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डॉक्टर ने बताया हर टाइम रील स्क्रॉल करने से ब्रेन पर पड़ता है ये बुरा असर, जानिए किस तरह से दिमाग को पहुंचता है नुकसान

शॉर्ट वीडियो और इंस्टाग्राम रील्स बहुत ही इंटरेस्टिंग होते हैं, जिन्हें आज हम से ज्यादातर लोग देखते हैं, लेकिन क्या आपे कभी सोचा है कि दिमाग पर रील स्क्रॉलिंग करने का क्या असर होता है. आइए इस बारे में जानते हैं.

डॉक्टर ने बताया हर टाइम रील स्क्रॉल करने से ब्रेन पर पड़ता है ये बुरा असर, जानिए किस तरह से दिमाग को पहुंचता है नुकसान
Reel स्क्रॉलिंग से होते हैं ये नुकसान, जान रह जाएंगे हैरान.

हम में से ज्यादातर लोग शॉर्ट वीडियो और इंस्टाग्राम रील्स देखते ही है, जो काफी इंटरेस्टिंग होते हैं. वहीं एक रील देखने के बाद, एक के बाद एक रील देखने का मन करता है और पता ही नहीं चलता है, कि घंटों कब बीत जाते हैं. हाल के दिनों में, सोशल मीडिया ऐप्स में इस तरह के शॉर्ट वीडियो फॉर्मेट ने पूरी तरह से अपना दबदबा बना लिया है. लोग दिन भर अपने फोन को स्क्रॉल करते हैं, एक के बाद एक रील देखते हैं. लोग इतनी ज्यादा वीडियो देखते हैं कि उन्हें आज इसकी लत लग चुकी है. आज कोई भी शख्स बिना फोन के नहीं रह सकता है और एक चीज पर फोकस नहीं कर सकता है, उसका ध्यान बार- बार फोन की तरफ जाता है और फिर घंटों रील्स देखना शुरू कर देता है. आइए ऐसे में जानते हैं घंटों तक रील्स देखने का असर कितना दिमाग पर पड़ता है?

दिमाग पर रील स्क्रॉलिंग का क्या असर होता है, इस बात को जानने के लिए ब्रेन रिसर्चर से बात की गई गई, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे रील स्क्रालिंग हमारे दिमाग पर असर डालती है.

हम सब जानते हैं कि, आज हमारे फोन में ध्यान भटकाने वाली इतनी चीजें हैं, जो कभी खत्म ही नहीं होती है. वहीं अगर हमारा दिमाग इन्हें रोकना चाहता है, तब भी इसका कोई अंत नहीं होता है. ऐसे में इसका सबसे ज्यादा फायदा सोशल मीडिया उठाता है.

 ब्रेन रिसर्चर ने बताया, कि जब भी हम सोशल मीडिया ऐप्स पर इन वीडियो को देखते हैं, तो थोड़ी देर तक तो मजा आता है, लेकिन इसके बाद हम तुरंत अगली वीडियो पर चले जाते हैं और पहले वाली वीडियो को अच्छे से एंजॉय नहीं कर पाते हैं. जैसे किसी फिल्म को एंजॉय करते हैं.

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क्या फोकस पर पड़ता है असर

रिसर्च के अनुसार, बहुत अधिक इंफॉर्मेशन होने के कारण ध्यान (Attention), याददाश्त (Memory) और धैर्य (Patience) पर बुरा असर पड़ता है. इसी के साथ अगर ॉ बच्चे भी ऐसी वीडियो देख रहे हैं, तो उन पर भी इस बात का काफी असर पड़ता है.

उन्होंने कहा, किसी भी बच्चे के दिमाग के लिए इससे बुरा कुछ और नहीं हो सकता है, कि उसे किसी स्क्रीन के सामने बैठा दिया जाएं. आज ज्यादातर बच्चे स्क्रीन देख रहे है और डिजिटल डिवाइस का इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसे में ये डिजिटल डिवाइस बच्चों को खुद से सोचने नहीं दे रहे हैं. वहीं उनके सोचने की स्पीड वीडियो पर निर्भर करती है. ऐसे में जो वीडियो में होता है, वह उसी के आधार पर सोच पाते हैं. मुझे देखकर अच्छा लगता है कि जो देश 'PISA TEST' में अच्छा कर रहे हैं, वहां स्कूलों में प्राइवेट फोन बैन है या किए जा रहे हैं. क्योंकि नजदीक से देखें, तो स्कूल में फोन रखने का क्या फायदा है? मुझे तो एक भी वजह नहीं दिखाई देती है, बल्कि बच्चों का नुकसान इसमें बहुत ज्यादा है.

वहीं उन्होंने कहा, अगर मान लिया जाए, कि हमारा मस्तिष्क 20 साल की उम्र तक मैच्योर हो जाता है, जिसके बाद वह सही और गलत चीजों का पता लगा सकता है, तो कुदरती रूप से नामुमकीन है, कि बच्चे या टीनेजर, जो फोन और स्क्रीन का इस्तेमाल कर रहे हैं, वो सही से मस्तिष्क का इस्तेमाल कर सकें.

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लोग नहीं जान पाते कितनी देर चलाना है फोन

जब भी हम फोन चलाना शुरू करते हैं और शॉर्ट वीडियो, रील वगैरह देखना शुरू करते हैं, तो उसके बाद ये नहीं जान पाते, कि हमें कितनी देर तक फोन को चलाना चाहिए. यहां तक फोन चलाने के दौरान लोग इस बात का ध्यान नहीं दे पाते हैं कि फोन कितनी दर चलाया है. ऐसे में ब्रेन रिसर्चर ने बताया, 'ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि वीडियो देखते हुए जानकारी प्रोसेस करने वाले दिमाग के हिस्से खुद को मॉनिटर नहीं कर पाते हैं. यानी हमें एहसास नहीं हो पाता है, कि हम कितनी देर से फोन देख रहे हैं और कंट्रोल खो देते हैं.

सोशल मीडिया कंपनियां उठा रही है फायदा

आज हर कोई शॉर्ट वीडियो और रील्स देखना पसंद करता है. सुबह उठने के साथ और रात को सोते समय हर कोई फोन में लगा रहता है. यहां तक की आज फोन देखते हुए डिनर, लंच या ब्रेकफास्ट करना आम हो गया है. ऐसे में सोशल मीडिया कंपनियां लोगों की इस लत का काफी फायदा उठा रही है और शॉर्ट वीडियो, रील्स के नए- नए फीचर लॉन्च कर रही है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग अट्रैक्ट हो सके.

ब्रेन रिसर्चर ने बताया, कि अगर मुझे ऐप पर कुछ और क्लिक करना हो, इसके बाद मेरा दिमाग कुछ और कर सकता है, लेकिन अगर मुझे बार- बार तीन चीजें करनी पड़े, तो मेरा दिमाग इन तीन चीजों वाला पैटर्न अपना लेगा, जिसके बाद मेरा ध्यान भटक जाएगा और मैं एक के बाद एक चीजें सर्च करने लग जाऊंगा. 

क्या काम की वीडियो देखने से दिमाग पर असर नहीं पड़ता?

सोशल मीडिया ऐप्स पर दुनिया भर की कई वीडियो दिखाई जाती है,  जिसमें कुछ फनी हो तो कुछ बेफिजूल की. वहीं कुछ ऐसी वीडियो भी होती है,  जो काम की होती है. ऐसे में सोचने वाली बात ये है कि "क्या काम की वीडियो देखने से दिमाग पर असर नहीं पड़ता?" इस बात का जवाब 'Professional Rope Skipper' ने दिया है. जो सोशल मीडिया के लिए कॉन्टेंट बनाती हैं. उन्होंने कहा- मैं पिछले  5 सालों से सोशल मीडिया पर सब के लिए कॉन्टेंट बना रही हूं, जिसमें मैं लोगों को मोटिवेट करती हूं और नए ट्रिक्स बताती हूं. इसी के साथ मैं खुद भी सोशल मीडिया पर काफी समय बिताती हूं, ताकि देख सकूं कि इस समय सबसे ज्यादा क्या ट्रेडिंग है. सोशल मीडिया पर  वीडियो के लिए एल्गोरिदम और प्लेटफॉर्म तेजी से बदलते हैं और यूजर पहले भी ज्यादा कॉन्टेंट की मांग करते हैं. ऐसे में हम सभी वीडियो बनाने में लगे हुए हैं. ये मुश्किल है, लेकिन मजेदार भी है.

उन्होंने कहा, अगर आप सोशल मीडिया पर काम की वीडियो देखने के लिए आएं है, तो उसे ही देखें और इधर- उधर न भटके. अनुशासन बनाना जरूरी है. ऐसे में आपको पता होना चाहिए कि आप सोशल मीडिया का क्यों इस्तेमाल कर रहे हैं. अगर आप इस चीज को लेकर क्लियर रहेंगे, तो आप सोशल मीडिया पर कम समय बिताने में सक्षम होंगे और आपको ध्यान भी नहीं भटकेगा. उन्होंने कहा सोशल मीडिया काम का भी हो सकता है और समय की बर्बादी भी कर सकता है, ऐसे में व्यक्ति को तय करना है कि वह क्या चाहता है.

जान लें जरूरत से ज्यादा रील्स देखने के क्या हैं नुकसान

- रिसर्च के अनुसार, जितने ज्यादा लोग शॉर्ट वीडियो या रील्स देखते हैं, उतना ही उन्हें किसी चीज पर फोकस करने में परेशानी होती है. ऐसे लोगों को नींद ढंग से नहीं आती है. वे अनिद्रा यानी इनसोम्निया (Insomnia) से जूझते हैं.

- शॉर्ट वीडियो या रील्स की लत लगने वाले लोग अक्सर नकारात्मक सोच रखते हैं.

- किसी वीडियो का क्लिप मजेदार हो सकता है, लेकिन ये एड्रेनालाईन (Adrenaline) को बढ़ा देता है. हो सकता है कि आपको इसका एहसास न हो, लेकिन जब आप सोने की कोशिश करते हैं, तो आपका दिमाग तब भी एक्टिव रहता है.

- जो लोग ज्यादा वीडियो देखते हैं, वो थके हुए, चिड़चिड़े रहते हैं.  

- वहीं लगातार नींद की कमी से याददाश्त की समस्या, कम ऊर्जा और यहां तक कि टेंशन भी होती है. दरअसल में, रात में रील आपके दिमाग के लिए कैफीन की तरह होती है, जिसके बाद चैन की नींद लेना काफी मुश्किल हो जाता है.

भावनाओं पर असर डालती है रील्स

सोशल मीडिया पर दिखाई दी जाने वाली रील्स आपकी भावनाओं के लिए ठीक नहीं है. एक मिनट, आप एक पिल्ला बचाव देख रहे हैं. अगले ही पल आप किसी घोटाले के बारे में देख रहे हैं, जिसे देखकर आपको गुस्सा आ रहा है. फिर अगला वीडियो खाना पकाने का आ जाता है. ऐसे में इन सभी वीडियो को देखकर भावनात्मक उतार-चढ़ाव आपके मस्तिष्क के अमिग्डाला (Amygdala) पर प्रभाव डालता, जिसके कारण आप भावनाओं पर से कंट्रोल खोना शुरू कर सकते हैं.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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