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Breast Feeding Week: बच्चे के लिए पूरा नहीं हो रहा मां का दूध तो, कौन सा दूध पिलाएं? जानें डॉक्टर ने क्या कहा

Baby Formula Alternatives: कुछ मामलों में जब मां का दूध पर्याप्त मात्रा में नहीं बनता या किसी कारणवश बच्चा स्तनपान नहीं कर पाता, तो माता-पिता के मन में एक ही सवाल उठता है कि क्या गाय या भैंस का दूध दिया जा सकता है?

Breast Feeding Week: बच्चे के लिए पूरा नहीं हो रहा मां का दूध तो, कौन सा दूध पिलाएं? जानें डॉक्टर ने क्या कहा
Baby Formula Alternatives: मां का दूध ही बच्चे के लिए सबसे अच्छा माना जाता है.

Best Milk For Newborns: मां बनना एक अनमोल एहसास है. एक मां अपने बच्चे के लिए हर वो चीज करना चाहती है, जो उसके स्वास्थ्य और भविष्य के लिए सबसे बेहतर हो. खासतौर पर जब बात होती है शिशु के पहले 6 महीनों की, तो मां की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है, क्योंकि यह वह समय होता है जब बच्चे का विकास हर दिन तेजी से हो रहा होता है. ऐसे में मां का दूध ही बच्चे के लिए सर्वोत्तम पोषण माना जाता है. लेकिन, कुछ मामलों में जब मां का दूध पर्याप्त मात्रा में नहीं बनता या किसी कारणवश बच्चा स्तनपान नहीं कर पाता, तो माता-पिता के मन में एक ही सवाल उठता है कि क्या गाय या भैंस का दूध दिया जा सकता है?

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डॉक्टर ने क्या कहा..?

इस सवाल के जवाब में नोएडा स्थित सीएचसी भंगेल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मीरा पाठक ने कुछ बेहद अहम जानकारियां शेयर कीं. उन्होंने कहा कि एक साल से पहले शिशु को किसी भी प्रकार का बाहरी दूध देना उचित नहीं होता, चाहे वह गाय का हो या भैंस का. मां के दूध में मौजूद एंटीबॉडीज शिशु को संक्रमण से बचाती हैं, वहीं गाय और भैंस के दूध में ये सुरक्षा तत्व नहीं होते. ऐसे में यह सोचना कि बाहरी दूध से बच्चे को इम्यूनिटी मिलेगी, गलत धारणा है.

गाय-भैंस का दूध पचाने में मुश्किल

डॉ. मीरा बताती हैं कि गाय और भैंस के दूध में प्रोटीन और फैट की मात्रा ज्यादा होती है, जो नवजात के पाचन तंत्र के लिहाज से भारी है. इससे बच्चों को डायरिया, उलटी, सांस लेने में परेशानी, खुजली और एलर्जी जैसी समस्याएं हो सकती हैं. भैंस के दूध में कैलोरी ज्यादा होती है, जिससे बच्चे का वजन असामान्य रूप से तेजी से बढ़ सकता है. वहीं, इन दूधों में विटामिन सी, ई, जिंक, फाइबर और फैटी एसिड जैसे जरूरी पोषक तत्वों की मात्रा भी बहुत कम होती है, जो बच्चे की ग्रोथ में बाधा बन सकती है.

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दूध को अच्छी तरह उबालना जरूरी

उन्होंने कहा कि अगर दूध को अच्छी तरह से उबाला न जाए, तो इससे शिशु में ट्यूबरकुलोसिस जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है. इसके अलावा, इस दूध में आयरन की मात्रा कम होती है, जिससे एनीमिया की आशंका भी बढ़ जाती है.

किस कंडीशन में दिया जा सकता है बाहरी दूध?

अब ऐसे में सवाल आता है कि क्या कभी गाय या भैंस का दूध दिया जा सकता है? इस पर डॉ. मीरा पाठक कहती हैं कि अगर किसी परिस्थिति में फॉर्मूला दूध उपलब्ध नहीं है और डॉक्टर की सलाह पर बाहरी दूध देने की जरूरत पड़े, तो भैंस की तुलना में गाय का दूध हल्का होता है और शिशु के लिए थोड़ा बेहतर विकल्प माना जा सकता है. लेकिन, कुछ सावधानियां बरतनी होंगी, जैसे दूध को अच्छी तरह उबालें और किसी भी तरह की चीनी या मिठास मिलाने से बचें, क्योंकि शिशु की किडनी के लिए शुगर नुकसानदायक हो सकती है.

गाय के दूध को सीधे रूप में न दें

डॉक्टर ने कहा कि गाय के दूध को सीधे रूप में न दें. इसकी कुछ मात्रा दलिया, खिचड़ी या मैश राइस जैसे ठोस आहार में मिलाकर दी जा सकती है. यह ध्यान रखना जरूरी है कि गाय या भैंस का दूध मां के दूध या फॉर्मूला मिल्क का विकल्प नहीं है.

आखिर में, डॉ. मीरा पाठक की सलाह है कि शिशु को शुरुआती छह महीने तक सिर्फ मां का दूध ही पिलाएं और अगर किसी कारणवश ऐसा संभव न हो, तो बाल रोग विशेषज्ञ को जरूर कंसल्ट करें.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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