Infertility: क्या है इनफर्टिलिटी के कारण, क्या लाइफस्टाइट कराता है प्रभावित, एक्सपर्ट से जानें

इनफर्टिलिटी जिसे हिंदी में बांझपन कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है, जो महिला में गर्भावस्था को पूर्ण अवधि तक ले जाने में असमर्थ है. आम तौर पर, दुनिया भर में यह अनुमान लगाया जाता है कि सात जोड़ों में से एक को गर्भधारण करने में समस्या होती है, दुनियाभर के स्वतंत्र अधिकांश देशों में भी यह समान समस्या हैं

Infertility: क्या है इनफर्टिलिटी के कारण, क्या लाइफस्टाइट कराता है प्रभावित, एक्सपर्ट से जानें

इनफर्टिलिटी जिसे हिंदी में बांझपन कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है, जो महिला में गर्भावस्था को पूर्ण अवधि तक ले जाने में असमर्थ है. आम तौर पर, दुनिया भर में यह अनुमान लगाया जाता है कि सात जोड़ों में से एक को गर्भधारण करने में समस्या होती है, दुनियाभर के स्वतंत्र अधिकांश देशों में भी यह समान समस्या हैं. बांझपन की वैश्विक घटना लगभग 13-17% है. भारत में बांझपन के मामले 10 से 20% के बीच हैं. बांझपन एक व्यक्ति की गर्भावस्था में योगदान करने की शारीरिक अक्षमता को संदर्भित करता है. अगर  महिला की आयु 34 साल से कम है और दम्पति 12 महीने तक गर्भनिरोधक मुक्त यौन संबंध बनाने के बाद भी गर्भवती नहीं हो रहीं है, या फिर महिला की आयु 35 साल से ज्यादा है, मगर इसके बावजूद 6 महीने तक बिना गर्भनिरोधक के यौन संबंध बनाने के बाद भी गर्भवती नही हो सकती है. (उम्र के कारण अंडे की गुणवत्ता में कमी आती है, बढती उम्र विसंगती का कारण बनते है, तब चिकित्सकीय जाच जरूरी है.)

भारत में, हालांकी जनसंख्या वृद्धी एक बडी चिंता का कारण है, मगर बांझ जोडों की तादाद भी बढती जा रहीं है. जिसके कारण, बांझपन प्रजनन स्वास्थ से संबंधित महत्वपूर्ण राष्ट्रीय समस्या माना जाता है.

बांझपन स्थिती के लिए आमतौर पर पुरुष और महिला दोनों का समान योगदान होता है. बांझपन के कई जैविक कारण हैं. उनमें से कुछ को चिकित्सकीय हस्तक्षेप से ठीक किया जा सकता है. बांझपन के अधिकांश मामले आनुवंशिक होते हैं, जिसे रोका नहीं जा सकता है. लेकिन यह संभव है कि हम अपनी रोजाना जीवन शैली में कुछ बदलाव करके बांझपन के कुछ संभावित रूपों को रोक सकते हैं. हम जिस वातावरण में रहते हैं, उसका हमारी जीवनशैली में और हमारी संभावित प्रजनन क्षमता पर बड़ा प्रभाव पड़ता है.

समय के साथ, बांझपन एक चिकित्सा समस्या से ज्यादा जीवनशैली की समस्या बन गई है.

बांझपन रोकने के लिए यह जानना जरूरी है कि, किस के प्रजनन क्षमता मे क्या समस्याए है और ऊस संभावित समस्याओं से बचने के लिए उपाय करना सबसे अच्छा तरीका है.

1. सबसे पहले, धूम्रपान और शराब पीने जैसी कुछ आदतें प्रजनन क्षमता पर हानिकारक प्रभाव डाल सकती हैं. धूम्रपान को पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या कमी और शुक्राणुओं की सुस्त गति और महिलाओं में गर्भपात में वृद्धि से जोड़ा गया है. शराब प्राकृतिक रूप से और चिकित्सकीय उपचार के माध्यम से गर्भ धारण करने की कोशिश कर रहे पुरुषों और महिलाओं दोनों की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती है. शराब शुक्राणु के लिए विषाक्त है. यह शुक्राणुओं की संख्या को कम करता है, और यौन कार्य में बाधा डाल सकता है, हार्मोन संतुलन को बाधित कर के गर्भपात के जोखिम को बढ़ा सकता है.

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2. कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और फाइबर युक्त संतुलित आहार का सेवन करना चाहिए. पशुओं के मांस की जगह प्रोटीन युक्त सब्जियों को आहार में शामिल करना चाहिए, जो फाइबर और आयरन से भरपूर होती है. कार्बोहाइड्रेट से कम ट्रांस फैट और शुगर युक्त पदार्थ, ज्यादा हायफेन्ट डेअरी प्रॉडक्ट्स और कम चरबीयुक्त डेअरी प्रोडक्ट्स के साथ मल्टीविटामिन लेने से महिलाओं में बांझपन का खतरा कम हो जाता है. 

3. असंतुलित आहार से विटामिन सी, फोलेट, सेलेनियम या जिंक की कमी के कारण बांझपन का खतरा बढ़ जाता है. सभी महिलाओं में, फोलिक एसिड का सेवन (जो हरी पत्तेदार सब्जियों, फलों, अनाजो में मौजूद होता है और पूरक रूप में भी उपलब्ध होता है) को गर्भावस्था के तीन महीनों के दौरान और स्पाइना बिफिडा नामक न्यूरल ट्यूब विकारों के जोखिम को कम करने के लिए बढ़ाया जाना चाहिए.

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4. शारीरिक गतिविधि और मध्यम मात्रा मे किया गया व्यायाम व्यक्ति की प्रजनन क्षमता को बढ़ा सकता हैं. लेकिन बहुत ज्यादा व्यायाम महिलाओं में मासिक धर्म की समस्या पैदा कर सकता है और पुरुषों में अंडकोष के आसपास की गर्मी को बढ़ा सकता है, जिससे शुक्राणु उत्पादन पर असर होता है.

5. प्रोटीनयुक्त आहार और लगातार व्यायाम के माध्यम से सेहत बनाए रखना चाहिए. हार्मोन असंतुलन की संभावना को कम करने के लिए, अपने शरीर का वजन जादा बढने नही देना चाहिए.

6. बांझपन को रोकने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है कि अपना वजन संतुलित रखे. मोटापे के कारण पुरुषों में गर्मी बढ़ जाती है और शुक्राणुओं की संख्या कम हो जाती है और महिलाओं में यह ओव्यूलेशन पर दबाव डालता है जो बांझपन का कारण होता है.

7. प्रजनन क्षमता को प्रभावित करने वाली कुछ चिकित्सीय स्थितियों के लिए हर साल रोजाना जांच करवानी चाहिए. पैल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (पीआईडी), एंडोमेट्रियोसिस और सर्वाइकल कैंसर जैसी स्थितियों का शीघ्र निदान बांझपन को रोक सकता है. इसके अलावा, यौन संचारित रोगों का पता लगाने और उपचार करने से भी किसी की प्रजनन क्षमता को सुरक्षित रखने में मदद मिल सकती है.

8. कुछ दवाइया या हर्बल उपचार (निर्धारित या ओवर-द-काउंटर) भी प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं. ऐसी दवाओं पर स्त्री रोग विशेषज्ञ से चर्चा की जानी चाहिए.

इसके अलावा, मारिजुआना और कोकीन जैसी दवाओं से बचना चाहिए, क्योंकि वे पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या में कमी और महिलाओं में बांझपन से जुड़ी होती हैं.

9. पर्यावरणीय विषाक्त पदार्थों और कीटनाशकों, सीसा, भारी धातुओं, जहरीले रसायनों और आयनकारी विकिरण जैसे खतरों से भी बचना चाहिए.

10. शहर की तेज रफ्तार जीवनशैली अपनी छाप छोड़ रही है. कामकाजी जोड़ों के बीच बांझपन बढ़ रहा है. जादा तनाव और नींद की कमी से बांझपन का खतरा बढ़ सकता है. ध्यान, योग, गहरी सांस लेना, और अन्य विश्राम तकनीकों को अपनाना जैसे प्रोग्रेसिव्ह मसल रिलॅक्सेशन से तनाव को कम करने में मदद हो सकती है.

ध्यान रखें : 
गर्भ धारण करने का प्रयास करते समय और गर्भावस्था के दौरान जब भी संभव हो,इन सभी दवाओं से दूर रहना जरूरी है.

धूम्रपान केवल आपके हृदय और श्वसन अंगों के लिए नहीं, तो बल्कि आपके प्रजनन कार्यों के लिए भी खतरनाक है. धूम्रपान या तंबाकू युक्त पदार्थों का सेवन पुरुषों में शुक्राणु उत्पादन को कम करता है और महिलाओं में डिम्बग्रंथी की गुणवत्ता को प्रभावित करता है, जिससे समय के साथ बांझपन होता है.

धूम्रपान पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन के उत्पादन को भी कम करता है, जिससे नपुंसकता होती है. महिलाओं में धूम्रपान सर्वाइकल म्यूकस में बदलाव का कारण बनता है, जो शुक्राणु को अंडे तक पहुंचने से रोकता है और बांझपन कि स्थिती पैदा करता है.

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अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.