राइन सिस्टम और हार्मोनल लेवल के बीच एक बॉन्ड पाया गया है. रिसर्चर्स का मानना है कि यह बॉन्ड बहुत मजबूत है और यहां तक कि कम स्ट्रेस का लेवल भी एंडोक्राइन रिस्पॉन्स का कारण बन सकता है. स्ट्रेस के कारण एड्रेनलिन और कोर्टिसोल के लेवल में बढ़ोत्तरी होती है.

अगर इन हार्मोन के लेवल बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं, तो यह पूरे हार्मोनल बैलेंस को इंट्रप्ट कर सकता है और मोटापा, मूड स्विंग और यहां तक कि दिल से जुड़ी समस्याओं का कारण भी बन सकता है. इसलिए, यह जरूरी है कि हम स्ट्रेस को कम करने के उपाय ढूंढ़ें. 2022 की एक रिव्यू रिपोर्ट के अनुसार, कुछ रिस्रच यह बताते हैं कि म्यूसिक सुनने से स्ट्रेस कम होता है, लेकिन इस संबंध में कनक्लूसिव कन्क्लूजन पर पहुंचने से पहले और ज्यादा रिसर्च की जरूरत है.

4. एक्सरसाइज करना : 

नियमित व्यायाम के हार्मोनल इफेक्ट ओवरईटिंग को रोकने में मदद मिल सकती है. 2023 की एक रिव्यू रिपोर्ट में पाया गया कि शारीरिक व्यायाम बिंज ईटिंग डिसऑर्डर (ज्यादा खाने की समस्या) के सिम्पटम्स को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है. हालांकि, राइटर्स ने यह भी कहा कि इस पर और अधिक रिसर्च करने की जरूरत है.

2017 की एक रिव्यू रिपोर्ट के अनुसार, रैग्युलर फिजिकल एक्टिविटी इंसुलिन रेसिस्टेंस, मेटाबोलिक सिंड्रोम और टाइप 2 डायबिटीज़ के रिस्क को कम करती है.

5. शुगर से बनाएं दूरी : 

2022 की एक रिव्यू रिपोर्ट इस बात का सपोर्ट करती है कि लंबे समय तक अधिक मात्रा में शुगर वाले खाद्य पदार्थों का सेवन मेटाबोलिक बीमारियों और इंसुलिन रेसिस्टेंस जैसी समस्याओं को बढ़ा सकता है. डाइट में एक्स्ट्रा शुगर को सीमित करना कुछ हार्मोन्स जैसे इंसुलिन के लेवल को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है.

6. फाइबर का ज्यादा सेवन करें : 

फाइबर गट हेल्थ अहम भूमिका निभा सकता है और इंसुलिन जैसे हार्मोन को रेगुलेट करने में मदद कर सकता है. साल 2014 में 22 प्रतिभागियों के साथ एक छोटी सी स्टडी के नतीजे बताते हैं कि कुछ प्रकार के फाइबर दूसरे हार्मोन के लेवल को बैलेंस करने के लिए भी काम करते हैं, जिससे लोगों को अपना वजन मेंटेन करने में मदद मिल सकती है.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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