विश्वभर में डायबिटीज के तेजी से बढ़ते मामलों का प्रमुख कारण है जीवनशैली में बदलाव और खानपान (Diabetes Diet) की गलत आदतें. हमारे देश में भी डायबिटीज के रोगियों (Diabetes Patient) की संख्या लगातार बढ़ रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार भारत में लगभग 7 करोड़ 70 लाख डायबिटीज के मरीज हैं. लोगों में बढ़ता मोटापा डायबिटीज की स्थिति को और गंभीर बना रहा है, क्योंकि डायबिटीज रोगियों में से 80 प्रतिशत मोटापे का शिकार हैं.
टाइप-2 डायबिटीज क्यों हो जाती है?
टाइप-2 डायबिटीज तब होती है, जब अग्नाशय पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का निर्माण करता है, लेकिन शरीर इस इंसुलिन का प्रभावकारी तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाता है. इंसुलिन एक हार्मोन है जो हमारी शुगर के साथ मिलकर उसे इस्तेमाल करने लायक बना देता है. रक्त में शुगर का स्तर अत्यधिक बढ़ने को हाइपरग्लाइसेमिया (Hyperglycemia) कहते हैं.
Obesity and Type 2 Diabetes: डायबिटीज रोगियों में से 80 प्रतिशत मोटापे का शिकार हैं.
टाइप-2 डायबिटीज से जुड़ी जटिलताएं
टाइप-2 डायबिटीज न सिर्फ रक्त में शुगर का स्तर बढ़ना नहीं है, यह स्वास्थ्य समस्या पूरे शरीर को प्रभावित करती है. टाइप-2 डायबिटीज माइक्रो एंजियोपैथी का कारण बन सकती है. इस स्थिति में, हमारे पूरे शरीर में जो छोटी-छोटी रक्त वाहिकाएं होती हैं, उसमें रुकावट आ जाती है. इसके कारण, खासतौर पर हमारे मस्तिष्क, किडनी, हृदय और पैरों की उंगलियों की रक्त वाहिकाएं सबसे अधिक प्रभावित होती है. इसके कारण स्ट्रोक, किडनी फेलियर, हार्ट फेलियर और पैरों को काटने का खतरा बढ़ जाता है.
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डायबिटीज क्यों होता है या रिस्क फैक्टर्स
अब सवाल उठता है कि डायबिटीज क्यों होता है. तो इसके कई कारण हो सकते हैं. यहां हम आपको बता रहे हैं कुछ कारणों के बारे में जो टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ा देते हैं.
• वज़न सामान्य से अधिक होना.
• शरीर में वसा का वितरण.
• शारीरिक सक्रियता की कमी.
• पारिवारिक इतिहास.
• बढ़ती उम्र.
• प्री-डायबिटीज़.
मोटापा और टाइप-2 डायबिटीज
कई शोधों में यह तथ्य उभरकर आया है कि मोटापा, टाइप-2 डायबिटीज का सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर है, जिन लोगों का बीएमआई 22 से अधिक है उनके लिए इस बीमारी का खतरा 80-85 प्रतिशत तक बढ़ जाता है.
क्या है टाइप-2 डायबिटीज और मोटापा का संबंध
दरअसल, मोटापे के कारण तीन स्तरों पर समस्या आती है. एक नजर इन पर. तो चलिए जानते हैं मोटापा कैसे बढ़ाता है टाइप-2 डायबिटीज का खतरा-
पहला कारण है, गलत खानपान गलत, इसीलिए मोटापा है और खानपान की गलत आदतें, टाइप-2 डायबिटीज का रिस्क फैक्टर है. दूसरा, मोटापे के कारण इंसुलिन रेजिस्टेंस विकसित होता है, इंसुलिन ऐसा हार्मोन है जो शुगर के साथ मिलकर उसके इनटैक को संभव बनाता है. टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों में इंसुलिन की कमी के कारण नहीं उसके रेजिस्टेंस के कारण समस्या आती है. एक और हार्मोन जिसे ग्लुकागोन कहा जाता है, इसका स्त्रावण भी प्रभावित होता है, इससे भी समस्या होती है. तीसरा, हमारे शरीर में ग्लुकोज़ इतना अधिक हो जाता है कि शरीर उसका इस्तेमाल नहीं कर पाता है.
मधुमेह प्रबंधन और उपचार
विश्वभर में दृष्टिहीनता, हार्ट फेलियर, किडनी फेलियर और पैर कटने का सबसे प्रमुख कारण टाइप-2 डायबिटीज है. इसलिए इसे बहुत गंभीरता से लेना चाहिए. 21 वीं सदी में इसके प्रबंधन और उपचार के विकल्प उपलब्ध हैं.
डायबिटीज में क्या खाएं और क्या नहीं
अधिक कार्बोहाइड्रेट वाले पदार्थों जैसे आलू, गाजर, चावल, केला और ब्रेड का सेवन कम मात्रा में करें. तली-भुनी चीजों, दुग्ध उत्पादों, चाय और कॉफी को भी अधिक मात्रा में न लें. तंबाकू और शराब के सेवन से बचें. जंक फूड्स और फॉस्ट फूड्स में एम्पटी कैलोरीज़ होती हैं और पोषक तत्व बहुत ही कम होते हैं, इसलिए इनके बजाय घर पर बने हल्के और पोषक भोजन को प्राथमिकता दें. अपने डाइट चार्ट में मौसमी फलों और सब्जियों को अधिक से अधिक शामिल करें.
डायबिटीज में कौन सी एक्सरसाइज करें
एक्सरसाइज का रक्त में शुगर के स्तर पर 12 घंटे तक प्रभाव रहता है. जिन लोगों को डायबिटीज है, नियमित रूप से एक्सरसाइज करना उनके रक्त में शुगर के स्तर को कम करता है, शरीर की इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाता है और इंसुलिन रेजिस्टेंस को कम करता है. सप्ताह में कम से कम पांच दिन 30 मिनिट अपना पसंदीदा वर्क आउट करें.
मधुमेह के इलाज में कौन सी दवा उपयोगी है?
इस सवाल का जवाब आपके लिए आपके डॉक्टर ही दे सकते हैं. आमतौर पर दवाईयों के द्वारा लिवर में ग्लुकोज़ के निर्माण को कम करने और शरीर की इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाने का प्रयास किया जाता है, ताकि शरीर अधिक प्रभावशाली तरीके से इंसुलिन का इस्तेमाल कर पाए. जिन्हें इंसुलिन लेने की सलाह दी है वो जरूर लें.
क्या सर्जरी हो सकती है मददगार?
पहले डायबिटीज को एक लाइलाज बीमारी माना जाता था, लेकिन सर्जरी के द्वारा टाइप-2 डायबिटीज की गंभीरता को कम किया जा सकता है. जिनका बीएमआई 35 या उससे अधिक है और उन्हें टाइप-2 डायबिटीज भी है उनके लिए बैरियाट्रिक सर्जरी बहुत प्रभावी होती है. जो लोग दुबले-पतले हैं, लेकिन जिनकी डायबिटीज अनियंत्रित है, वे मेटाबॉलिक सर्जरी फॉर डायबिटीज का विकल्प चुन सकते हैं. सर्जरी कराने वाले 80 प्रतिशत लोगों की डायबिटीज लगभग ठीक हो जाती है और 20 प्रतिशत की स्थिति में सुधार आता है.
प्रो. (डॉ.) अतुल एन.सी. पीटर्स, डायरेक्टर ऑफ बेरिएट्रिक सर्जरी, मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, साकेत, दिल्ली)
अस्वीकरण : यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है. यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता. ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें. एनडीटीवी इस जानकारी की प्रमाणिकता की जिम्मेदारी नहीं लेता.