विज्ञापन

प्रियंगु रखेगा सेहत का पूरा ख्याल, स्किन और पेट की बीमारियों में बहुत फायदेमंद

Priyangu Health Benefits: प्रियंगु का वैज्ञानिक नाम कैलिकारपा मैक्रोफिला वाहल है. अंग्रेजी में इसे सुगंधित चेरी या ब्यूटी बेरी कहा जाता है. भारत की कई भाषाओं में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है.

प्रियंगु रखेगा सेहत का पूरा ख्याल, स्किन और पेट की बीमारियों में बहुत फायदेमंद
Priyangu Health Benefits: ये वात, पित्त और कफ दोषों को संतुलित करने के लिए उपयोगी माना गया है.

Priyangu Health Benefits: आयुर्वेद में कई पौधे अपने औषधीय गुणों के लिए जाने जाते हैं. इनमें से एक है प्रियंगु, जिसे हिंदी में बिरमोली या धयिया भी कहते हैं. यह पौधा गुणों से भरपूर होता है और इसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं. ये वात, पित्त और कफ दोषों को संतुलित करने के लिए उपयोगी माना गया है. प्रियंगु का वैज्ञानिक नाम कैलिकारपा मैक्रोफिला वाहल है. अंग्रेजी में इसे सुगंधित चेरी या ब्यूटी बेरी कहा जाता है. भारत की कई भाषाओं में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है. हिंदी में बिरमोली, धयिया के नाम से बंगाली में मथारा के नाम से, मराठी में गहुला के नाम से, तमिल में नललु के नाम से, मलयालम में चिमपोपिल के नाम से, गुजराती में घंऊला के नाम से और नेपाली में इसे दयालो के नाम से जाना जाता है.

यह भी पढ़ें: अगर आप भी बार-बार करते हैं ये 5 काम, तो लिवर जल्दी हो जाएगा खराब, कही आपकी तो नहीं ये आदतें

प्रियंगु के कमाल के स्वास्थ्य लाभ

आयुर्वेद के मुताबिक प्रियंगु का उपयोग पेट दर्द, दस्त, पेचिश और यूटीआई के इलाज में किया जाता है. यह त्वचा के रोगों जैसे कि खुजली, लालपन और फोड़े-फुंसियों में भी लाभकारी है. प्रियंगु किन-किन बीमारियों के लिए औषधि के रूप में काम करता है इसके बारे में जानने के लिए सबसे पहले औषधीय गुणों के बारे में विस्तार से जानते हैं.

चरक संहिता के मुताबिक प्रियंगु वातपित्त से आराम दिलाने वाला, चेहरे की त्वचा की रंगत को निखारने में मददगार, घाव को जल्दी ठीक करने में मदद करता है. दांतों की बीमारियों के इलाज में भी प्रियंगु का उपयोग अत्यंत लाभकारी है. प्रियुंग,त्रिफला और नागरमोथा को मिलाकर तैयार किए गए चूर्ण को दांतों पर रगड़ने से शीताद (मसूड़ों से जुड़ा रोग) में राहत मिलती है.

यह भी पढ़ें: बाल झड़ रहे हैं लगातार, तो किचन में मौजूद ये 3 चीजें करेंगी कमाल, जान लीजिए इस्तेमाल करने का तरीका

खानपान में असंतुलन के कारण होने वाले रक्तातिसार (Dysentery) और पित्त अतिसार में शल्लकी, तिनिश, सेमल, प्लक्ष छाल तथा प्रियंगु के चूर्ण को मधु और दूध के साथ सेवन करने से लाभ होता है. इसके अलावा प्रियंगु के फूल और फल का चूर्ण अजीर्ण, दस्त, पेट दर्द और पेचिश में भी कारगर होता है.

आयुर्वेद के अनुसार प्रियंगु के पत्ते, फूल, फल और जड़ सबसे ज्याा औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं. किसी भी रोग की स्थिति में इसका प्रयोग करने से पूर्व आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए.

Watch Video: वजन कम करने का सही तरीका, उम्र के हिसाब से कितना होना चाहिए, डॉक्टर से जानें

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com