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आलस का असर! आपको बीमार और बहुत बीमार बना सकता है सेडेंटरी लाइफस्टाइल, नहीं जानते तो पढ़ें WHO की यह जरूरी बात

Benefits of Physical Activities: सुस्त जीवनशैली की वजह से बीमारियों का खतरा काफी गुना बढ़ जाता है. शरीर और दिमाग दोनों को दुरूस्त रखने के लिए फिजिकली एक्टिव रहना बेहद जरूरी है

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आलस का असर! आपको बीमार और बहुत बीमार बना सकता है सेडेंटरी लाइफस्टाइल, नहीं जानते तो पढ़ें WHO की यह जरूरी बात
रहें फिजिकली एक्टिव नहीं तो हो सकती है ये बीमारियां

Benefits of Physical Activities: शरीर के साथ-साथ दिमाग को भी हेल्दी रखने के लिए शारीरिक गतिविधियां काफी महत्वपूर्ण है. बच्चों से लेकर व्यसकों तक सभी के लिए फिजिकली एक्टिव रहना बेहद जरूरी है. शारीरिक रूप से एक्टिव रहने पर जहां एक तरफ दिल से लेकर डायबिटीज और कैंसर तक के खतरे को कम करने में मदद मिलती है तो वहीं, दूसरी तरफ सुस्त जीवनशैली की वजह से काफी बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. 

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर फिजिकल इनएक्टिविटी की वजह से हेल्थ केयर पर 2020 से 2030 के बीच 300 अमेरिकी बिलियन डॉलर का अतिरिक्त भार पड़ेगा. इसे कम करने के लिए ऑर्गेनाइजेशन ने किशोरों और व्यस्कों में फिजिकल इनएक्टिविटी को 2025 तक 10 प्रतिशत और 2030 तक 15 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य रखा है. बच्चों और किशोरों में शारीरिक गतिविधियां बोन हेल्थ के अलावा मोटर और मानसिक विकास को प्रमोट करती है. फिजिकली एक्टिव बच्चों का मानसिक विकास और ओवरऑल हेल्थ बेहतर रहता है.

फिजिकल एक्टिविटी के फायदे (Benefits of Physical Activities) 

शारीरिक गतिविधियां बच्चों और किशोरों के साथ-साथ व्यस्कों के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है. इससे बच्चों के मानसिक विकास के साथ-साथ हड्डियों को भी मजबूती मिलती है. वहीं व्यसकों में नॉन कम्युनिकेबल डिजीज की वजह से होने वाले मौत के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है. हाइपरटेंशन, टाइप-2 डायबिटीज और बॉडी फैट को कम करने में मदद मिलती है और स्लीप क्वालिटी भी इंप्रूव किया जा सकता है.

सेडेंटरी लाइफस्टाइल से खतरा (Danger from a sedentary lifestyle)

सेडेंटरी लाइफस्टाइल से कई बीमारियों का खतरा काफी गुना बढ़ जाता है. मौजूदा दौर के कॉर्पोरेट जीवन में सुस्त जीवनशैली को काफी बढ़ावा मिला है. लोग घंटों तक कंप्यूटर के सामने बैठे रहते हैं जिससे लंबे अवधि तक शरीर स्थिल रहता है. स्टडीज के मुताबिक, सेडेंटरी लाइफस्टाइल की वजह से बच्चों और किशोरों में मोटापा बढ़ गया है और नींद की अवधि कम हो गई है. व्यसकों में इस वजह से हृदय रोग, कैंसर और टाइप-2 डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा काफी बढ़ गया है.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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