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This Article is From Jul 05, 2018

ओरल सेक्‍स से होता है इन STD का खतरा... भुगतने पड़ सकते हैं गंभीर परिणाम

ओरल सेक्स से फैलने वाले एसटीडी को रोकने का एकमात्र तरीका यौन संबंधों के दौरान कॉन्‍डोम का उपयोग करना है.

ओरल सेक्‍स से होता है इन STD का खतरा... भुगतने पड़ सकते हैं गंभीर परिणाम

यौन संचारित बीमारियां (एसटीडी) ओरल सेक्स के जरिए भी फैल सकती हैं. वास्तव में, इसे गुप्‍त रोग भी कहा जा सकता है. ओरल सेक्‍स के दौरान जब मुंह, जीभ या होंठ का उपयोग किया जाता है तो एसटीडी संक्रमण होने का खतरा पैदा हो सकता है. ओरल सेक्स से फैलने वाले एसटीडी को रोकने का एकमात्र तरीका यौन संबंधों के दौरान कॉन्‍डोम का उपयोग करना है. आइए आपको बताते हैं ओरल सेक्स के माध्यम से होने वाले एसटीडी के कारणों और लक्षणों के बारे में:

1. क्लैमाइडिया
क्लैमिडिया गले, जननांगों और मूत्राशय को प्रभावित करता है. यह एक एसटीडी रोग है जो ओरल सेक्स के माध्यम से फैलता है. गले में खराश के अलावा क्लैमिडिया के कोई और लक्षण नहीं मिलते. 

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2. ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी)
यह संक्रमण ओरल और योनि सेक्स दोनों के माध्यम से फैल सकता है. यह गले, जननांग, गर्भाशय और मुंह को प्रभावित करता है. कभी-कभी, एचपीवी संक्रमण के कोई लक्षण नहीं दिखते, लेकिन इसके सामान्य लक्षणों में सांस लेने में दिक्‍कत, बात करने में कठिनाई और गले में खराश शामिल है. एचपीवी गर्दन या सिर के कैंसर का कारण बन सकता है. एचपीवी का इलाज नहीं होता है. 

3. गोनोरिया
यह एसटीआई ओरल सेक्स के माध्यम से फैल सकता है, लेकिन आमतौर पर यह योनि को संक्रामित करता है. क्लैमिडिया की तरह यह गले, जननांगों और मूत्राशय को प्रभावित करता है. इस बीमारी का इलाज एंटीबायोटिक्स की मदद से किया जा सकता है.

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4. हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस (एचएसवी)
ओरल सेक्‍स के जरिए एचएसवी-2 फैल सकता है, जिससे हर्पीस एसोफगितीस होता है. इसके लक्षणों में बुखार, ठंड लगना, मुंह में घाव होना, निगलने में मुश्किल होना शामिल है. यह संक्रमण उम्रभर बिना लक्षण दिखाए आपके शरीर में रह सकता है.

5. सिफलिस
सिफलिस आम एसटीडी नहीं है. यह आमतौर पर चरणों में होता है. इसकी पहली स्‍टेज में गले और मूंह में घाव हो जाते हैं. बुखार, स्किन पर चकत्ते और लिम्फ नोड होना इसकी दूसरी स्‍टेज है. इस इंफेक्‍शन की लास्‍ट स्‍टेज कोई लक्षण नहीं दिखाती. इस चरण के दौरान आंखें, मस्तिष्क, नसों, रक्त वाहिकाओं, जोड़ों, लीवर और हड्डियां प्रभावित होती हैं. सिफिलिस शरीर के कई अंगों के खराब हो जाने का कारण हो सकता है. यह गर्भावस्था के दौरान गर्भ में फैल सकता है और बच्चे के लिए गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकता है. सिफिलिस का एंटीबायोटिक्स के जरिए इलाज किया जा सकता है.

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6. मानव इम्यूनोडेफिशियेंसी वायरस (एचआईवी)
ओरल सेक्‍स के जरिए एचआईवी फैलने की संभावना बेहद कम है. एचआईवी एक असामान्‍य बीमारी है. आपके शरीर में लम्‍बे समय तक इसके कोई लक्षण नहीं दिखाते. इसके शुरुआती लक्षण फ्लू के जैसे ही होते हैं. एचआईवी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन एचआईवी रोगी उचित दवा और उपचार की मदद से लंबे समय तक जीवित रह सकते हैं.

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